रोस्टर की अनदेखी कर रहे डॉक्टर, प्रशिक्षु के भरोसे चल रहा इलाज
कुव्यवस्था: सदर अस्पताल एक बार फिर विवादों में
कुव्यवस्था: सदर अस्पताल एक बार फिर विवादों में
औरंगाबाद ग्रामीण. जिले का मॉडल कहे जाने वाला सदर अस्पताल एक बार फिर डॉक्टरों की लापरवाही और रोस्टर की अनदेखी को लेकर चर्चा में है. शनिवार की सुबह रोस्टर के अनुसार ड्यूटी पर तीन चिकित्सकों को तैनात किया गया था, लेकिन मौके पर न तो कोई वरिष्ठ डॉक्टर उपस्थित था और न ही इलाज के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था. आश्चर्य की बात यह रही कि एक प्रशिक्षु डॉक्टर, जिनकी न तो नियुक्ति है और न ही विभाग से किसी प्रकार की अनुमति, मरीजों का इलाज करता पाया गया. स्थानीय सूत्रों के अनुसार, ड्यूटी पर तैनात एक चिकित्सक कोर्ट में गवाही देने के नाम पर अस्पताल से नदारद था, जबकि अन्य डॉक्टरों की अनुपस्थिति को लेकर अस्पताल प्रशासन खुद अनभिज्ञ दिखा. इसी बीच, प्रशिक्षु डॉक्टर बिना किसी वैध आदेश के इलाज करते नजर आये़ जब इस गंभीर लापरवाही की सूचना डीएम श्रीकांत शास्त्री और सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार सिंह को दी गयी, तो उन्होंने मामले को गंभीरता से लेते हुए सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ सुरेंद्र कुमार सिंह को तत्काल जांच का आदेश दिया. डीएम ने निर्देश दिया कि जब तक रोस्टर के डॉक्टर ड्यूटी पर नहीं आते, उपाधीक्षक स्वयं मरीजों का इलाज सुनिश्चित करें.प्रशिक्षु डॉक्टर पर टिकी व्यवस्था, सुरक्षा और न्याय प्रक्रिया पर सवाल
उपाधीक्षक से जब प्रशिक्षु डॉक्टर की मौजूदगी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है कि वह किसके आदेश पर मरीजों का इलाज कर रहे हैं. यही नहीं, उन्होंने यह भी माना कि उस प्रशिक्षु डॉक्टर का अस्पताल से कोई लिखित संबंध नहीं है. इसके बावजूद वह मरीजों को दवा लिख रहे हैं, जो गंभीर सवाल खड़े करता है. मेडिको-लीगल मामलों को लेकर भी अस्पताल प्रशासन की तैयारी सवालों के घेरे में है. रोज़ाना होने वाली सड़क दुर्घटनाएं, गोलीबारी और हत्या जैसे मामलों में यदि संबंधित डॉक्टर मौजूद नहीं होंगे, तो जख्म प्रतिवेदन और पोस्टमार्टम रिपोर्ट कौन तैयार करेगा? यह प्रश्न न केवल अस्पताल प्रशासन की कार्यशैली बल्कि न्याय प्रक्रिया की प्रभावशीलता पर भी सवाल उठाता है.प्रशासनिक अधिकारियों का दावा : दोषियों पर होगी कार्रवाई
इस पूरे मामले में सिविल सर्जन डॉ. विनोद कुमार सिंह ने कहा कि चिकित्सकों की ड्यूटी से अनुपस्थिति की जांच करायी जायेगी और दोषी पाये जाने पर कड़ी कार्रवाई होगी. उन्होंने कहा कि रोस्टर का पालन अनिवार्य है, और इसकी निगरानी की जिम्मेदारी उपाधीक्षक की है।डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
