कुर्बानी हर साहिब-ए-निसाब पर वाजिब है, मुफ़्ती
कुर्बानी हर साहिब-ए-निसाब पर वाजिब है, मुफ़्ती
आबादपुर ईद-उल-अजहा पर्व के दौरान की जाने वाली कुर्बानी हर साहिब-ए-निसाब पर वाजिब है. यह हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की यादगार है. ईद-उल-अजहा को बकरीद भी कहा जाता है. बकरीद पर्व वास्तव में लोगों को सच्चाई की राह में अपना सब कुछ कुर्बान कर देने का संदेश देती है. उक्त बातें बारसोई प्रखंड के आबादपुर पंचायत स्थित नूरी जामे मस्जिद प्रमाणिक टोला के ईमाम मुफ़्ती लतीफुर रहमान ने जुमे की नमाज के दौरान तकरीर करते हुए कही. उन्होंने कुर्बानी के संदर्भ में बताया कि कुर्बानी के गोश्त को तीन हिस्सों में बांटा जाना वाजिब है. एक हिस्सा गरीब-गुरबों को, दूसरा हिस्सा परिजनों को तथा तीसरा हिस्सा स्वयं के परिवार के लिए रखा जाना चाहिए. कुर्बानी के रस्म की अदायगी तीन दिनों तक की जा सकती है. मुफ़्ती साहब ने लोगों से कुर्बानी की वीडियो कतई नहीं बनाने की बात कही. साथ ही इसे शोशल मीडिया में हरगिज-हरगिज पोस्ट नहीं करने की हिदायत दी.
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