गर्म हुई धरती, भागा जल स्तर, सूख गये 70%तालाब

मुंगेर : गर्मी का असर अब धरती पर दिखने लगा है. गर्मी के कारण एक ओर जहां धरती का तापमान बढ़ता जा रहा है, वहीं तेजी से जल स्तर भी नीचे जा रहा है. जबकि जिले में 70 प्रतिशत सरकारी व गैर सरकारी तालाब व जलकर रखरखाव के अभाव में सूख गये हैं. जबकि 20 […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 16, 2018 5:53 AM

मुंगेर : गर्मी का असर अब धरती पर दिखने लगा है. गर्मी के कारण एक ओर जहां धरती का तापमान बढ़ता जा रहा है, वहीं तेजी से जल स्तर भी नीचे जा रहा है. जबकि जिले में 70 प्रतिशत सरकारी व गैर सरकारी तालाब व जलकर रखरखाव के अभाव में सूख गये हैं. जबकि 20 प्रतिशत तालाबों में कुछ बूंद ही पानी शेष रह गये हैं. इस कारण आम लोगों के साथ ही मवेशी व पक्षियों के सामने पानी की समस्या उत्पन्न हो गयी है.

सूख चुके हैं जिले के 70 प्रतिशत तालाब : जिले में सरकारी एवं गैर सरकारी तालाबों की संख्या लगभग 604 है. जिसमें सरकारी विभाग के 150 तालाब एवं 54 जलकर है. जबकि निजी क्षेत्र में 400 तालाब हैं. इसमें 70 प्रतिशत तालाब पूरी तरह सूख चुके हैं. भागते जल स्तर के कारण लगातार तालाब सूखते जा रहे हैं. सबसे बुरा हाल सरकारी तालाबों का है. लगभग 95 प्रतिशत तालाब व जलकर सूख चुके हैं. जबकि निजी क्षेत्र के 50 प्रतिशत तालाबों में पानी है. ये तालाब वैसे ही बचे हैं जहां बोरिंग से पानी डालने की व्यवस्था है. लेकिन वैसे मत्स्य पालक भी इस भीषण गर्मी के कारण तालाब में मोटर के सहारे पानी भरने में असमर्थ हो रहे हैं.
सैकड़ों वर्ष पुराना है राजा-रानी तलाब:
मत्स्य विभाग द्वारा सरकारी तालाबों एवं जलकरों की बंदोबस्ती की जाती है और उसके रखरखाव की जवाबदेही उसी की है. एक है राजा तो दूसरा रानी तालाब है. माना जाता है यह तालाब काफी पुराना है. तालाब में दरारें आ गयी हैं. क्योंकि अबतक इन तालाबों में पानी के लिए वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गयी है. जबकि रानी तालाब का करोड़ों रुपये से सौंदर्यीकरण किया गया. लेकिन पानी के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. इस कारण सूखे तालाब ने किले की खूबसूरती पर ग्रहण लगा दिया है. कहा जाता है जिले के 150 तालाब हैं जिसकी आयु तीन से पांच सौ वर्ष है.
कहते हैं पदाधिकारी
जिला मत्स्य पदाधिकारी गणेश राम ने कहा कि हर वर्ष गर्मी में तालाब सूख जाते हैं. अभी 40 प्रतिशत तालाब ही सूखे है. जहां बोरिंग की व्यवस्था होती है, वहीं तालाब में पानी रहता है. उन्होंने कहा कि गंगा से निकलने वाले नदी-नाले भी सूख जाते हैं. बारिश के समय में पुन: पानी का फ्लो बढ़ जाता है.
बारिश के पानी पर निर्भर हैं सरकारी तालाब
जिले में सरकारी तालाबों की स्थिति सबसे खराब है. रखरखाव की व्यवस्था नहीं है. बारिश एवं बाढ़ के पानी पर ही इन तालाबों की स्थिति निर्भर करती है. उसी पानी के बल पर मछली पालन होता है. लेकिन जैसे ही गर्मी का मौसम आता है वैसे ही तालाब सूखने लगते हैं. क्योंकि तालाब का जल स्रोत भूमि के अंदर से नहीं है. जेठ और वैशाख आते ही सभी तालाबों में दरार दिखाई पड़ने लगता है.
मत्स्य पालकों की बढ़ी समस्या
तालाब और संपर्क नदी-नाले के सूखने के कारण मछली व्यवसाय पर बुरा असर पर रहा है. इससे लाखों रुपये का नुकसान इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को हो रहा है. इतना ही नहीं लोग नये रोजगार की भी तलाश में भटक रहे हैं. इसके साथ ही ताल-तलैया सूखने के कारण पशुओं के सामने पानी की समस्या उत्पन्न हो गयी है. नदी नाले सूख चुके है. तालाब भी सूख चुका है. पशुओं को पानी नहीं मिल रहा है. क्योंकि पशु खेतों में चारा खाने के बाद तालाब में चले जाते थे. जहां पानी पीने के साथ ही घंटों पानी में बैठते थे. लेकिन तालाब सूखने के कारण अब उनके समक्ष भी पानी की समस्या उत्पन्न हो गयी है.

Next Article

Exit mobile version