सारण के स्वाभिमान, बिहार के गौरव व भारत के रत्न थे डॉ राजेंद्र प्रसाद
भारत के प्रथम राष्ट्रपति एवं भारत रत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद की जयंती के अवसर पर मंगलवार को केकेएम कॉलेज के स्नातकोत्तर अर्थशास्त्र विभाग में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया.
जमुई . भारत के प्रथम राष्ट्रपति एवं भारत रत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद की 141वीं जयंती के अवसर पर मंगलवार को केकेएम कॉलेज के स्नातकोत्तर अर्थशास्त्र विभाग की ओर से उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर विशेष विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष डॉ गौरी शंकर पासवान ने कहा कि डॉ राजेंद्र प्रसाद सारण का स्वाभिमान, बिहार का गौरव और भारत के रत्न थे. वे उच्च कोटि के विद्वान, लेखक, चिंतक और आधुनिक राजनीति के पावन प्रतीक थे. उन्होंने कहा कि डॉ राजेंद्र प्रसाद की सरलता, निर्भिमानता और विनयशीलता अद्वितीय थी. बिहार की धरती ने अनेकों प्रतिभाएं दी हैं, लेकिन उनके जैसा विनम्र नेतृत्व और अद्भुत विद्वता का संगम विरले ही देखने को मिलता है. बिहार की मिट्टी से उठकर वे विश्व पटल पर चमकने वाले नक्षत्र बने. तीन दिसंबर 1884 को सारण के जीरादेई गांव में जन्मे डॉ राजेंद्र प्रसाद 1946 में देश के पहले खाद्य मंत्री बने. 26 जनवरी 1950 को भारत के प्रथम राष्ट्रपति बने और 13 मई 1962 तक इस पद पर रहे. उसी वर्ष उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया. वे संविधान सभा के अध्यक्ष भी रहे. 1939 में कांग्रेस के अध्यक्ष और 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई. उच्च कोटि के बैरिस्टर के रूप में कोलकाता व पटना हाईकोर्ट में प्रैक्टिस की. आजादी की लड़ाई के दौरान तीन वर्ष जेल में भी रहे.
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