Sawan 2022 : नगर महादेव के नाम से प्रसिद्ध हैं बाबा पातालेश्वर नाथ मंदिर, यहां पाताल से प्रकट हुए थे शिव

यहां लगने वाले मेले में हजारों लोग पहुंच कर पूजा-अर्चना करते है. और मनवांछित फल की कामना करते हैं. नगर महादेव के नाम से प्रसिद्ध पातालेश्वर नाथ मंदिर में मेले की भव्य तैयारी की गयी है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 19, 2022 9:13 AM

सावन की पहली सोमवारी को लेकर भोलेनाथ के भक्तों में असीम उत्साह है. नगर स्थित बाबा पातालेश्वर नाथ मंदिर जिले में शिवभक्तों की आस्था का केंद्र है. स्थानीय मस्जिद चौक से चौहट्टा चौक के बीच भरत राउत कटरा मुहल्ले में स्थित यह मंदिर बारहों मास श्रद्धालुओं से गुलजार रहता है, लेकिन सावन में विशेष आकर्षण का केंद्र बन जाता है.

हजारों लोग करते हैं पूजा 

सावन में यहां लगने वाले मेले में हजारों लोग पहुंच कर पूजा-अर्चना करते है. और मनवांछित फल की कामना करते हैं. नगर महादेव के नाम से प्रसिद्ध पातालेश्वर नाथ मंदिर में मेले की भव्य तैयारी की गयी है. इस अवसर पर मंदिर की विशेष सजावट, भगवान शिव का शृंगार एवं आरती नगरवासियों को अपनी ओर खींच लेती है.

पाताल से प्रकट हुए थे शिव

बुजुर्गों एवं जानकारों का कहना है कि इस मंदिर में अलौकिक शक्ति विद्यमान है. यहां भगवान शिव पाताल से साक्षात प्रकट हुए थे. यहां सच्चे हृदय से आने वाले भक्तों की मुरादें पूरी होती हैं. मुगल कालीन समय में जब गंगा के उत्तरी तथा गंडक के पूर्वी क्षेत्र का नाम उकबेलपुर था, तब इसी क्षेत्र के हाजीपुर नगर के ताजपुर मुहल्ले में कुछ अलौकिक चीजों का भान हुआ. सन 1652 से 1707 के बीच औरंगजेब के शासन काल में यहां घना जंगल था. किंवदंती है कि इसी जंगल में अनेक तरह के सर्प मणि निकाल कर उसी की रोशनी में विचरण करते थे. इसी स्थान पर एक विशाल वट वृक्ष था. सर्प इन क्रियाओं के बाद उसी वृक्ष की जड़ की गुफा में समा जाते थे.

जमीन से प्रकट हुआ था शिवलिंग 

1887 में इस प्रस्तर शिवलिंग की आधार भूमि का पता लगाने के लिए लगभग 10 फुट के ब्यास में गहरी खुदाई की गयी. खुदाई के दौरान यहां पानी निकल आया और यह गड्ढा एक बड़े कूप में तब्दील हो गया. यह कूप इलाके में सिंचाई का साधन बन गया और यहां की बंजर भूमि पर फसलें लहलहाने लगीं. 1888 में कूप की उड़ाही हुई, लेकिन आधार भूमि का पता नहीं चल पाया. बाद में इसे भरवा दिया गया. कुछ दिनों के बाद उसी शिवलिंग को जमीन के ऊपर प्रकट रूप में देखा गया. लोगों ने शिवलिंग की चारों तरफ एक कच्चा घेरा बनाकर पूजा-अर्चना शुरू कर दी. तब से यह स्थान पातालेश्वर स्थान के नाम से प्रसिद्ध हो गया.

Also Read: Sawan 2022: माता-पिता को कांवर पर बैठाकर बाबाधाम निकले बेटा-बहू, जानिये कलयुग के श्रवण कुमार की कहानी
सब की मनोकामना पूरी करते हैं बाबा

नगरवासियों का ऐसा विश्वास है कि बाबा पातालेश्वर नाथ मंदिर में पूजा-अर्चना करने वाले भक्तों की पुकार बाबा सुनते है. और उनकी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. 1895 में इस परिसर का मिठइया ईंट से निर्माण किया गया, जिसका क्षेत्रफल वर्तमान में करीब 22800 वर्ग फुट है. करोड़ों की लागत से इस पर भव्य मंदिर का निर्माण किया जा रहा है.

Next Article

Exit mobile version