भागलपुर के 1237 स्कूलों में खेल मैदान नहीं, कई उपलब्ध मैदानों को चट कर रहा सिस्टम का दीमक

टीएनबी कॉलेजिएट स्कूल का खेल मैदान व्यापारियों का अड्डा बन गया है. टेंट वाले इस मैदान को कपड़ा सुखाने में उपयोग करते हैं. दूसरे कोने में कुछ लोग ईंट, छर्री और बालू रखने लगे हैं. दर्जनों लोग अपने वाहनों की पार्किंग के लिए बेधड़क इस मैदान का इस्तेमाल कर रहे हैं.

By Prabhat Khabar | August 2, 2022 3:33 PM

भागलपुर जिले के 1237 स्कूलों में खेल मैदान नहीं है. इससे हजारों बच्चे अपने स्कूलों में दैनिक रूप से खेलने से वंचित रह जाते हैं. आज उन स्कूलों को बेहतर स्कूलों में गिना जाता है, जहां खेल मैदान है. बावजूद इसके भागलपुर शहर के स्कूलों के खेल मैदान की तरफ प्रशासन का ध्यान नहीं है. टीएनबी कॉलेजिएट मैदान वाहनों का पार्किंग व टेंट वालों के कपड़े सूखाने और कुछ लोगों के निर्माण सामग्री रखने की जगह बन कर रह गया है. फुटबॉल मैच के लिए प्रसिद्ध सीएमएस हाइस्कूल मैदान की स्थिति ऐसी है कि वर्ष 2017 के बाद यहां कोई मैच नहीं हुआ. बरारी हाइस्कूल मैदान में शिक्षा विभाग किलकारी की बिल्डिंग बना रहा है. आखिर बच्चे और खिलाड़ी कहां खेलेंगे, यह ज्वलंत सवाल खेल-प्रेमियों में उठने लगा है.

व्यापारियों का अड्डा बन गया खेल मैदान

टीएनबी कॉलेजिएट स्कूल का खेल मैदान व्यापारियों का अड्डा बन गया है. टेंट वाले इस मैदान को कपड़ा सुखाने में उपयोग करते हैं. दूसरे कोने में कुछ लोग ईंट, छर्री और बालू रखने लगे हैं. दर्जनों लोग अपने वाहनों की पार्किंग के लिए बेधड़क इस मैदान का इस्तेमाल कर रहे हैं. ऐसा क्यों हो रहा है, कौन कर रहा है, यह कोई पूछनेवाला नहीं है.

इस खेल के मैदान की दीवार टूटी है. गेट वर्षों पहले टूट चुके हैं और इसका यहां कोई नामोनिशान भी नहीं है. मैदान में गाड़ी का आवागमन अधिक होने से मैदान में कंकड़-मिट्टी बिखरी हुई है. स्कूल के छात्र यहां खेल नहीं पाते. दीवारों के पास आम लोगों ने कूड़ा-कचरा रखने की जगह बना ली है. स्कूल प्रशासन कुछ कर नहीं पा रहा और शिक्षा विभाग देख नहीं रहा.

सीएमएस हाई स्कूल का मैदान भी सुनसान

ऐतिहासिक सीएमएस हाई स्कूल का मैदान ही शहर का एक ऐसा मैदान रहा है, जहां कभी फुटबॉल मैच हुआ करता था. खिलाड़ियों के अनुसार इस मैदान का आकार और इसमें उगे स्पंजी घास खिलाड़ियों के लिए सबसे उपयुक्त मैदान बनाया करता था, लेकिन वर्ष 2017 के बाद आज तक कोई फुटबॉल मैच नहीं हो सका. वजह बिना समझे वन विभाग ने यहां सैकड़ों पौधे लगा दिये, जो बाद में सूख गये.

इसके बाद निगम के नाले की ठेका एजेंसी ने इसे अपने प्लांट के रूप में वर्षों तक उपयोग किया. मैदान का कोई रख-रखाव नहीं है. घनी झाड़ियां उगी हुई है. कोई सफाईकर्मी नियुक्त नहीं है. बगल की दो तरफ से बड़ा नाला गुजरा है. मैदान उबर-खाबर व कंकर-पत्थर भरे हैं. घेराबंदी नहीं है.

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