पबड़ा ठाकुरबाड़ी से नौ महीने बाद चोरी हुई कीमती छह मूर्तियों में दो बरामद
जिले की बहुचर्चित घटना पबरा ठाकुरवाड़ी से मूर्ति चोरी कांड के 9 महीने बाद नया मोड़ लेने से क्षेत्र में चर्चाओं का बाजार गर्म है.
चेरियाबरियारपुर/मंझौल. जिले की बहुचर्चित घटना पबरा ठाकुरवाड़ी से मूर्ति चोरी कांड के 9 महीने बाद नया मोड़ लेने से क्षेत्र में चर्चाओं का बाजार गर्म है. जानकारी के अनुसार चोरी हुई करीब आधे दर्जन बेशकीमती मूर्तियों में से 2 मूर्ति एकाएक ठाकुरवाड़ी से करीब दो सौ मीटर के रेडियस में नाटकीय ढंग से प्रकट हो गई. वह भी एक फूल के पेड़ की जड़ में एक घर के सामने प्रकट हुई है. घरवाले ने मंगलवार की सुबह मूर्ति देख आसपास के लोगों को इसकी सूचना दी. इसके बाद जानकारी पाकर पहुंची पुलिस आवश्यक करवाई के बगैर कुछ मिनटों में ही मूर्ति लेकर निकल गई. ऐसे में बड़ा सवाल अब यह खड़ा हो गया है कि असली चोर या साजिशकर्ता तक पुलिस पहुंच पाएगी या नहीं. क्योंकि एक मात्र सुराग जो पुलिस के हाथ लगी थी वह भी अब खत्म हो गया है. नहीं तो एफएसएल या वैज्ञानिक अनुंसधान कर उसे रखने वाले तक पहुंचा जा सकता था. इस संबंध में पूछे जाने पर मंझौल डीएसपी नवीन कुमार ने मीडिया को बताया कि पबड़ा मूी्ति चोरी कांड में दो मूर्ति गांव से ही एक फूल के पेड़ के पास से बरामद हुई है. मामले में अग्रेतर कार्रवाई की जा रही है. बताते चलें कि जिन दो मूर्तियों की बरामदगी हुई है. तथा जिसे पुलिस अपने साथ ले गई है. उसमें से एक राधा रानी और दूसरी मूर्ति विष्णु भगवान की है. राधा रानी की मूर्ति पबरा ठाकुरवाड़ी की है जबकि दूसरी मूर्ति ग्रामीण गिरीश कुमार झा की है. जिन्होंने घटना से कुछ दिनों पहले छुतका के कारण ठाकुरवाड़ी में पूजा हो इसके लिए भगवान को पहुंचा दिए थे. अब ग्रामीणों के बीच इस बात की चर्चा है कि मूर्ति वापस आने में कितना समय लगेगा. किन प्रक्रियाओं से गुजरना होगा. साथ ही तरह तरह के कयास लगाए जा रहे हैं.
ग्रामीण कर रहे चोर को गिरफ्तार कर मामले खुलासा करने की मांग
ग्रामीणों की मांग है कि पुलिस को चोरी करने वाले और मूर्ति रखने वाले को गिरफ्तार करने की जरूरत है. ताकि धार्मिक आस्था से खिलवाड़ करने वाले को सबक मिल सके. बता दें 13 जनवरी की रात पबरा ब्राह्मण टोला ठाकुरवाड़ी से ताला तोड़कर कई बेशकीमती मूर्तियों की चोरी हुई थी. इस मामले में पुजारी रामविलास झा ने आवेदन देकर अज्ञात चोरो पर प्राथमिकी दर्ज कराई थी. जिसमें चोरी की गई बेशकीमती और अतिप्राचीन मूर्ति की कीमत करोड़ों में आंकी गई थी. स्थानीय ग्रामीणों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इतनी बड़ी घटना में जिस प्रकार से मूर्ति बरामद हुई वहां या तो एफएसएल या डॉग सकवायड की टीम बुलाई जानी चाहिए थी. पर पुलिस अधिकारी गैर जिम्मेदाराना तरीके से खुली हाथ से मूर्ति को न सिर्फ उठाया बल्कि उसे कपड़े में लपेट कर ले गए.अब चोरों तक पहुंचने की एक मात्र कड़ी पुलिस को हाथ लगी थी. वह भी मौका चला गया. ऐसे में बांकी मूर्तियों की बरामदगी और चोरों की गिरफ्तारी असंभव प्रतीत हो रहा है. जिसकी चर्चा जोर-शोर से लोगों के बीच चल रही है.
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