बिहार में शराबबंदी कानून की सख्ती के लिए गठित विशेष टास्क फोर्स पर पटना हाई कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

Bihar News बिहार में बढ़ रही चोरी, लूट-पाट और सेंधमारी समेत अन्य आपराधिक घटनाओं पर रोक लगाने की बजाय केवल शराबबंदी कानून का पालन सख्ती से कराने के लिए गठित किए गए विशेष टास्क फोर्स पर पटना हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से 4 सप्ताह में जबाब तलब किया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 10, 2022 5:47 PM

Bihar News बिहार में राजधानी पटना समेत राज्य के अन्य हिस्सों में बढ़ रही चोरी, लूट-पाट और सेंधमारी समेत अन्य आपराधिक घटनाओं पर रोक लगाने की बजाय केवल शराबबंदी कानून का पालन सख्ती से कराने के लिए गठित किए गए विशेष टास्क फोर्स पर पटना हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से चार सप्ताह में जबाब तलब किया है.

मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश एस कुमार की खंडपीठ ने हाई कोर्ट के दो अधिवक्ता सुरेंद्र कुमार सिंह और संजीव कुमार मिश्रा द्वारा राज्य में बढ़ रहे आपराधिक घटनाओं पर रोक लगाने के लिये दायर लोकहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई करते यह निर्देश दिया. कोर्ट ने राज्य सरकार को स्पष्ट रूप से कहा कि इस लोकहित याचिका में उठाये गए सभी मुद्दों पर स्पष्ट जबाब दिया जाए.

कोर्ट को याचिकाकर्ता सुरेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि राज्य में चोरी, डकैती, हत्या समेत कई तरह की आपराधिक घटनाएं प्रतिदिन हो रही है. सरकार इन घटनाओं को रोक पाने में विफल साबित हो रही है. सरकार का काम केवल एक ही रह गया है और वह शराबबंदी कानून का सख्ती से पालन कराना है. इस काम के लिये सरकार ने विशेष टास्क फोर्स का गठन भी किया है.

याचिकाकर्ता ने कहा कि सरकार का ध्यान राज्य में बढ़ रही आपराधिक घटनाओं पर रोक लगाना नहीं रह गया है. इन्होंने कोर्ट को बताया कि सरकार को चाहिए कि विधि व्यवस्था, आपराधिक मामलों के अनुसंधान और शराबबंदी कानून को लागू कराने के लिये अलग-अलग पुलिस बल की प्रतिनियुक्ति करे. लेकिन, सरकार ने सभी थानों समेत अन्य पुलिस बलों को केवल शराब के मामले की जांच में लगा दिया है. सरकार के इस कार्य से प्रदेश में आपराधिक घटनाओं में वृद्धि हो रही है.

सुरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि राज्य में बढ़ रही आपराधिक घटनाओं पर रोक लगाने का निर्देश राज्य सरकार को देते हुए यह भी निर्देश दिया जाए कि वर्तमान में थानों में पदस्थापित पुलिस बलों की बजाय शराबबंदी कानून को लागू कराने के लिए अलग से अपने जरूरत के अनुसार पुलिस बल का गठन करे, ताकि राज्य में विधि व्यवस्था बनी रहे और आपराधिक घटनाओं पर रोक लग सके.

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