Bihar Assembly: विधानसभा में विधायकों की पिटाई के खिलाफ माले ने निकाला धिक्कार मार्च

Bihar Assembly: बिहार के जहानाबाद में माले नेताओं ने विहार विधान सभा में हुए जमकार बवाल के खिलाफ धिक्कार मार्च निकाला. संसद के सभी नियमों, परंपराओं को ताक पर रखकर हथियारबंद पुलिस, एसपी-डीएम को सदन के अंदर बुलवाकर नीतीश सरकार ने विपक्षी विधायकों की जमकर पिटाई करायी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 24, 2021 5:23 PM

Bihar Assembly: बिहार के जहानाबाद में माले नेताओं ने विहार विधान सभा में हुए जमकार बवाल के खिलाफ धिक्कार मार्च निकाला. संसद के सभी नियमों, परंपराओं को ताक पर रखकर हथियारबंद पुलिस, एसपी-डीएम को सदन के अंदर बुलवाकर नीतीश सरकार ने विपक्षी विधायकों की जमकर पिटाई करायी. नीतीश सरकार ने लात-घूंसे से पीटते हुए सदन से बाहर करने, महिला विधायकों की साड़ी, बाल खींच कर पिटाई करते हुए सदन से बाहर फेंकवा कर लोकतंत्र का गला घोट दिया है.

माले नेताओं ने कहा कि 24 मार्च बिहार ही नहीं देश के संसदीय इतिहास का काला दिन कहा जाएगा. नीतीश सरकार के इस घिनौनी और शर्मसार करने वाली हरकत के खिलाफ भाकपा-माले के राज्यव्यापी आह्वान तहत जहानाबाद में मजदूर, किसान, छात्र, नौजवान, गरीब-गुरबों ने बड़ी संख्या में माले कार्यालय से अरवल मोड़ तक धिक्कार मार्च निकाला तथा अरवल मोड़ पर घंटों सभा की.

मार्च का नेतृत्व किसान महासभा के राज्य सचिव रामाधार सिंह, माले जिला सचिव श्रीनिवास शर्मा, ऐपवा नेत्री कुंती देवी, खेग्रामस जिला सचिव प्रदीप कुमार, जिलाध्यक्ष सत्येंद्र रविदास, मोदनगंज सचिव बीतन मांझी, घोसी प्रखंड सचिव अरुण बिन्द, दिनेश दास, इंनौस नेता मुकेश पासवान, जिला कार्यालय सचिव श्याम पांडेय, जिला कमेटी सदस्य हसनैन अंसारी, दयानंद प्रसाद, मुन्ना देवी, बुद्धदेव यादव, गणेश दास, निर्माण मजदूर यूनियन के जिलाध्यक्ष इंद्रेश पासवान, मीट्ठू विश्वकर्मा, संतोष केसरी आदि नेतागण कर रहे थे.

अरवल मोड़ पर सभा को संबोधित करते हुए नेताओं ने कहा कि बिहार को पुलिस राज्य में तब्दील करने के लिए भाजपा संचालित नीतीश सरकार काला कानून बना पुलिस को बेपनाह अधिकार दे रही है. नागालैंड, मणिपुर, कश्मीर समेत कई राज्यों में पुलिस को विशेष अधिकार देकर जनता पर रूह कंपाने वाली बेशुमार अत्याचार किया गया है. नेताओं ने कहा कि बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक 2021 अंग्रेजी राज के दमनकारी कानूनों से भी ज्यादा खतरनाक है.

पुलिस राज थोपने वाला यह विधेयक के विरोध करने पर नीतीश सरकार आग बबूला हो उठी. नेताओं ने 26 मार्च को किसान आंदोलन के चार महीना पूरा होने पर जन विरोधी केंद्र की मोदी सरकार के दमनात्मक रवैया और जमीन समेत देश के सभी संसाधनों को कारपोरेटों के हवाले करने के खिलाफ किसान संगठनों के आह्वान पर आयोजित भारत बंद को सफल बनाने की अपील किया.

Posted by: Radheshyam Kushwaha

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