Aurangabad News : पवित्र मरही धाम को विकास की दरकार
Aurangabad News : पावन धाम 108 सिद्धि पीठों में शामिल है मरही, सरकारी उपेक्षाओं का दंश झेल रहा अध्यात्मिक ऊर्जा केंद्र
गोह. औरंगाबाद की धरती ऋषियों और साधकों की तपोभूमि रही है. लेकिन चिंता की बात यह है कि आज भी कई पावन स्थल सरकारी उपेक्षा व जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के शिकार है. इस तरह की एक दिव्य और ऐतिहासिक स्थल है गोह प्रखंड के भुरकुंडा गांव स्थित मरही माई धाम. यह स्थल सिर्फ एक धार्मिक केंद्र ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा का भी केंद्र माना जाता है. मान्यता है कि यह स्थान भृगु ऋषि की तपोभूमि रही है. यहां उन्होंने सपत्नीक निवास किया और एक पवित्र कुंड का निर्माण कराया. यही कारण है कि इस गांव का नाम भुरकुंडा पड़ा. यहां सिंहवाहिनी मां की भव्य प्रतिमा स्थित है, जिनके प्रति श्रद्धालु गहरी आस्था रखते हैं. कुंड का जल रोगनाशक माना जाता है और दूर-दूर से लोग मन्नत मांगने यहां पहुंचते हैं. इतनी महत्ता रखने के बावजूद यह स्थल आज भी सरकारी योजनाओं और जनप्रतिनिधियों के ध्यान से वंचित है. न तो यहां तक आने के लिए पक्की सड़क हैं, न पर्यटक के अनुसार कोई सुविधा.है. इस स्थली की महता से दर्शाने के लिए कोई बोर्ड भी नहीं है. यहां लाइट की भी उचित व्यवस्था नहीं है. स्थानीय लोग चाहते हैं कि यहां मरही महोत्सव जैसा आयोजन हो, जिससे इस शक्ति पीठ की महिमा दूर-दूर तक फैले और यहां के सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों के लोगों को भी पहचान और रोजगार का अवसर मिले. प्रभात खबर आपके द्वार कार्यक्रम ने इस बार इसी संवाद किया, जिसमें ग्रामीणों ने खुलकर अपनी बातें रखीं और उम्मीद जतायी कि प्रभात खबर के माध्यम से यह आवाज सरकार तक पहुंचेगी.
मरही धाम का चमत्कारी कुंड : रोगों से मुक्ति दिलाने वाला पवित्र जल
भुरकुंडा गांव स्थित मरही धाम न सिर्फ शक्ति की उपासना का केंद्र है, बल्कि यहां स्थित प्राचीन पवित्र कुंड अपनी औषधीय और चमत्कारी विशेषताओं के लिए भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस कुंड का जल पीने से अनेक प्रकार के शारीरिक रोगों से मुक्ति मिलती है और मानसिक शांति की अनुभूति होती है. स्थानीय श्रद्धालुओं के अनुसार, यह कुंड ऋषि भृगु द्वारा निर्मित कराया गया था, जब वे अपनी पत्नी के साथ इस तपोभूमि पर निवास कर रहे थे. उनकी तपस्या और साधना से यह स्थान ऊर्जा केंद्र में परिवर्तित हो गया, तभी से इस कुंड को दिव्य व रोगनाशक प्रभाव वाला माना जाता है. कई श्रद्धालु आज भी बीमारियों से निजात पाने के लिए यहां आकर कुंड का जल ग्रहण करते हैं और मां सिंहवाहिनी के चरणों में मन्नतें मांगते है.मरही धाम में छठ पर्व पर उमड़ती है भीड़
भक्ति, श्रद्धा और आध्यात्मिक आस्था का केंद्र मरही धाम, हर साल छठ पर्व काफी भीड़. गोह प्रखंड अंतर्गत भुरकुंडा गांव स्थित यह शक्तिपीठ छठ पर्व पर हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति का साक्षी बनता है. दूर-दराज के गांवों से श्रद्धालु यहां आकर पवित्र कुंड में स्नान करते हैं. सूर्य को अर्घ अर्पित करते हैं और मां सिंहवाहिनी के दरबार में मन्नतें मांगते हैं. मरही धाम आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है. न तो यहां स्थायी प्रकाश व्यवस्था है, न स्वच्छता के उचित प्रबंध, न ही प्रशासनिक निगरानी या सुरक्षाकर्मी. छठ जैसे बड़े पर्व पर भी कोई स्थायी घाट, चेंजिंग रूम या शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं. यहां तक कि सड़कें भी कच्ची और जर्जर हैं, जिससे श्रद्धालुओं को आवागमन में भारी दिक्कत होती है.पवित्र कुंड आज भी विकास से वंचित, चारों ओर मिट्टी का घेरा
