Bihar News: संस्कृत केवल पूजा-पाठ की नहीं बल्कि ज्ञान-विज्ञान की भी भाषा: डॉ. ठाकुर शिवलोचन

असिस्टेंट प्रो ठाकुर शिवलोचन शांडिल्य ने कहा कि हमारा अधिकांश प्राचीन ज्ञान-विज्ञान संस्कृत भाषा में निबद्ध व संरक्षित है. यही प्राचीन काल में हमारे ज्ञान परंपरा की अभिव्यक्त का सबसे सशक्त माध्यम थी व इसी से हमारी समस्त सैद्धांतिक व प्रायोगिक विद्याएं नि:सृत हुई हैं.

By Prabhat Khabar | June 12, 2022 11:29 AM

मधेपुरा. संस्कृत (संस्कृतम) भारत की एक शास्त्रीय भाषा है, जो दुनिया की सबसे पुरानी उल्लिखित भाषाओं में से एक है. इसे देववाणी अथवा सुर-भारती भी कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि भारत व विश्व की अधिकांश भाषाओं का जन्म संस्कृत भाषा से ही हुआ है. यह बात काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी के संस्कृत विभाग में असिस्टेंट प्रो ठाकुर शिवलोचन शांडिल्य ने कही. वे 30 दिवसीय उच्चस्तरीय राष्ट्रीय कार्यशाला में व्याख्यान दे रहे थे. संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के अंतर्गत संचालित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन योजना के तहत यह कार्यशाला भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय में आयोजित हो रही है.

हमारी अभिव्यक्त का सबसे सशक्त माध्यम थी संस्कृत

असिस्टेंट प्रो ठाकुर शिवलोचन शांडिल्य ने कहा कि हमारा अधिकांश प्राचीन ज्ञान-विज्ञान संस्कृत भाषा में निबद्ध व संरक्षित है. यही प्राचीन काल में हमारे ज्ञान परंपरा की अभिव्यक्त का सबसे सशक्त माध्यम थी व इसी से हमारी समस्त सैद्धांतिक व प्रायोगिक विद्याएं नि:सृत हुई हैं. अतः भारत की समृद्ध ज्ञान परंपरा को जानने-समझने के लिए संस्कृत भाषा का ज्ञान आवश्यक है.

संस्कृत की पांडुलिपियों में जीवन व जगत की जानकारी

असिस्टेंट प्रो ठाकुर शिवलोचन शांडिल्य ने बताया कि संस्कृत की पांडुलिपियों में जीवन व जगत के प्रायः सभी आयामों से संबंधित जानकारी मिलती है. इनमें धर्म, दर्शन, साहित्य, शिक्षा, समाजशास्त्र, योग, आयुर्वेद, संगीत कला, वाणिज्य, अर्थशास्त्र, नाट्यशास्त्र, भौतिकी, अभियंत्रण, रसायनशास्त्र, जंतु विज्ञान, वनस्पति विज्ञान आदि शामिल हैं.

हिंदू धर्म का आधार है संस्कृत

असिस्टेंट प्रो ठाकुर शिवलोचन शांडिल्य ने बताया कि संस्कृत हिंदू धर्म का आधार है. हिंदू धर्म से संबंधित लगभग सभी ग्रंथ यथा वेद, उपनिषद, भगवद्गीता आदि संस्कृत भाषा में ही रचित हैं. आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ व पूजा-पाठ संस्कृत में ही होती है. हिंदू धर्म से निकले बौद्ध धर्म व जैन धर्म के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत भाषा में लिखे गये हैं.

विदेशी भी हैं संस्कृत की ओर आकर्षित

असिस्टेंट प्रो ठाकुर शिवलोचन शांडिल्य ने बताया कि संस्कृत एक वैज्ञानिक भाषा है. आज विदेशी भी संस्कृत के महत्व को समझ‌ रहे हैं व इसकी ओर आकर्षित हो रहे हैं. मौके पर आयोजन सचिव सह उप कुलसचिव अकादमिक डॉ सुधांशु शेखर, सीएम साइंस कॉलेज मधेपुरा के डॉ संजय कुमार परमार, पृथ्वीराज यदुवंशी, सिड्डु कुमार, डॉ राजीव रंजन, जयप्रकाश भारती, डॉ सोनम सिंह, नीरज कुमार सिंह, बालकृष्ण कुमार सिंह, सौरभ कुमार चौहान, कपिलदेव यादव, अरविंद विश्वास, अमोल यादव,‌ नताशा राज, रश्मि, ब्यूटी कुमारी, खुशबू, डेजी, लूसी कुमारी, श्वेता कुमारी, इशानी, मधु कुमारी, प्रियंका, निधि आदि उपस्थित थे.

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