मातृत्व की मूरत थीं मम्मा सरस्वती, बड़हिया में मनाया गया पुण्य स्मृति दिवस

ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय सेवा केंद्र बड़हिया में मंगलवार को संस्था की आध्यात्मिक मार्गदर्शिका एवं मातृत्व स्वरूपा मातेश्वरी जगदंबा सरस्वती जी की 60वीं पुण्य स्मृति दिवस श्रद्धा, भक्ति और दिव्यता के वातावरण में मनाया गया.

By Rajeev Murarai Sinha Sinha | June 24, 2025 6:35 PM

ब्रह्माकुमारी सेवा केंद्र में श्रद्धा व साधना के साथ हुआ आयोजन

बड़हिया. ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय सेवा केंद्र बड़हिया में मंगलवार को संस्था की आध्यात्मिक मार्गदर्शिका एवं मातृत्व स्वरूपा मातेश्वरी जगदंबा सरस्वती जी की 60वीं पुण्य स्मृति दिवस श्रद्धा, भक्ति और दिव्यता के वातावरण में मनाया गया. कार्यक्रम की शुरुआत मम्मा की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन और पुष्पांजलि के साथ हुई. उपस्थित भाई-बहनों ने मिलकर मौन साधना करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी. इसके पश्चात मम्मा को भोग अर्पित किया गया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बीके रौशनी बहन ने कहा कि मम्मा सरस्वती मानवीय मूल्यों की जीवंत प्रतिमा थीं. वे कम बोलने और आत्मबल को संचित रखने की प्रेरणा देती थीं. उनके जीवन की सबसे बड़ी विशेषता थी पवित्रता, सहनशीलता, करुणा और मातृत्व भाव. बीके रीना बहन ने मम्मा की जीवनगाथा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जब-जब संसार में अधर्म और अशांति बढ़ती है, तब-तब कोई दिव्य आत्मा अवतरित होती है. मम्मा सरस्वती, जिनका बचपन का नाम राधे था, उन्हीं दिव्य विभूतियों में से एक थीं. वे कन्या होते हुए भी संपूर्ण मातृत्व का अनुभव कराती थीं और अपने वात्सल्य भाव से आत्माओं को स्नेह की छाया देती थीं. इस अवसर पर सुभद्रा देवी, कुंदन बहन, पूनम बहन, अंजली बहन, प्रेमा बहन, सुनीता बहन, सुमन, रामचंद्र भाई सहित अनेक साधक उपस्थित रहे और मातेश्वरी के आदर्शों को आत्मसात करने का संकल्प लिया. कार्यक्रम समापन पर सभी ने मम्मा के जीवन से प्रेरणा लेकर आत्म उत्थान और विश्व सेवा के मार्ग पर चलने की प्रतिज्ञा की.

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