बिहार के किसानों के लिए सरकारी दर पर आया यूरिया पहुंच रहा नेपाल के बाजारों में

मोतिहारी : जिले की खाद का लाभ पड़ोसी देश नेपाल के किसान उठा रहे हैं. जिले के किसानों को सरकारी दर पर उर्वरक नहीं मिलती. उन्हें महंगे दाम पर खरीदने को मजबूर होना पड़ता है. तस्कर उर्वरक खरीद कर चोरी छुपे गांवों के रास्ते उसे नेपाल के बाजारों में पहुंचा रहे हैं.

By Prabhat Khabar | September 1, 2020 9:34 AM

अमरेश सिंह, मोतिहारी : जिले की खाद का लाभ पड़ोसी देश नेपाल के किसान उठा रहे हैं. जिले के किसानों को सरकारी दर पर उर्वरक नहीं मिलती. उन्हें महंगे दाम पर खरीदने को मजबूर होना पड़ता है. तस्कर उर्वरक खरीद कर चोरी छुपे गांवों के रास्ते उसे नेपाल के बाजारों में पहुंचा रहे हैं. वहां उन्हें अच्छी कीमत मिलती है. इंडो-नेपाल खुला बॉर्डर होने से उर्वरक की तस्करी के कारण स्थानीय बाजार में उर्वरक का हमेशा अभाव रहता है. यहां की खाद से नेपाल की फसलें लहलहाती हैं, तो सीमाई प्रखंडों में उर्वरक मयस्सर नहीं होती. जिले में हहाकार मची रहती है. एक बोरी खाद के लिए दुकान-दर-दुकान का चक्कर काटना पड़ता है. अगर कहीं मिलता भी है तो आसमान छूते दाम से किसान निशब्द हो जाता है. कमोवेश यही स्थिति जिले के सभी 27 प्रखंडों में है. जबकि महज पांच प्रखंड ही सीमा से जुड़े हैं. लेकिन सिस्टम में दोष के कारण अन्य प्रखंडों में भी हाहाकार मचा रहता है. जिले को प्राप्त आधे से अधिक उर्वरक सीमा व सीमा से सटे प्रखंडों को आवंटित होते हैं, जिसका लाभ तस्कर उठाते हैं.

मांग के हिसाब से रोज तय होता है खाद का दाम

मंडी की तरह उर्वरक का दर रोज तय होती है. फसल खेत में लगी है और बारिश हो गयी तो उर्वरक के दाम आसमान छूने लगते हैं. बारिश के बाद फसल में यूरिया की टॉप डेसिंग के लिए मांग बढ़ जाती है. इस मौके का फायदा खुदरा दुकानदार खूब उठाते हैं. खाद की दर में प्रति बैग 50 से 100 रुपये तक का इजाफा हो जाता है. इसके अलावे बोर्डर पर सख्ती व नेपाल में उर्वरक के अभाव होने का असर भी स्थानीय बाजार में दाम पर पड़ता है. तस्करी में कोई बाधा आयी और बाजार में उपलब्धता है तो सरकारी दर व बाजार मूल्य में थोड़ा अंतर होता है. लेकिन तस्करी पीक पर है तो उर्वरक के दाम आसमन छूने लगते हैं.

प्रशासन के नाक के नीचे होती है तस्करी

सीमा के प्रखंडों में बड़े पैमाने पर उर्वरक की तस्करी होती है. यह सारा कुछ प्रशासन के संज्ञान में होता है. इसमें पुलिस, प्रखंड व अंचल के अधिकारी सहित सुरक्षा में तैनात एजेंसियों की संलिप्तता से इंकार नहीं किया जा सकता. जबकि तस्करी को रोकने लिए प्रखंड स्तरीय उर्वरक निगरानी समिति भी गठित है. समिति में प्रशासनिक पदाधिकारी के अलावे जन-प्रतिनिधि भी सदस्य हैं. इनका काम तस्करी व कालाबाजारी पर नजर रखना होता है. इसके अलावे खुला बोर्डर की निगरानी में एसएसबी भी तैनात है. फिर भी उर्वरक की तस्करी नहीं रुक रही. कार्रवाई में तस्कर पकड़े भी जाते हैं, इसके बाद भी प्रशासन का कोई खौफ नहीं दिखता. खुलेआम ट्रक से उर्वरक उतरती है और कैरियर उर्वरक को साइकिल व बाइक से एक-दो बैग कर नेपाल ले जाते हैं.

posted by ashish jha

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