शहीद सुजीत का सैन्य सम्मान के साथ सिमरिया गंगा तट पर हुआ अंतिम संस्कार
बेगूसराय जिला के बरौनी प्रखंड क्षेत्र स्थित अमरपुर गांव में मंगलवार को शोक की लहर दौड़ गयी.
बीहट. बेगूसराय जिला के बरौनी प्रखंड क्षेत्र स्थित अमरपुर गांव में मंगलवार को शोक की लहर दौड़ गयी. जब सड़क हादसे में शहीद हुए आर्मी के जेसीओ सुजीत कुमार का पार्थिव शरीर गांव लाया गया.जैसे ही शव गांव पहुंचा पूरा इलाका शोक में डूब गया और लोगों की आंखें नम हो गयी. बता दें कि चार मई रविवार के दिन जम्मू-कश्मीर के रामबन में यात्रा के दौरान हुई सड़क हादसा में शहीद हो गये. मंगलवार को उनका पार्थिव शरीर विशेष वाहन से पैतृक गांव लाया गया.इस क्रम में जिले के प्रवेश द्वार राजेंद्र पुल, चकिया, बीहट, जीरोमाइल, गढ़हरा, जयनगर होते हुए मध्य विद्यालय अमरपुर में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया. शव के गांव पहुंचते ही जनसैलाब उमड़ पड़ा. ग्रामीणों ने “शहीद जवान अमर रहें ” के नारे लगाए और सड़कों पर उतरकर उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए एकत्र हुए. वहीं बिहार सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार, तेघड़ा विधायक रामरतन सिंह, जदयू जिला अध्यक्ष रूदल राय सहित अन्य जनप्रतिनिधियों ने उनके पार्थिव शव पर पुष्प चक्र अर्पित कर भावभीनी श्रद्धांजलि दी. इस दौरान जिले के वरीय प्रशासनिक अधिकारी भी मौके पर मौजूद रहे.शहीद सुजीत कुमार को गार्ड ऑफ ऑनर के साथ अंतिम विदाई दी गयी. गांव में वीर सपूत की अंतिम विदाई में उमड़े जनसैलाब ने यह साबित कर दिया कि देश अपने शहीदों को कभी नहीं भूलता. जेसीओ सुजीत के शहीद होने की सूचना दोपहर बाद उनके बड़े भाई संजीत कुमार को फोन के जरिये दी गयी.घटना की जानकारी मिलते ही परिजनों में कोहराम मच गया.विदित हो कि शहीद सुजीत 15 दिन पहले ही अपने गांव अमरपुर आये हुए थे.यहां वह घर बनाने को इच्छुक थे लेकिन गुप्ता बांध सड़क के संभावित चौड़ीकरण के चलते वे जल्दी से अपनी ड्यूटी पर यह कहते हुए लौट गये की जल्द ही फिर आऊंगा. उनके पिता झपस राय ने रोते हुए बताया कि फोन पर घटना के पहले बात हुई थी तो हमने उनसे रिटायरमेंट लेने की बात कही थी लेकिन विधाता को तो कुछ और ही मंजूर था.
बचपन से ही देश सेवा की भावना दिल में थी
शहीद सुजीत के बचपन के मित्र नवल किशोर राय ने बताया कि 1998 में बारो हाई स्कूल से मैट्रिक और वर्ष 2000में एपीएसएम काॅलेज बरौनी से इंटर की परीक्षा पास की.बीए में एडमिशन होते ही सुजीत को आर्मी में नौकरी लग गयी. उसकी शादी बेगूसराय प्रखंड के लाखो गांव के सिंधु कुमारी के साथ हुई थी. उनको दो पुत्री और एक पुत्र है.हाल ही में उनकी बड़ी पुत्री संध्या ने सेंट ज्यूड्स विद्यालय से 12वीं की परीक्षा में टाॅप किया था. ह फिलहाल एनडीए की तैयारी कर रही है. जबकि छोटी पुत्री सोनम और पुत्र प्रिंस अभी बेगूसराय में रहकर शिक्षा ग्रहण कर रहा है. वहीं शहीद सुजीत चार भाई थे जिसमें बड़ा भाई संजीत कुमार रेलवे में तथा दो भाई गिरीश व रौशन अभी पढ़ाई कर रहे हैं.बेटे प्रिंस ने शहीद पिता को दी मुखाग्नि
जम्मू-कश्मीर में ड्यूटी के दौरान सड़क हादसे में शहीद जेसीओ सुजीत कुमार का सैनिक सम्मान के साथ सिमरिया घाट पर अंतिम संस्कार किया गया. बेटे प्रिंस ने अपने शहीद पिता के पार्थिव देह को मुखाग्नि दी. शहीद के अंतिम यात्रा में लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा.शहीद सुजीत अमर रहे के लगे नारे
ग्रामीणों ने बताया कि जम्मू-कश्मीर से मंगलवार को दोपहर बाद शहीद की पार्थिव देह पैतृक गांव अमरपुर पहुंची.इस बीच जगह-जगह लोगों ने शहीद के पार्थिव देह पर पुष्प वर्षा की.बीच बीच में ””””””””शहीद सुजीत अमर रहे”””””””” के नारे लगाए गये. शहीद की पार्थिव देह ज्योंही उनके निवास पर पहुंची तो पूरा माहौल गमगीन हो गया.यहां शहीद के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया.शहीद के माता-पिता, वीरांगना और बच्चों सहित तमाम लोगों ने अंतिम दर्शन किये. अंतिम दर्शन के बाद शहीद की वीरांगना सिंधु बेसुध हो गयी. उसकी तबीयत बिगड़ गई.सेना के अधिकारी ने शहीद सुजीत के परिजन को तिरंगा सुपुर्द किया. तिरंगे को सिर पर लगाते हुए सबकी आंखों से आंसू छलक पड़े.गमगीन माहौल के बीच निकली अंतिम यात्रा
शहीद की अंतिम यात्रा गमगीन माहौल में निकाली गयी. अंतिम यात्रा में लोगों का जन सैलाब उमड़ पड़ा. सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. इससे पहले कई गणमान्य लोगों के साथ सेना और प्रशासन के अधिकारियों ने पुष्प चक्र अर्पित कर शहीद को श्रद्धांजलि दी. बेटे प्रिंस ने अपने शहीद पिता के पार्थिव देह को मुखग्नि दी. इस दौरान ””””””””शहीद सुजीत अमर रहे और भारत माता की जय”””””””” के नारों से, पूरा इलाका गूंज उठा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
