वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे के लिए अधिग्रहित भूमि पर धान लगाने पर रोक
सीओ ने जारी की सूचना, कहा- थ्री डी अधिसूचना प्रकाशन के उपरांत भूमि केंद्र सरकार की
सीओ ने जारी की सूचना, कहा- थ्री डी अधिसूचना प्रकाशन के उपरांत भूमि केंद्र सरकार की
प्रतिनिधि, अंबा.राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा भारतमाला परियोजना के तहत वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेस-वे निर्माण के लिए अधिग्रहित भूमि पर किसान धान व अन्य फसल की खेती नहीं करेंगे. जिला भू-अर्जन पदाधिकारी व भारतमाला परियोजना के निदेशक की तरफ से जारी निर्देश के आलोक में अंचल अधिकारी चंद्रप्रकाश ने इस संबंध में सूचना जारी की है. सूचना के माध्यम से उन्होंने बताया है कि एनएच एक्ट 1956 के अनुसार 3डी अधिसूचना प्रकाशन के उपरांत भूमि आंतरिक रूप से केंद्र सरकार में निहित हो जाती है. उन्होंने बताया कि भू-अर्जन पदाधिकारी एवं के परियोजना निदेशक के पत्र के अनुसार वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे का निर्माण पचमो से अनरबन सलैया तक भूमि अधिकरण को लेकर 3 डी सूचना प्रकाशन किया गया है. उक्त भूमि पर धान का फसल लगाये जाने से सड़क निर्माण कार्य प्रभावित होगा. उन्होंने सभी रैयतों को सड़क निर्माण के एलाइनमेंट में आने वाले भूमि पर किसी तरह का फसल नहीं लगाने के लिए निर्देशित किया है.
नवीनगर, कुटुंबा व देव प्रखंड के कई गांव में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही
गौरतलब है कि वाराणसी- कोलकाता एक्सप्रेस-वे निर्माण के दौरान नवीनगर, कुटुंबा व देव प्रखंड के कई गांव में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है. इसके लिए किसानों को नोटिस जारी किया गया है. हालांकि, किसान भूमि की मुआवजे की राशि में वृद्धि करने की मांग कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि आवासीय व व्यवसायिक श्रेणी के भूमि को भी कृषि योग्य भूमि का मुआवजा दिया जा रहा है. इसके साथ ही भूमि के मुआवजा तय करने के दौरान बाजार मूल्य अनदेखी की जा रही है, जो अनुचित है. कई ऐसे किसान है, जिनका भूमि सड़क निर्माण के दौरान अधिग्रहण किये जाने के बाद वे भूमिहीन हो जायेंगे. अपनी मांगों को लेकर किसान लगातार धरना-प्रदर्शन में जुटे हैं. प्रशासन की ओर से लगातार भूमि अधिग्रहण करने की प्रक्रिया की जा रही है. इसके लिए पंचायत स्तर पर कैंप लगाया गया तथा भूमि अधिग्रहण को लेकर प्रशासन द्वारा पुलिस बल का भी प्रयोग किया जा रहा है. प्रशासन हर हाल में भूमि अधिग्रहण कर कार्य शुरू कराने प्रयास कर रही है, जबकि किसान अपनी मांगों पर अड़े हैं. भूमि अधिग्रहण करने में देर होने से परियोजना का कार्य अधर में लटका है.
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