सदर अस्पताल की चरमरायी एंबुलेंस सेवा, अधिकारियों की भी नहीं सुन रहा विभाग
एंबुलेंस विभाग की टीम की मनमानी से सिविल सर्जन व उपाधीक्षक तक परेशान
एंबुलेंस विभाग की टीम की मनमानी से सिविल सर्जन व उपाधीक्षक तक परेशान औरंगाबाद ग्रामीण. सदर अस्पताल में एंबुलेंस की सेवा फिर से चरमरायी हुई दिख रही है. कुछ दिनों तक मरीजों को बेहतर सुविधा बहाल किया गया, लेकिन इधर कुछ दिनों से व्यवस्था फिर गड़बड़ हो गयी है. एंबुलेंस विभाग की टीम की मनमानी से सिविल सर्जन व उपाधीक्षक तक परेशान हैं. सोमवार को ऐसा ही एक मामला सामने आया. कुटुंबा प्रखंड के परता बिगहा गांव के एक मरीजों को करीब ढाई घंटे तक एंबुलेंस का इंतजार करना पड़ा. इसके बावजूद भी हायर सेंटर जाने को एंबुलेंस सेवा नहीं मिली. दरअसल उक्त गांव निवासी उदय राम कुछ दिन पहले छत से गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गये थे. सदर अस्पताल में उसका इलाज करवाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे रेफर कर दिया था. इसके बाद परिजन एंबुलेंस के लिए दौड़ते-भागते रहे. एक दो एंबुलेंस जो सदर अस्पताल परिसर में खड़ी थी, लेकिन उसके चालकों ने यह कहते हुए टाल दिया कि एंबुलेंस खराब है. इसके कारण खड़ी है. जब टॉल फ्री नंबर पर कॉल किया तो आश्वाशन मिला कि कुछ देर में एंबुलेंस जा रही है. घंटो बीत गये, लेकिन एंबुलेंस नहीं आयी. इसी दौरान अनुसूचित जनजाति आयोग के सदस्य ललन भुइंया निरीक्षण करने सदर अस्पताल पहुंचे. जब परिजनों ने उनके समक्ष अपनी बात रखी तो उन्होंने तुरंत डीएस को निर्देश दिया कि एंबुलेंस विभाग की टीम से बातकर एंबुलेंस मुहैया कराया जाये. करीब 45 मिनट तक आयोग के सदस्य ललन भुइंया सदर अस्पताल का निरीक्षण करते रहे. उस समय तक मरीज को एंबुलेंस नहीं मिली. परिजन कई बार ललन भुइंया, सिविल सर्जन, डीएस से गुहार लगाते रहे, लेकिन कोई सुनवाई नही हुई. जब-जब डीएस एंबुलेंस टीम से बात करते तो बस उन्हें 15 मिनट का आश्वासन मिलता. जब ललन भुइंया सदर अस्पताल से जाने लगे तो अंतिम बार परिजनों ने गुहार लगायी. इसके बाद उन्होंने एंबुलेंस विभाग से स्पष्टीकरण मांगा और कहा कि यह मरीजों के साथ खिलवाड़ हो रहा है. आयोग की टीम को रहते हुए ऐसी लापरवाही सामने आयी है, तो न रहने पर मरीज की जान चली जा रही होगी. यह गंभीर मामला है.
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