नवान्न पूजा कर पुरखों को समर्पित करते हैं नया अन्न

जमुई : भारतीय संस्कृति में पर्व और त्यौहार का अपना एक अलग ही स्थान है. अलग-अलग मौकों पर खुशियां मनाने के लिए लोग अलग-अलग त्योहार मनाते हैं. लेकिन ग्रामीण इलाकों में कुछ पूजा और त्योहार आज भी ऐसे हैं जिसे लोग काफी अलग तरीके से मनाते हैं. जिसमें नवान्न पूजा अपने आप में एक अलग […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 21, 2017 6:37 AM

जमुई : भारतीय संस्कृति में पर्व और त्यौहार का अपना एक अलग ही स्थान है. अलग-अलग मौकों पर खुशियां मनाने के लिए लोग अलग-अलग त्योहार मनाते हैं. लेकिन ग्रामीण इलाकों में कुछ पूजा और त्योहार आज भी ऐसे हैं जिसे लोग काफी अलग तरीके से मनाते हैं. जिसमें नवान्न पूजा अपने आप में एक अलग ही महत्व रखता है. भारत में खासकर किसानों के फसल चक्र को देखते हुए कई पूजा का आयोजन किया जाता है.

जिसमें धान की फसल की कटाई तथा कुटाई हो जाने के बाद लोग मकर संक्रांति के अवसर पर त्योहार मनाते हैं. इस दौरान लोग दही-चूड़ा का सेवन करते हैं तो वहीं अन्य राज्यों में बिहू और भोगाल बिहू जैसे पर्व मनाए जाते हैं. कुछ इसी तरह जब धान की नई फसल तैयार होती है तब ग्रामीण इलाकों में बड़ी जोर शोर से नवान्न पूजा का आयोजन किया जाता है.

धान से तैयार खाद्य पदार्थ का करते हैं सेवन
नवान्न पूजा को लेकर ऐसी परंपरा रही है कि इस दिन खेतों में तैयार हो चुके नए धान की फसल को काटकर घर लाया जाता है. तथा उससे नया चावल व चूड़ा बनाकर उसे भगवान तथा अपने पुरखों को समर्पित किया जाता है. इस दिन लोग धान से तैयार अन्न का खुद भी सेवन करते हैं. नवान्न पूजा को लेकर एक परंपरा यह भी है की इससे तैयार नए चावल का लोग पूरे साल अपने घर में पूजा के दौरान अक्षत के रूप में इस्तेमाल करते हैं. लोग इसे छोटी मकर संक्रांति के रूप में भी मानते हैं.
गंगरा में हाेने वाली पूजा है प्रसिद्ध
जिले के गिद्धौर प्रखंड अंतर्गत पड़ने वाले गंगरा में स्थित बाबा कोकिलचंद स्थान में मनाया जाने वाला सालाना नवान्न पूजा का अपना एक अलग ही स्थान है. इस दौरान गंगरा में पूरी निष्ठा और श्रद्धा भक्ति के साथ बाबा कोकिलचंद धाम पर नवान्न पूजा का आयोजन किया जाता है तथा बड़े पैमाने पर दही चूड़ा का भोज भी किया जाता है. इस पूजा में शामिल होने के लिए जिले भर के लोग बड़ी श्रद्धा पूर्वक जाते हैं तथा चूड़ा दही का प्रसाद ग्रहण करते हैं. जिसके बाद किसान फिर से एक बार अपने खेतों की ओर लौट जाते हैं तथा बड़े पैमाने पर धान फसल की कटाई और कुटाई में जुट जाते हैं. नवान्न पूजा को लेकर जिले के कई प्रखंडों में लोगों को अलग-अलग तरीके से तैयारी करते हुए देखा जा सकता है. अगहन मास में मनाए जाने वाले इस त्यौहार को लेकर बड़े और छोटे किसान तैयारी में लगे हुए हैं.

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