केंद्रांश घटाने से ग्रामीण विकास विभाग पर छह अरब 44 करोड़ का बोझ

केंद्रांश घटाने से ग्रामीण विकास विभाग पर छह अरब 44 करोड़ का बोझकेंद्र प्रायोजित योजनाओं में मिलाना पड़ रहा है 40 फीसदी राज्यांशसंवाददाता, पटनाकेंद्र सरकार द्वारा राज्य में ग्रामीण विकास विभाग के माध्यम से चलायी जा रही योजनाएं राज्यों के लिए बोझ बनती जा रही हैं. आरंभ में राज्य सरकारों को केंद्र प्रायोजित योजनाओं में […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 8, 2016 12:00 AM

केंद्रांश घटाने से ग्रामीण विकास विभाग पर छह अरब 44 करोड़ का बोझकेंद्र प्रायोजित योजनाओं में मिलाना पड़ रहा है 40 फीसदी राज्यांशसंवाददाता, पटनाकेंद्र सरकार द्वारा राज्य में ग्रामीण विकास विभाग के माध्यम से चलायी जा रही योजनाएं राज्यों के लिए बोझ बनती जा रही हैं. आरंभ में राज्य सरकारों को केंद्र प्रायोजित योजनाओं में महज 10 फीसदी राशि राज्यांश के रूप में लगानी होती थी. इसके अलावा अन्य राशि का उपयोग राज्य सरकार द्वारा अपने द्वारा निर्धारित विकास के कार्यों पर खर्च किया जाता था. अब केंद्र सरकार ने केंद्रीय योजनाओं में राशि का अनुपात घटा दिया है. इसका असर राज्य के विकास कार्यों पर दिखने लगा है. ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने बताया कि मनरेगा को छोड़ केंद्र सरकार ने ग्रामीण विकास की सभी योजनाओं में अपना हिस्सा कम कर लिया है. साथ ही राज्यों को केंद्रीय योजनाओं में अधिक राशि मिलाने की गाइडलाइन तैयार की है. उन्होंने बताया कि इसका नतीजा है कि ग्रामीण विकास की सिर्फ दो योजनाओं में राज्यांश छह अरब 44 करोड़ 40 लाख 96 हजार रुपये हो गया है. गरीबों की हिमायती कहलानेवाली केंद्र सरकार ने इंदिरा अावास योजना में वित्तीय वर्ष 2015-16 में केंद्र व राज्य का अनुपात 90ः10 को बढ़ाकर 90ः25 कर दिया. पिछले वर्ष इस वृद्धि के कारण राज्य सरकार पर सिर्फ इंदिरा आवास योजना मद में 599 करोड़ 68 लाख का अतिरिक्त बोझ बढ़ गया. इसी तरह से 2015-16 में जीविका मिशन में राज्यांश को 10 से 25 का अनुपात कर देने से राज्य सरकार पर 217 करोड़ 17 लाख 31 हजार का अतिरिक्त बोझ बढ़ गया. इस वित्तीय वर्ष में केंद्र सरकार ने राज्यांश को 40 का अनुपात कर देने के कारण इंदिरा आवास योजना में राज्य सरकार को 471 करोड़ 29 लाख 83 हजार का अतिरिक्त बोझ बढ़ा है. इसी तरह से जीविका योजना में राज्य सरकार को इस वित्तीय वर्ष में 173 करोड़ 29 लाख 96 हजार का अतिरिक्त वित्तीय बोझ बढ़ा है.

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