सोईया छठ घाट पर दशकों से अविरल गिरती है जल की धारा
शहर के सोईया छठ घाट पर दशकों से अविरल जल की धारा बह रही है. यह जल की धारा कहां से आती है कोई नहीं जानता. किंतु जल की धारा बिना रुके 24 घंटे बहती रहती है.
जहानाबाद. शहर के सोईया छठ घाट पर दशकों से अविरल जल की धारा बह रही है. यह जल की धारा कहां से आती है कोई नहीं जानता. किंतु जल की धारा बिना रुके 24 घंटे बहती रहती है. 50 वर्षीय जयकुमार बताते हैं कि उनके जन्म के पहले से यह जल की धारा सोइया घाट पर गिर रही है. उनका कहना है कि उनके पिताजी के जन्म से पहले से भी यह पानी का स्रोत मलहचक देवी मंदिर के निकट दरधा नदी के तट पर गिर रहा है. भीषण गर्मी में भी यह जल की धारा नहीं रुकती है. पहले तो लोगों ने ध्यान नहीं दिया. बाद में जब भीषण गर्मी में भी जल की धारा बहती रही तो लोगों ने इसे दैविक चमत्कार समझा. इसके बाद लोगों में इसके प्रति श्रद्धा बढी. करीब ढाई दशक पहले इस जगह पर लोगों ने छठ पर्व की शुरुआत की. तब से हर वर्ष यहां पर छठ पर्व आयोजित किया जाता है. कार्तिक और चैत दोनों समय में लोग यहां छठ का पर्व बड़े धूमधाम और श्रद्धापूर्वक मानते हैं. तत्कालीन डीएम संजय अग्रवाल के कार्यकाल में इस जगह की महता को समझ गया. इसके बाद इस जगह पर अविरल गिर रहे जल की धारा को जमा करने के लिए एक तालाब बनाया गया. इसके बाद से अज्ञात स्रोत से आने वाला जल इसी तालाब में गिरता है. तालाब के चारों ओर छठ पर्व करने के लिए सीढ़ियां भी बनाई गई. हालांकि यह तालाब बहुत छोटा है. इस कारण इसके आगे नदी के तट पर सोईया जलधारा से देवी मंदिर तक भी छठ पर्व के लिए सीढ़ियां बनाई गई. किंतु इस बनाई गई सिढी के आगे नदी पड़ती है जिसका जल काफी गंदा है. जिसमें काफी जंगल झाड़ हो गए हैं जिसकी सफाई नहीं करायी गयी है और उसमें पानी भी नहीं है, आगे थोड़ा- बहुत पानी है जो गंदा है जिसमें कुछ लोगों ने मछली फसाने के लिए जाल लगा रखा है. जिसके कारण छठ व्रती केवल सोईया छठ तलाब में ही छठ पर्व मनाती है. सोईया घाट पर जगह बहुत कम है जिसके कारण इस जगह पर बहुत कम व्रती एक साथ छठ का अर्घ्य दे पाती हैं. विस्तारित सीढ़ी घाट के आगे सफाई नहीं कराई जाती और नहीं नदी में पानी भरा जाता है. तालाब अभी है बिल्कुल सूखा सोइया छठ घाट पर बने तालाब में पानी नहीं है. यह बिल्कुल सूखा है. नगर परिषद के द्वारा इस जगह पर साफ -सफाई का कार्य शुरू किया गया है. तालाब और आसपास की जगह की सफाई करायी गयी है, किंतु तालाब में पानी भरने का काम अभी नहीं शुरू किया गया है. इस जगह पर नदी भी सुखी है अगर नदी में पानी होता है तो उसे रिसकर गंदा पानी तालाब में भर जाता है. रंगाई -पुताई का काम भी अभी बाकी है. रोशनी और बल्ब की व्यवस्था भी की जानी है. पूर्व से लगी एलइडी लाइट जल रही है नई लाइट नहीं लगाई गई है. राजीव कुमार बताते हैं कि तालाब से सटी नदी के होने के कारण नदी का गंदा पानी इस तालाब में रिस जाता है और तालाब में नदी का पानी आ जाता है. अभी इस जगह पर नदी में पानी नहीं है जिसके कारण तालाब सूखा है. सोईया जल स्रोत से स्वच्छ पानी गिरता है. किन्तु वह पानी अभी जमा नहीं हो सका है. छठ के एक-दो दिन पहले तालाब में पानी भरने का काम शुरू किया जाता है. प्राकृतिक जल स्रोत से गिरने वाला पानी भी तालाब में गिरता है. तालाब में एक निकास भी लगाया हुआ है जो पानी के ओवरफ्लो होने पर उसे निकास से पानी नदी में गिर जाता है. इस जल स्रोत के पास ही सरकारी वाटर सप्लाई का एक चार इंच मोटा पाइप का कनेक्शन बनाया हुआ है. इस कनेक्शन पर एक चाबी लगा है. छठ के समय इस चाबी को खोल दिया जाता है. इसके बाद मल्हचक जल मीनार से आने वाला पानी से यह छठ घाट भर जाता है. तालाब को बढ़ाकर जगह की कमी को किया जा सकता है दूर पहले इस जगह पर कम लोग ही छत पर मानते थे. ज्यादातर लोग दर्धा जमुना संगम ठाकुरबारी छठ घाट पर छत पर मनाने के लिए जाते थे. ढाई दशक पहले इस जगह पर आबादी भी कम थी. अब इस जगह पर आबादी बहुत बढ़ गई है. आसपास के लोग ज्यादातर इसी छठ घाट पर छत पर मानाने लगे हैं. जिसके कारण इस जगह पर श्रद्धालु और छठवृतियों की भीड़ काफी बढ़ जाती है. हालांकि तत्कालीन संजय अग्रवाल के समय ही जब तालाब का निर्माण कराया गया था तो इस समय छठ घाट को देवी मंदिर तक विस्तारित कर दिया गया था. किंतु इसके आगे नदी होने और नदी में गंदा जल रहने के कारण छठ पर्व करना संभव नहीं है. अगर तालाब को देवी मंदिर तक विस्तारित कर दिया जाये तो बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस जगह पर छठ पर्व मना सकते हैं. किंतु डीएम संजय अग्रवाल के बाद किसी जिला अधिकारी अथवा नगर परिषद प्रशासन या बोर्ड के द्वारा इस ऒर ध्यान नहीं दिया गया.
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