गंगा के जलस्तर में गिरावट जारी, लेकिन घरों से नहीं निकल रहा पानी
शाम छह बजे गंगा का जलस्तर 39.14 पर पहुंच गया था. जो खतरे के निशान 39.33 मीटर से मात्र 19 सेंटीमीटर नीचे है
36 घंटे में मात्र 15 सेंटीमीटर घटा गंगा का जलस्तर
मुंगेरगंगा के जलस्तर में लगातार गिरावट जारी है. लेकिन अभी भी गांव व घरों में पानी अपना डेरा डाले हुए है. जिसके कारण बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोगों काफी त्रासदी में जीवन गुजर-बसर करने को मजबूर है. परिवार का भरण पोषण करना मुश्किल हो रहा है. कुल मिलाकर कहा जाय तो आज भी बाढ़ प्रभावित त्राहिमाम कर रही है.
36 घंटे में 15 सेंटीमीटर घटा गंगा का जलस्तर
गंगा के जलस्तर मेंं गिरावट जारी है, लेकिन उसकी रफ्तार काफी धीमा है. पिछले 36 घंटे में मात्र 15 सेंटीमीटर गंगा का जलस्तर उतर पाया है. जबकि सोमवार की मध्य रात्री से ही जलस्तर में कमी होनी शुरू हो गयी थी. बुधवार की शाम छह बजे गंगा का जलस्तर 39.14 पर पहुंच गया था. जो खतरे के निशान 39.33 मीटर से मात्र 19 सेंटीमीटर नीचे है. मिली जानकारी के अनुसार ऊपर में गंगा के जलस्तर में लगातार गिरावट दर्ज किया जा रहा है. जिसके कारण यहां भी दो से चार दिनों में वार्निंग लेबल से गंगा का जलस्तर नीचे उतर जायेगा.
गांव-घर से पानी नहीं निकले से परेशान है बाढ़ पीड़ित
भले ही गंगा के जलस्तर में गिरावट हो रही है. लेकिन गांव-घर से बाढ़ का पानी अब तक नहीं निकल पाया है. गंगा पार के सभी गांव आज भी जलमग्न है. जबकि शहरी क्षेत्र के कई वार्ड में पानी घुसा हुआ है. जबकि करारी में बसे गांव व घरों में बाढ़ का पानी बरकरार है. सदर प्रखंड के सीताकुंड डीह लक्ष्मीपुर बिंद टोला गंगा तट करारी में बसा हुआ है. जहां घरों में बाढ़ का पानी घूसा हुआ है. जो घर के बाहर मचान बना कर रहने को विवश है. बाढ़ प्रभावित अधिकांश गांवों में रहने वाले लोगों की अमूमन यहीं स्थिति है.
पशुपालक परेशान, दुधारू पशु कम दे रही दूध
बाढ़ प्रभावित सैकड़ों पशुपाल पिछले एक महीने से बाढ़ की त्रासदी झेल रहे हैं. पहली बाढ में ही खेतों में लगा हरा चारा डूब कर बर्बाद हो गया था. जबकि 25 दिन पूर्व ही मवेशी के साथ पशुपालक गांव घर छोड़ कर निकल आये थे. जिनके समक्ष पशु चारा का घोर अभाव है. हरा पशु चारा व सही भोजन नहीं मिलने से दुधारू पशु कम दूध दे रही है. जिसके कारण उनके आमदनी पर बुरा असर पड़ा है. जबकि इसी दूध को बेच कर पशुपालक मवेशी के साथ ही अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं.
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