ग्रामीण रुचि के कहानीकार थे रामदेव झा

लनामिवि के पीजी मैथिली विभाग में रामदेव झा की जयंती पर व्याख्यान माला का आयोजन किया गया. इसका विषय ''रामदेव झाक कथा साहित्य'' था.

By Prabhat Khabar | May 3, 2024 11:32 PM

दरभंगा. लनामिवि के पीजी मैथिली विभाग में रामदेव झा की जयंती पर व्याख्यान माला काआयोजन किया गया. इसका विषय ””””””””रामदेव झाक कथा साहित्य”””””””” था. मुख्य वक्ता विभूति आनंद ने कहा कि रामदेव झा ग्रामीण रूचि के कहानीकार थे. उनकी कहनियों में गांव, गांव के लोग, उनकी रूचि, संस्कार, पोखर, गाछी एवं मिथिला में प्रचलित रीति- रिवाज व्यक्त हुए हैं. आज के कहानीकार शहर में रहते हुए कहानियों में गांव के चित्र खींचते हैं. रामदेव झा गांव में रहकर पल- प्रतिपल बदल रहे रीति -नीति, चाल- चलन आदि पर अपनी लेखनी चलाते रहे. रामदेव झा किसी खास धारा के लेखक नहीं थे, फिर भी उनकी अलग और विशिष्ट पहचान थी, जो वास्तव में मैथिली कहानी के भाव व शिल्प को नया रूप देते हैं. विभागाध्यक्ष प्रो. दमन कुमार झा ने कहा कि रामदेव झा ने मैथिली साहित्य की विभिन्न विधाओं को जिस प्रकार से समृद्ध किया समाज उनका ऋणी रहेगा. वे सहज एवं मिलनसार थे. मिथिला-मैथिली की सेवा के लिए सदैव समर्पित रहते थे. वे अपने सहज स्वभाव से सभी के प्रिय थे. वे ललित, राजकमल एवं मायानन्द पीढ़ी के उल्लेखनीय कथाकार थे. इनकी कथावस्तु में यथार्थ जीवन की झलक स्पष्ट दिखाई पडती है. डाॅ अभिलाषा कुमारी ने कहा कि रामदेव झा बहु- विधावादी लेखक थे. डॉ सुरेश पासवान ने कहा कि अपने अनुसन्धान से मैथिली साहित्य को नयी दिशा दी. डॉ अभिलाषा कुमारी ने संचालन तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ सुनीता कुमारी ने किया. व्याख्यान में शोधार्थी शालिनी कुमारी, शीला कुमारी, पवन कुमार, राहुल राज गुप्ता, रौशन, भोगेन्द्र प्रसाद सिंह, मिथलेश कुमार चौधरी, मनोज आदि मौजूद थे.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version