आपके बच्चे अगर करते हैं इस तरह की हरकतें तो हो जाए सावधान ! मानें मनोचिकित्सक की यह बात

बच्चे घर के बाद सबसे ज्यादा समय शिक्षक संस्थान में गुजारते है. बच्चों के प्रति अभिभावक ज्यादा संवेदनशील होते है. इस वजह से बच्चों पर पढ़ाई को लेकर दबाव बनाने लगते है. जिससे बच्चे दबाव में महसूस करने लगते है. परिणाम ये मनोरोगी बनने लगते है.

By Prabhat Khabar | August 20, 2022 5:15 AM

भागलपुर: शिक्षण संस्थान में आने वाले बच्चे कहीं मानसिक रोग के शिकार तो नहीं अब इसकी परख शिक्षक करेंगे. जिले में शिक्षकों को इसके लिए प्रशिक्षण दिया जायेगा, जिसमें सरकारी व निजी स्कूल के शिक्षक शामिल होंगे. एक बैच में पच्चीस शिक्षक होंगे. सरकार ने इसके लिए फंड भी उपलब्ध करा दिया है. गैर संचारी रोग पदाधिकारी सह मनोचिकित्सक डॉ. पंकज मनस्वी के अनुसार प्रशिक्षण को लेकर शिक्षकों में उत्साह देखा जा रहा है.

अभिभावक बचपन की हरकत समझ कर देते है नजर अंदाज

बच्चे घर के बाद सबसे ज्यादा समय शिक्षक संस्थान में गुजारते है. बच्चों के प्रति अभिभावक ज्यादा संवेदनशील होते है. इस वजह से बच्चों पर पढ़ाई को लेकर दबाव बनाने लगते है. जिससे बच्चे दबाव में महसूस करने लगते है. परिणाम ये मनोरोगी बनने लगते है. घर में अभिभावक इसको नजर अंदाज कर देते है. स्कूल में मनोरोग का शिकार बच्चे का व्यवहार सामान्य बच्चे से अलग हो जाता है. ऐसे बच्चे आसानी से शिक्षक की नजर में आ जाते है. शिक्षक भी जानकारी के अभाव में इन बच्चों को शरारती मान फटकार लगा छोड़ देते हैं. ऐसे में शिक्षक अगर प्रशिक्षित होंगे तो ऐसे बच्चों की पहचान कर उसका काउंसेलिग आसानी से कर देंगे.

इस तरह की हरकत बच्चे करे तो हो जाये सावधान

छोटी-छोटी वजह से अभिभावक बच्चे से डांट-फटकार के बाद मारपीट तक कर देते है. ऐसे बच्चे भावनात्मक रूप से कमजोर होने लगते है. इसके बाद ये घर, स्कूल में ज्यादा मारपीट करने लगते है. सामान को तोड़ देते हैं, तो कुछ एकांत में रहने लगते हैं. हमेशा गुस्से में रहते हैं, अशब्द का भी प्रयोग करने लगते है. यानी बच्चे ज्यादा शरारत करते है. किसी की बात को नहीं सुनते है.

आप के बच्चे किसी से कम नहीं

डॉ. पंकज मनस्वी कहते हैं कि अभिभावक यह माने की उनके बच्चे किसी से कम नहीं है. उसे बेहतर माहौल दे. बातों को समझाने का प्रयास करे. बच्चों में कमी अगर आप देख रहे है तो उसको लेकर हमेशा ताना नहीं दे. इससे बच्चे की परेशानी बढ़ जायेगी.

एक दिन के प्रशिक्षण में मिलेगी जानकारी

मनोरोग का शिकार हो चुके बच्चे को कैसे इससे निकाला जाये इसके लिए एक दिन का प्रशिक्षण दिया जायेगा. एक बेच में पच्चीस शिक्षक होंगे. गैर संचारी रोग पदाधिकारी सह मनोचिकित्सक डॉ. पंकज मनस्वी कहते है बच्चे को कैसे हैंडल करना है इसके बारे में विस्तार से जानकारी दी जायेगी. कुल आठ बेच में यह प्रशिक्षण होगा. इसके बाद बच्चे की परेशानी को देखते हुए शिक्षक सारी बात समझ लेंगे. उससे दोस्ती कर परेशानी को जान काउंसेलिग कर देंगे. अगर समस्या गंभीर हो तो उसे मनोचिकित्सक के पास जाने की सलाह अभिभावक को दे सकते हैं. मामूली इलाज से मनोचिकित्सक ऐसे बच्चों का बचपना आसानी से वापस ले आते है.

Next Article

Exit mobile version