रमजान का पहला रोजा आज

मुजफ्फरपुर : रहमतों और बरकतों वाला महीना रमजान शुरू हो गया है. पहला रोजा गुरुवार को होगा. बुधवार को तमिलनाडु में चांद देखे जाने की खबर के बाद रात्रि नौ बजे के बाद मस्जिदों से रमजान शुरू होने का ऐलान किया गया. कई लोगों ने मौलाना को फोन कर चांद देखे जाने की जानकारी ली. […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 17, 2018 5:18 AM
मुजफ्फरपुर : रहमतों और बरकतों वाला महीना रमजान शुरू हो गया है. पहला रोजा गुरुवार को होगा. बुधवार को तमिलनाडु में चांद देखे जाने की खबर के बाद रात्रि नौ बजे के बाद मस्जिदों से रमजान शुरू होने का ऐलान किया गया. कई लोगों ने मौलाना को फोन कर चांद देखे जाने की जानकारी ली. जैसे ही पता चला कि चांद दिख गया है, लोगों ने अल्लाह का शुक्रिया अदा की.
इसके बाद रिश्तेदारों वे दोस्तों के बीच मुबारकबाद का सिलसिला शुरू हो गया. लोगों ने फोन कर एक-दूसरे काे
माहे रमजान की बधाई दी. मौलाना के ऐलान के बाद लोगों ने जहां तरावीह की नमाज अदा करने के लिए मसजिदों की राह पकड़ी, वहीं घरों में कुरान की तिलावत शुरू हो गयी. शहर में रौनक बढ़ गयी. पहले रोेजे के सेहरी व इफ्तार की खरीदारी के लिए लोग घरों से निकल पड़े.
इफ्तार कराने से मिलती है गुनाहों की माफी : रोजेदार को इफ्तार कराने से गुनाहों की माफी मिलती है.
रोजेदार को इफ्तार कराने से बहुत सबाब मिलता है. अल्लाह उसके गुनाहों को माफ कर देतो है. किसी गरीब को रोजा इफ्तार कराने से अल्लाह उसकी जिंदगी भर की गुनाहों को माफ कर उसकी मगफिरत फरमा देता है. मौलाना वसीउल कहते हैं कि रोजेदार को अल्लाह के नियमों के अनुसार ही रोजा रखना चाहिए.
शबे कद्र की रात होती है सबसे खास
रमजान महीने में तीन अशरे होते हैं. पहले दस रमजान रहमत, दूसरे दस रमजान मगफिरत व तीसरे दस अशरा जहन्नुम की आग से दूर रखता है. आखिरी अशरा की 21, 23, 25, 27 व 29 की शबे कद्र की रात होती है. हदीस में आया है कि इन तारीखों में ही कुरान मुकम्मल हुआ. लोगों को चाहिए की इन रातों में ज्यादा से ज्यादा तिलावतें कुरान करें व अपनी मगफिरत की दुआ करें.
इन हालातों में कर सकते हैं रोजा
वैसे रोजा हर मुसलमान का फर्ज है. कुछ परिस्थितियों में अल्लाह तबारक तआला ने अपने बंदों को छूट दी है. अगर कोई बूढ़ा व्यक्ति है, जिसे रोजा रखने से उसकी जान को खतरा है तो वह डॉक्टर की सलाह लेकर रोजा रखे, लेकिन किसी गरीब को दो वक्त का खाना खिलाएं. गर्भवती महिला या बच्चे को दूध पिलाने वाली महिला भी डॉक्टर की सलाह से रोजे का कजा कर सकती हैं.

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