बिहार में सिंगल यूज प्लास्टिक पकड़े जाने पर लगेगा एक लाख तक का जुर्माना, पांच साल तक की जेल

राज्य में पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सिंगल यूज प्लास्टिक का निर्माण और उपयोग करते पकड़े जाने वालों को 15 दिसंबर से एक लाख रुपये तक जुर्माना या पांच साल तक की सजा या दोनों तरह का दंड दिया जा सकता है. इसमें प्लास्टिक के साथ थर्मोकोल भी शामिल है.

By Prabhat Khabar | June 30, 2021 7:25 AM

पटना. राज्य में पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सिंगल यूज प्लास्टिक का निर्माण और उपयोग करते पकड़े जाने वालों को 15 दिसंबर से एक लाख रुपये तक जुर्माना या पांच साल तक की सजा या दोनों तरह का दंड दिया जा सकता है. इसमें प्लास्टिक के साथ थर्मोकोल भी शामिल है.

इसके तहत प्लेट, कप, ग्लास, कांटा, चम्मच, कटोरी, प्लास्टिक परत वाले प्लेट, कप, पानी के पाउच या बोतल, प्लास्टिक के झंडे, बैनर और ध्वज पट्ट शामिल हैं. इस संबंध में 18 जून को अधिसूचना जारी हो चुकी है और 18 जून से 180 दिन तक की अवधि में सिंगल यूज प्लास्टिक का निर्माण और भंडारण खत्म करने का आदेश दिया गया है.

यह अवधि 14 दिसंबर, 2021 को खत्म हो रही है. इसलिए दंडात्मक प्रावधान 15 दिसंबर से लागू हो जायेंगे. सूत्रों के अनुसार इससे पहले राज्य कैबिनेट से मंजूरी के बाद पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने 18 जून को इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी थी.

अब गजट के अनुसार सिंगल यूज प्लास्टिक या थर्मोकोल से सामग्री बनाने वालों, थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, दुकानदारों और फेरीवाले को 14 दिसंबर तक अपना स्टॉक खत्म कर देना होगा, जिससे कि यह सामग्री आम लोगों को उपयोग के लिए नहीं मिल सके.

ये करेंगे मॉनीटरिंग

सिंगल यूज प्लास्टिक का निर्माण और इस्तेमाल रोकने के लिए नियमों का पालन करवाने और इसकी मॉनीटरिंग की जिम्मेदारी भी तय कर दी गयी है. इसके लिए बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद के अध्यक्ष, नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव, पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव को जिम्मेदारी दी गयी है. ये निर्देशों की अवहेलना करने वालों के विरुद्ध केस दर्ज करवा सकेंगे.

क्यों लगाया जा रहा प्रतिबंध

सूत्रों के अनुसार थर्मोकोल सहित सिंगल यूज प्लास्टिक से बनी चीजें आसानी से खत्म नहीं होती हैं. ये नालियों को जाम कर देती हैं. साथ ही मिट्टी को प्रदूषित कर देती हैं, जिससे उर्वरा शक्ति कम होने से फसलों के उत्पादन में कमी आ जाती है. जहां-तहां फेंके जाने से जानवर इन्हें खा लेते हैं, जिससे उनका जीवन संकट में आ जाता है. इन्हें जलाने से विषाक्त गैसें निकलती हैं, जिससे वायु प्रदूषण की समस्या पैदा होती है. इस तरह ये वायु, जल और मिट्टी प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं.

50 माइक्रॉन्स से कम मोटाई का प्लास्टिक पहले से प्रतिबंधित

राज्य में 50 माइक्रॉन्स से कम मोटाई का प्लास्टिक कैरी बैग और प्लास्टिक शीट को राज्य सरकार ने 24 अक्तूबर, 2018 को सभी नगर निकायों में प्रतिबंध लगा दिया है. साथ ही 11 दिसंबर, 2019 की गजट अधिसूचना के माध्यम से सभी ग्राम पंचायतों में भी प्लास्टिक कैरी बैग के उपयोग पर प्रतिबंध है. इसमें उनके आकार और मोटाई का जिक्र नहीं है.

Posted by Ashish Jha

Next Article

Exit mobile version