bhagalpur news. बरारी घाट का गंगाजल आचमन के भी योग्य नहीं, सुलतानगंज, महादेवपुर व कहलगांव घाट का पानी

बीते 13 जनवरी से प्रयागराज में जारी महाकुंभ स्नान के दौरान सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) ने संगम तट के जल की शुद्धता को लेकर डाटा जारी किया है.

By Prabhat Khabar News Desk | February 19, 2025 11:59 PM

भागलपुर

बीते 13 जनवरी से प्रयागराज में जारी महाकुंभ स्नान के दौरान सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) ने संगम तट के जल की शुद्धता को लेकर डाटा जारी किया है. बोर्ड ने पवित्र संगम के जल को स्नान के योग्य नहीं बताया है. हालांकि धार्मिक आस्था के कारण अब तक करोड़ों लोगों ने संगम में स्नान कर चुके हैं. इधर, अमृत स्नान की कई तिथि पर भागलपुर जिले के विभिन्न गंगातटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है. सीपीसीबी ने संगम के अलावा भागलपुर समेत बिहार के विभिन्न गंगाघाट के जल की शुद्धता का आंकड़ा जारी किया है. इसके तहत जिले के किसी भी घाट का पानी पीने योग्य नहीं है. इस पानी के प्रयोग पीने के लिए करने से पहले एडवांस ट्रीटमेंट की जरूरत होगी. वहीं सुलतानगंज, महादेवपुर व कहलगांव घाट का पानी स्नान के योग्य है. जबकि भागलपुर नगर निगम क्षेत्र में 38 बड़े नाले का पानी गंगा बेसिन में गिरने के कारण बरारी गंगा घाट का पानी स्नान या आचमन के भी योग्य नहीं है.

सुलतानगंज व महादेवपुर सबसे स्वच्छ घाट :

बरारी गंगाघाट के प्रति 100 मिलीलीटर पानी में कॉलीफॉर्म बैक्टिरिया की संख्या औसतन 35 हजार यूनिट है. जबकि यह महज 2500 होना चाहिए. यह 14 गुना अधिक है. हालांकि सुलतानगंज गंगाघाट व नवगछिया के महादेवपुर घाट की स्थिति बहुत अच्छी है. यहां कॉलीफॉर्म की मात्रा 1300 पायी गयी, जो औसत से बेहतर है. वहीं कहलगांव फेरी घाट में कॉलीफॉर्म 2100 पाया गया. ऐसे में जिले में सबसे स्वच्छ पानी सुलतानगंज व महादेवपुर घाट पर उपलब्ध है. इन घाटों पर जल में ऑक्सीजन की मात्रा भी मानक के अनुसार 5 से 6 मिग्रा/लीटर के आसपास है. जबकि बरारी घाट में ऑक्सीजन की मात्रा महज दो है.

कॉलीफॉर्म को खाने वाला बैक्टिरियोफेज कम हो रहा :

गंगानदी के बायोडायवर्सिटी के जानकार व जेपी विवि छपरा के पूर्व कुलपति डॉ फारुक अली ने बताया कि पानी के प्रदूषण स्तर को बढ़ाने वाला कॉलीफॉर्म बैक्टिरिया को बैक्टिरियोफेज नामक वायरस खा जाता है. इस कारण गंगाजल को बोतल में रखने के बावजूद यह कई वर्षों तक खराब नहीं होता था. लेकिन अब स्थिति बदल गयी है. इसके कई कारण हैं. इनमें गाद से गंगा की गहरायी कम होना, डैम बनाकर इसके प्रवाह को रोकना, नालों का पानी नदी में बिना ट्रीटमेंट के गिराना, आमलोगों द्वारा केमिकल युक्त प्रोडक्ट का अधिक प्रयोग इत्यादि.

गंगा घाट – कॉलीफॉर्म की मात्रा- ऑक्सीजन की मात्रा

बरारी – 35 हजार यूनिट/ एमएल – 2.2 मिग्रा/लीटर

सुलतानगंज – 1300 यूनिट/ एमएल – 5 से 6 मिग्रा/लीटर

महादेवपुर – 1300 यूनिट/ एमएल – 5 से 6 मिग्रा/लीटर

कहलगांव – 2100 यूनिट/ एमएल – 5 से 6 मिग्रा/लीटर

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