Begusarai News : आठवें वेतन आयोग के गठन के लिए कर्मचारी 29 को करेंगे प्रदर्शन

अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ ने केंद्र सरकार द्वारा आठवें केंद्रीय वेतन आयोग की अधिसूचना अब तक जारी नहीं किये जाने पर गहरी नाराजगी जतायी है.

By SHAH ABID HUSSAIN | August 26, 2025 10:27 PM

बेगूसराय. अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ ने केंद्र सरकार द्वारा आठवें केंद्रीय वेतन आयोग की अधिसूचना अब तक जारी नहीं किये जाने पर गहरी नाराजगी जतायी है. महासंघ ने इसके खिलाफ 29 अगस्त को देशभर के सभी सरकारी विभागों में विरोध, गेट मीटिंग और प्रदर्शन का एलान किया है. महासंघ ने कहा है कि यह आंदोलन कर्मचारियों के बढ़ते असंतोष का नतीजा है और यदि केंद्र सरकार समय रहते समाधान नहीं करती है तो आंदोलन को और तेज किया जायेगा. महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा, महासचिव ए. श्री कुमार और कोषाध्यक्ष शशिकांत राय ने बताया कि केंद्र सरकार ने दिल्ली विधानसभा चुनाव से ठीक पहले और कर्मचारियों के दबाव में आकर 16 जनवरी, 2025 को आठवें केंद्रीय वेतन आयोग के गठन की घोषणा की थी, लेकिन सात महीने बाद भी इसकी अधिसूचना जारी नहीं की गयी है. कर्मचारियों और पेंशनर्स को उम्मीद थी कि आयोग की सिफारिशें एक जनवरी, 2026 से लागू की जायेंगी, लेकिन सरकार इस पर चुप्पी साधे हुए है, जिससे करोड़ों कर्मचारियों और पेंशनर्स में रोष है. महासंघ ने बताया कि आगामी 23 सितंबर को देश के सभी जिला मुख्यालयों पर धरना-प्रदर्शन किया जायेगा. आंदोलन की प्रमुख मांगों में आठवें वेतन आयोग की अधिसूचना जारी करना, पीएफआरडीए एक्ट को रद्द कर पुरानी पेंशन योजना लागू करना, संविदा कर्मियों का नियमितीकरण, निजीकरण पर रोक, लेबर कोड्स और एनसीपी की वापसी, रिक्त पदों की स्थायी बहाली, 18 महीने का बकाया डीए-डीआर भुगतान और व्यापक स्वास्थ्य बीमा योजना लागू करना शामिल है. बिहार अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष नीलम कुमारी, महामंत्री सुबेश सिंह और जिला मंत्री मोहन मूरारी ने बताया कि महासंघ के इस आंदोलनात्मक कार्यक्रम को पूरे बिहार में लागू किया जायेगा. उन्होंने कहा कि सरकार ओपीएस की जगह एनपीएस थोप रही है, जिसे कर्मचारी संगठन किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे. सुभाष लांबा ने बताया कि माकपा सांसद कॉ. अमराराम द्वारा संसद में पूछे गए सवाल के जवाब में वित्त राज्य मंत्री ने ओपीएस लागू करने और पीएफआरडीए में जमा राज्य सरकारों की राशि को वापस करने से इनकार कर दिया. इससे कर्मचारियों और पेंशनर्स में सरकार के प्रति आक्रोश और गहरा हो गया है. उन्होंने इसे ”जले पर नमक” छिड़कने जैसा बताया. महासंघ ने कहा कि देश में बेरोजगारी चरम पर है. बावजूद इसके सरकार खाली पड़े लाखों पदों पर नियमित नियुक्ति करने की बजाय ठेका और संविदा पर बहाली कर रही है. यहां तक कि सेना में भी अग्निवीर योजना के तहत चार साल के लिए नियुक्ति की जा रही है. यह नीति युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ है. उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार लगातार सार्वजनिक क्षेत्रों को निजी हाथों में सौंप रही है. पीएसयू को कौड़ियों के भाव में बेचा जा रहा है. दूसरी ओर कॉर्पोरेट घरानों के लाखों करोड़ रुपये के टैक्स और कर्ज माफ किए जा रहे हैं. लेकिन कर्मचारियों को मिलने वाला 18 महीने का बकाया डीए-डीआर अब तक रोका गया है. महासंघ ने यह भी आरोप लगाया कि 65, 70 और 75 साल की उम्र पार कर चुके पेंशनर्स को बेसिक पेंशन में 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी नहीं दी जा रही है. इससे बुजुर्ग पेंशनर्स की आर्थिक स्थिति और कमजोर होती जा रही है. उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक सरकार आठवें वेतन आयोग की अधिसूचना जारी नहीं करती और पुरानी पेंशन योजना को बहाल नहीं करती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा. देश के करोड़ों कर्मचारियों और पेंशनर्स के हितों के लिए महासंघ किसी भी हद तक जाने को तैयार है. कार्यक्रम की व्यापक सफलता के लिए सभी राज्य और जिला इकाइयों को अलर्ट कर दिया गया है. 29 अगस्त और 23 सितंबर को होने वाले आंदोलन में व्यापक भागीदारी सुनिश्चित करने की अपील की गई है. महासंघ ने केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि उनकी मांगों पर समय रहते निर्णय नहीं लिया गया, तो भविष्य में और उग्र आंदोलन किया जायेगा.

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