Income Tax Return: नया या पुराना किस स्लैब में भरें इनकम टैक्स? समझे पूरी बात नहीं तो गलती कर देगी कंगाल

Income Tax Return: एसेसमेंट इयर 23-24 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न भरना शुरू हो गया है. 31 जुलाई तक अंतिम तिथि है. उसके बाद पांच लाख से कम आय वालों से एक हजार और पांच लाख से ज्यादा इनकम वालों को पांच हजार पेनाल्टी लगेगी.

By Prabhat Khabar Print Desk | April 20, 2023 7:00 AM

Income Tax Return: एसेसमेंट इयर 23-24 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न भरना शुरू हो गया है. 31 जुलाई तक अंतिम तिथि है. उसके बाद पांच लाख से कम आय वालों से एक हजार और पांच लाख से ज्यादा इनकम वालों को पांच हजार पेनाल्टी लगेगी. इस समय रिटर्न भरने वालों को ओल्ड और न्यू स्कीम से एक चुनना है. विभागीय साइट पर दोनों फॉर्म उपलब्ध है. ऐसे में कोन-सा स्कीम उनके लिए फायदेमंद होगा. यह जानना जरूरी है. इनकम टैक्स के अधिवक्ता और टैक्सेशन बार एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रदीप कुमार ने स्लैब के चुनाव से पहले कुछ बातों पर ध्यान रखना जरूरी बताया है.

टैक्स स्लैब को समझें

नयी या पुरानी कर व्यवस्था का चुनाव करने से पहले सही आय का अनुमान लगा लें. अगर आपकी सालाना आय 15 लाख रुपये तक या इससे कम है और अगर आप ने किसी तरह का निवेश नही कर रखा है तो उसके लिए नयी व्यवस्था अच्छी रहेगी. नयी कर व्यवस्था के तहत 20 फीसदी का टैक्स लगता है, जबकि पुरानी व्यवस्था के तहत 25 फीसदी का भुगतान करना होगा.

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निवेशकों के लिए जरूरी बातें

अगर आप ऐसे करदाता है, जिसने जीवन बीमा, स्वास्थ्य बीमा, पेंशन प्लान जैसी कई योजनाओं पर निवेश कर रखा है, साथ ही होम लोन या इसी तरह के लोन के प्रीमियम का भुगतान कर रहे हैं, तो पुरानी कर व्यवस्था का चुनाव करें. ऐसा इसलिए कि नयी व्यवस्था के तहत करदाता आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत किसी भी डिडक्शन का क्लेम नही कर सकेंगे. ऐसे में उन्हें 1.50 लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ेगा और सिर्फ स्टैंडर्ड डिडक्शन के रूप में 50 हजार रुपये की ही छूट ही मिल सकेगी.

एचआरए और टीएलए के लिए जरूरी

अगर करदाता किराये के मकान में रहता है या उसकी जॉब ट्रैवल वाली है तो इस वजह से उसे हाउस रेंट अलाउंस और लीव ट्रैवल अलाउंस जैसे रिबेट मिलते हैं जो कर मुक्त होता है. ऐसे में अगर यह राशि ज्यादा है तो पुरानी कर व्यवस्था में बने रहें. नयी व्यवस्था में इसका लाभ नहीं मिलेगा.

विकल्प बदलने का मौका

शुरुआत में अगर नही समझ में आ रहा की कौन सी व्यवस्था सही रहेगी तो बेहतर है पुराने में बने रहें. इसके बाद के वित्तीय वर्ष में नयी व्यवस्था में जाया जा सकता है, लेकिन अगर करदाता एक बार नयी कर व्यवस्था का चुनाव कर लेते हैं तो वापस पुरानी टैक्स स्कीम में जाना मुमकिन नहीं.

दोनों व्यवस्थाओं की करें तुलना

अगर आपने आय और व्यय का ब्योरा तैयार कर लिया है तो अंत में दोनों व्यवस्थाओं की तुलना करके सही निर्णय लिया जा सकता है. आयकर विभाग की साइट में इनकम टैक्स कैलकुलेटर दिया गया है, जिसकी मदद से आय और कटौती के आधार पर सबसे उपयुक्त कर व्यवस्था निर्धारित की जा सकती है.

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