किसानों के विरोध के बाद फिर से चेकडैम का निर्माण कार्य रुका
हरसाईंन में बन रहे चेकडैम निर्माण कार्य किसानों के विरोध के बाद एक बार फिर स्थगित कर दिया गया है.
चेरियाबरियारपुर. हरसाईंन में बन रहे चेकडैम निर्माण कार्य किसानों के विरोध के बाद एक बार फिर स्थगित कर दिया गया है. जिसे किसान अपनी जीत करार देते हुए आंदोलन में शामिल किसानों को धन्यवाद ज्ञापित कर रहे हैं. जानकारी के अनुसार काबर परिक्षेत्र में स्थाई रूप से पानी जमा रखने के लिए हरसाईंन में चेकडैम का निर्माण कराया जा रहा है. परंतु उक्त चेकडैम निर्माण कार्य प्रथम दिन से ही किसानों के विरोध का दंश झेलने को विवश हैं. सूत्रों की मानें तो अब तक दो बार निर्माण कार्य स्थगित किया जा चुका है. हालांकि किसानों के विरोध से इतर काबर किसान आंदोलन में शामिल मछुआरा समाज प्रसन्नचित मुद्रा में सरकार के साथ एसडीएम मंझौल प्रमोद कुमार एवं जिलाधिकारी तुषार सिंगला को चेकडैम निर्माण कार्य शुरू करवाने के लिए धन्यवाद ज्ञापित कर चुका है. जिसके फलस्वरूप कावर किसान आंदोलन कमजोर पड़ता दिख रहा था. परंतु किसानों ने एक बार फिर अपनी एकजुटता प्रदर्शित करते हुए बीते रविवार को चेकडैम निर्माण स्थल पर जबरदस्त प्रदर्शन किया था. जिसके उपरांत अब परस्थिति कुछ बदला-बदला सा नजर आने लगा है. बताया जा रहा है चेकडैम निर्माण कार्य पर किसानों एवं मछुआरों का मत अलग-अलग है. मछुआरों का कहना है कि काबर में पानी की व्यवस्था सरकार की दूरदर्शी सोच का नतीजा है. जिससे काबर अपना खोया हुआ अतीत को पुनः प्राप्त कर सकेगा. विदेशी मेहमान पक्षियों की संख्या बढ़ेगी. तथा काबर झील की मछलियों का डंका देश प्रदेश में बजेगा. जिससे मछुआरा समाज की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी. काबर पर आश्रित लगभग 50 हजार मछुआरों को पलायन से निजात मिलेगी. वहीं किसानों का कहना है कि चेकडैम निर्माण से क्षेत्र में बाढ़ की समस्या उत्पन्न होगी. फसलों की बर्बादी के साथ खेती योग्य भूमि नहीं बच पाएगा. बल्कि पूरा एरिया जलमग्न होकर तहस-नहस हो जाएगा. किसानों को भूखों मरने अथवा मजदूरी के लिए पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. वहीं गुरुवार को दूसरी बार चेकडैम निर्माण कार्य स्थगित किए जाने पर किसान नेता जयशंकर भारती, जदयू जिला महासचिव संजय कुमार सिंह, समाजिक कार्यकर्ता संतोष ईश्वर, विजय सिंह, देव निरंजन भारती रजौर सकरा के किसान राजीव यादव, दिनेश यादव, बिरजू यादव सहित अन्य दर्जनों लोगों ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए आंदोलन में शामिल बखरी एवं मंझौल अनुमंडल के किसानों को धन्यवाद ज्ञापित किया. तथा उक्त दोनों अनुमंडल क्षेत्र के 21 हजार बीघा जमीन पर पक्षी अभयारण्य नहीं बनने देने हेतु करो या मरो की भावना से आगे आने का आह्वान किया गया.
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