समाहरणालय के सामने बनाया गया इंदिरा पार्क बदहाल, लोगों को नहीं मिल रही सुविधा
समाहरणालय के ठीक सामने बने इंदिरा पार्क जिला की पहचान हुआ करती थी, आज वह अपने बदहाली पर खुद आंसू बहा रहा है.
कटिहार. समाहरणालय के ठीक सामने बने इंदिरा पार्क जिला की पहचान हुआ करती थी, आज वह अपने बदहाली पर खुद आंसू बहा रहा है. हैरत की बात तो यह है कि जहां जिला पदाधिकारी, एसपी का कार्यालय है. उनके ठीक सामने बने इंदिरा पार्क की हालत बद से बदतर हो गयी है. जिले में धरोहर के रूप में देश के पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नाम पर कई दशक पहले बने यह इंदिरा पार्क एक समय में बच्चों के मनोरंजन बड़े, बुजुर्गों के लिए आराम और शेर सपाटा का सबसे उत्तम पार्क था, लेकिन अधिकारियों की अनदेखी और जनप्रतिनिधियों इच्छा शक्ति के कारण मौजूदा समय में इंदिरा पार्क की स्थिति काफी दयनीय हो गयी है. न तो पार्क में बच्चों के मनोरंजन के लिए कोई संसाधन बचे हैं, और न ही पार्क में लोगों के बैठने के लिए आराम के लिए कोई बेहतर व्यवस्था है. यहां तक की स्थिति अब इतनी दयनीय हो गयी है कि पार्क के चाहरदिवारी पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है. पार्क को घेरे गये चारों तरफ से लोहे के ग्रिल कहां गायब हो गए हैं, यह किसी को पता नहीं है. जिला का धरोहर इंदिरा पार्क अब पार्क न रहकर किसी फुटपाथ स्थान की तरह बनकर रह गया है. ऐसे में इस पार्क की बदहाली जिला प्रशासन से लेकर जिले के जनप्रतिनिधियों के ऊपर भी एक बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है.
पूर्व प्रधानमंत्री की जयंती व पुण्यतिथि पर याद आता है पार्क
इंदिरा पार्क का निर्माण देश के पहले महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नाम पर बनाया गया था. इस पार्क में देश के पहली महिला प्रधानमंत्री स्व इंदिरा गांधी के स्टैच्यू भी लगाया गया है. जो इस पार्क की शोभा बढ़ाती रही है. देश के प्रधानमंत्री के नाम पर बने इस पार्क हमेशा लोगों को देश की पहली महिला प्रधानमंत्री की याद दिलाती रहती है. विडंबना है कि देश के प्रधानमंत्री स्व इंदिरा गांधी की जयंती और पुण्यतिथि के दिन ही जनप्रतिनिधियों को इस पार्क की याद आती है. साल में दो दिन इस पार्क में पहुंचकर पार्क में लगाए गये स्व इंदिरा गांधी के स्टैच्यू पर माल्यार्पण करते हैं. उनके बाद यहां की कोई भी सूद नहीं लेता है. जिस कारण से जिला के धरोहर इस पार्क की स्थिति काफी बद से बदतर हो गयी है.लोगों के विश्राम के लिए सबसे बेहतरीन था पार्क
शहर के मिरचाईबाड़ी में एक समय में लोगों के विश्राम के लिए और सेर सपाटा के लिए सबसे बेहतरीन पार्क इंदिरा पार्क था. इस पार्क में बच्चों को लुभाने के लिए कई जंगली जानवर के स्टैच्यू भी बनायी गयी थी. साथ ही बच्चों के मनोरंजन के लिए झूला और लोगों के आराम के लिए पार्क के अंदर बैठने के लिए पत्थर के कई चबूतरे भी बनाए गए थे, लेकिन पार्क की देखरेख के अभाव में सब खत्म हो गया. जंगली जानवरों के बने का स्टैच्यू टूटते चले गये. मनोरंजन के लिए लगे सभी झूले गायब हो गये. लोगों के विश्राम के लिए बैठने की सीट टूट-फूट गयी. जिस पर किसी का ध्यान नहीं है. इस पार्क की स्थिति भले ही दयनीय है लेकिन लोग आज भी इस पार्क में बैठकर अपना समय बिताते हैं. दरअसल पार्क के ठीक सामने समाहरणालय और सभी उच्च अधिकारियों का कार्यालय होने के कारण लोग पूरे जिले से जब यहां किसी काम के लिए आते हैं तो यहां इस पार्क में थोड़ी देर बैठ कर जरूर अपनी थकान मिटाते हैं. बगल में हरिशंकर नायक स्कूल होने के नाते जब बच्चों का कोई परीक्षा होता है तो उनके अभिभावक भी पूरा समय इसी पार्क में बिताते हैं. संसाधन की कमी और अव्यवस्था के कारण लोगों को जरूर परेशानी उठानी पड़ती है.लोगों ने जिला प्रशासन व जनप्रतिनिधियों के ऊपर जतायी नाराजगी
पार्क में बैठे लोगों ने पार्क के इस बदतर स्थिति को देखकर जिला प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधियों के ऊपर अपनी जमकर नाराजगी जतायी. कोढ़ा से आये मनजीत कुमार, भेड़िया रेखा के हरिचरण, मानसी देवी, कुमारी गुड़िया ने जिला प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधियों को जमकर कोसा. लोगों ने कहा कि समाहरणालय के ठीक सामने इस पार्क की यह स्थिति पूरा जिला प्रशासन के कार्य शैली पर सवाल खड़ा कर रहा है. लोगों ने कहा कि समाहरणालय से जिला पदाधिकारी से लेकर सभी उच्च पदाधिकारी तक इसी पार्क के सामने से रोजाना कार्यालय पहुंचते हैं और निकलते हैं. सभी का ध्यान इस पर जाता होगा. लेकिन इनके जीर्णोद्धार को लेकर कोई काम नहीं किया जा रहा है. लोगों ने जनप्रतिनिधियों की भी जमकर कोसा लोगों ने कहा कि यह पार्क देश के पहले महिला प्रधानमंत्री स्व इंदिरा गांधी के नाम पर बनी है. ऐसे में जनप्रतिनिधियों को भी अपने प्रधानमंत्री के नाम की लाज रखनी चाहिए, इसे एक बेहतर पार्क के रूप में विकसित करना चाहिए.जिला के सभी पार्क वन विभाग के अब अधीन हैं. इंदिरा पार्क का भी जीर्णोद्धार होना है, लेकिन विभाग के पास अभी कोई आवंटन नहीं है. जिस कारण से पार्क की ऐसी स्थिति है.
एसके झा, रेंजर, वन विभागB
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