रफ्तार पर कोहरे ने लगायी ब्रेक

असुविधा. घंटों विलंब से चल रहीं लंबी दूरी की ट्रेनें दरभंगा : घुप कोहरे ने ट्रेनों की रफ्तार पर ब्रेक लगा दी है. लंबी दूरी की गाड़ियां घंटों विलंब से चल रही हैं. इसका खामियाजा यात्रियों को भुगतनी पड़ रही है. इस कड़ाके की ठंड में जंकशन पर रात गुजारनी पड़ रही है. इससे सबसे […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 8, 2016 6:03 AM

असुविधा. घंटों विलंब से चल रहीं लंबी दूरी की ट्रेनें

दरभंगा : घुप कोहरे ने ट्रेनों की रफ्तार पर ब्रेक लगा दी है. लंबी दूरी की गाड़ियां घंटों विलंब से चल रही हैं. इसका खामियाजा यात्रियों को भुगतनी पड़ रही है. इस कड़ाके की ठंड में जंकशन पर रात गुजारनी पड़ रही है. इससे सबसे ज्यादा परेशानी सुदूर ग्रामीण क्षेत्र से आनेवाले यात्रियों को झेलनी पड़ रही है. आलम यह है कि कौन सी गाड़ी कब जायेगी, इसका कोई अता-पता नहीं रहता. यह भी तय नहीं रहता कि ट्रेन जायेगी ही. अंतिम समय में कई बार गाड़ियों को रद्द भी कर दिया जाता है. इससे यात्रियों को समस्या तो होती ही है, विभाग को राजस्व की हानि होती है. जिस तरह से ट्रेनों की लेटलतीफी बढ़ती जा रही है, उससे आनेवाले दिनों में समस्या और बड़ी होने की आशंका है.
ससमय नहीं दी जाती है सूचना
रेलवे ट्रेनों की लेटलतीफी की सूचना ससमय यात्रियों को नहीं दे पाता है. निर्धारित समय पर यात्री जंकशन पर पहुंच जाते हैं. पता चलता है कि ट्रेन तो अभी आयी नहीं है. सुदूर कुशेश्वरस्थान, बिरौल, तारडीह आदि क्षेत्र से आनेवाले यात्रियों के लिए वापस घर जाना भी संभव नहीं हो पाता. इस कारण उन्हें पूरी रात जंकशन पर गुजारनी पड़ती है.
ठिठुरते रहते यात्री : जंकशन से यात्रा आरंभ करने के लिए मधुबनी, सीतामढ़ी, सुपौल जिलों से भी यात्रियों का आगमन होता है. ट्रेनों की लेटलतीफी की सजा आवक गाड़ी के पैसेंजरों को भी भुगतनी पड़ रही है. देर रात ट्रेन से उतरने वालों को भी ठंड में ठिठुरते हुए रात गुजारनी पड़ती है.
परेशानी में यात्री: यहां से औसतन प्रतिदिन 35 हजार यात्री आवागमन करते हैं. एक दिन ट्रेन रद्द होने पर आरक्षण ले चुके यात्रियों को दोबारा आरक्षण लेना मुश्किल भरा होता है. प्राय: सभी गाड़ियां फुल चला करती हैं. चार महीने पहले ही आरक्षण से अधिकांश गाड़ियों में भर जाती है. ऐसे में जो आरक्षण करा चुके होते हैं, उनके लिए फिर से आरक्षण लेना कितना कठिन होता है, इसका सहज अनुमान लगाया जा सकता है.
ठंड में जंकशन पर रात गुजारते हैं यात्री
कुहासे में स्टेशन पर खड़ी होती बिहार संपर्क क्रांति.
एक हफ्ते में पांच ट्रेने हो चुकी हैं रद्द
पिछले तीन दिनों से मौसम ने अपना मिजाज बदला है. दो दिनों से धुंध लग रहा है, लेकिन ट्रेनों की रफ्तार तो पिछले करीब एक माह से लगातार मद्धम पड़ती जा रही है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि महज पिछले एक सप्ताह में यहां से गुजरनेवाली पांच ट्रेनें रद्द हो चुकी हैं. वहीं कई गाड़ियां ऐसी भी रवाना हुईं जो अपने निर्धारित समय से 24 घंटे से भी अधिक विलंब से जा सकी. नई दिल्ली जानेवाली स्वतंत्रता सेनानी सुपर फास्ट एक्सप्रेस चार दिन रद्द हो चुकी है, वहीं एक दिन शहीद एक्सप्रेस को कैंसिल किया जा चुका है.

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