शारदीय नवरात्रि पर इस बार मां चंडी की पूजा से वंचित रह जायेंगे श्रद्धालु
21 सितंबर रविवार को महालया है, जबकि 22 अक्तूबर को कलश स्थापना के साथ ही शारदीय नवरात्रि प्रारंभ हो जायेगी.
चंडिका मंदिर से नहीं निकला बाढ़ का पानी, गर्भ गृह में भी भरा है पानी
शारदीय नवरात्रि पर माता के नेत्र की पूजा करने उमड़ती है श्रद्धालुओं की भीड़
मुंगेर. 21 सितंबर रविवार को महालया है, जबकि 22 अक्तूबर को कलश स्थापना के साथ ही शारदीय नवरात्रि प्रारंभ हो जायेगी. इस दौरान प्रसिद्ध शक्तिपीठ चंडिका स्थान में माता सती के नेत्र की पूजा-अर्चना करने की परंपरा पौराणिक काल से चली आ रही है. पूजा-अर्चना के लिए यहां नवरात्र पर श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ता है. लेकिन इस बार आई बाढ़ के कारण माता के भक्तों को निराश होना पड़ेगा, क्योंकि मंदिर परिसर और मंदिर के गर्भगृह में बाढ़ का पानी भरा हुआ है. चंडिका स्थान धार्मिक न्यास परिषद ने भी भक्तों से अपील की है कि वे अपने-अपने घरों में ही मां चंडी की पूजा-अर्चना करें. यानी इस नवरात्र पर माता के चंडी के भक्ताें को मां चंडिका का न तो दर्शन होगा और न ही वे माता चंडी की पूजा-अर्चना कर पायेंगे.
चंडिका मंदिर में भरा है बाढ़ का पानी, उठने लगी दुर्गंध
पिछले दिनों आई बाढ़ के कारण प्रसिद्ध शक्तिपीठ चंडिका मंदिर में भी पानी प्रवेश कर गया था. इस दौरान गंगा के जलस्तर में उतार-चढ़ाव होता रहा. जिसके कारण मंदिर परिसर से बाढ़ के पानी की निकासी नहीं हो सकी. वर्तमान में भी गर्भगृह में जहां बाढ़ का पानी भरा हुआ है. वहीं गर्भगृह तब जाने के लिए बने रास्ते पर भी पानी भरा हुआ है, जबकि मंदिर के चारों ओर बाढ़ का पानी भरा हुआ है. लगभग एक माह से मंदिर में बाढ़ का पानी भरा हुआ है. पानी के ऊपर हरी परत जम गयी है. जबकि परिसर में जमा पानी से अब दुर्गंध उठने लगी है.
एक महीने से बंद है माता का गर्भगृह व मुख्य गेट
यूं तो सालों भर चंडिका स्थान में माता चंडी की पूजा-अर्चना का दौर चलता रहता है. लेकिन शारदीय नवरात्र पर यहां माता चंडी की पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालु नर-नारियों का जनसैलाब उमड़ पड़ता है. कोई गंगा स्नान कर तो कोई घर में स्नान कर जल भर कर माता चंडी के नेत्र की पूजा अर्चना करने के लिए अहले सुबह से ही पहुंचने लगते है. 22 सितंबर से शारदीय नवरात्र शुरू है. लेकिन बाढ़ का पानी गर्भगृह से लेकर मंदिर के चारों ओर भरा हुआ है. जिसके कारण पिछले एक महीने से माता का गर्भगृह के साथ ही मुख्य गेट बंद है. यही कारण है कि इस बार श्रद्धालु न तो माता चंडिका का दर्शन कर पायेंगे और न ही पूजा-अर्चना कर पायेंगे.
52 शक्तिपीठों में से एक है मुंगेर का चंडिका स्थान
शारदीय नवरात्रि के दौरान मुंगेर का चंडिका स्थान लाखों भक्तों के लिए आस्था का केंद्र बनता है, जहां देवी चंडिका के मंदिर में मां सती के नेत्र गिरने की मान्यता है और इसे देश के 52 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है. इस अवधि में भारी भीड़ उमड़ती है, क्योंकि भक्त मां का आशीर्वाद लेने आते हैं. यह स्थान महाभारत काल से भी जुड़ा हुआ है. पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान यहां मां चंडी की पूजा कर विजयश्री का आशीर्वाद प्राप्त किया था. सबसे अधिक प्रचलित है कि महाभारत काल में अंग प्रदेश के राजा कर्ण प्रतिदिन सवा मन सोना दान करते थे, जिसका उल्लेख दुर्गा सप्तशती में मिलता है.
श्रद्धालुओं से घरों में पूजा-अर्चना करने की अपील
चंडिका स्थान धार्मिक न्यास बोर्ड के सचिव सौरभ निधि ने बताया कि चारों ओर बाढ़ का पानी फैला हुआ है. गर्भगृह में पांच फीट तो, वहां जाने वाले रास्ते पर तीन से चार फीट तक पानी है. किसी प्रकार की अनहोनी न हो इसको लेकर मुख्य गेट को बंद कर दिया गया है. उन्होंने श्रद्धालुओं से अपील की है कि फिलहाल अपने घरों में पूजा-अर्चना करें. जैसे ही गंगा का पानी निकलेगा, मंदिर को पुनः भक्तों के लिए खोल दिया जायेगा.
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