स्थानीय विधायक भीम कुमार सिंह द्वारा कुंड की सीढ़ियों का निर्माण कार्य प्रारंभ कराया गया है, वहीं दूसरी ओर कुंड के चारों ओर पक्कीकरण का कार्य आज तक नहीं हो पाया है. श्रद्धालु बार-बार मांग करते रहे हैं कि कुंड की परिधि को स्थायी रूप से सुरक्षित, पक्के रास्ते और रेलिंग से घेरा जाये, ताकि वहां पूजा करने वाले लोगों को फिसलन, कीचड़ व दुर्घटना से बचाया जा सके. बारिश के दिनों में यह कुंड और इसके चारों ओर कीचड़मय हो जाता है. स्थानीय ग्रामीणों और श्रद्धालुओं ने कहा कि मरही धाम जैसे ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल को संरक्षित किया जाना चाहिये और इसके समुचित विकास के लिए एक दीर्घकालिक योजना बनायी जानी चाहिए, ताकि यह स्थल बिहार के धार्मिक पर्यटन मानचित्र पर उचित स्थान पा सके.सूर्य मंदिर : न बाउंड्री बनी, न फर्श, श्रद्धालु हो रहे परेशान
मरही माई धाम की परिधि में पूर्व दिशा की ओर स्थित प्राचीन सूर्य मंदिर दशकों से सरकारी और प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार बना हुआ है. जहां एक ओर इस मंदिर की धार्मिक मान्यता है और श्रद्धालु नियमित पूजा-अर्चना के लिए आते हैं. वहीं, दूसरी ओर इसकी आधारभूत संरचना आज भी अधूरी है.दुर्लभ नीलम निरी पत्थर से बनी है माता रानी की प्रतिमा
मरही धाम में स्थापित मां मरही की प्रतिमा न सिर्फ श्रद्धा का केंद्र है, बल्कि शिल्प और दुर्लभता का भी अद्वितीय उदाहरण है. यह प्रतिमा साधारण पत्थर से नहीं, बल्कि नीलम-निरी दुर्लभ पत्थर से निर्मित है, जो स्वाभाविक रूप से गहरे नीले रंग की चमक लिए हुए है. यह पत्थर सामान्य रूप से प्राप्त नहीं होता और इसकी संरचना अत्यंत कठोर एवं आकर्षक होती है. प्रतिमा की बनावट में देवी की सौम्यता और शक्ति का सुंदर समन्वय देखने को मिलता है, जो भक्तों के मन में विशेष श्रद्धा और आस्था का संचार करता है. ऐसी दुर्लभ प्रतिमा का यहां स्थापित होना न केवल मरही धाम को विशेष बनाता है, बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी इसे एक विशिष्ट स्थान प्रदान करता है. मरहीधाम अब न सिर्फ स्थानीय आस्था का प्रतीक है, बल्कि पूरे भारतवर्ष के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल के रूप में अपनी पहचान बना चुका है. मान्यता है कि यह पावन धाम 108 सिद्धि पीठों में 20वां स्थान रखता है, जो इसकी आध्यात्मिक महत्ता को और भी अधिक बढ़ाता है.
चोरी गयी मां सिंहवाहिनी की मूर्ति बरामद होनी चाहिए
समाजसेवी रामनरेश सिंह ने कहा कि मरहीधाम से चोरी गयी मां सिंहवाहिनी की मूर्ति बरामद होनी चाहिए. भृगु ऋषि की अष्टधातु प्रतिमा 10 वर्षों बाद भी लापता है. ऐतिहासिक मरहीधाम मंदिर से विगत 16 दिसंबर 2015 की रात दो दुर्लभ मूर्तियां चोरी हुई थीं. एक मां सिंहवाहिनी की प्रतिमा और दूसरी अष्टधातु से निर्मित भृगु ऋषि की प्रतिमा. चोरी की इस बड़ी घटना के महज एक सप्ताह के भीतर पुलिस ने सिंहवाहिनी की प्रतिमा को गया जिले के आंती थाना क्षेत्र के एक सुनसान स्थान से बरामद कर लिया था. उसके बाद कलेक्ट्रेट परिसर में सार्वजनिक रूप से प्रस्तुत किया गया था. उसी समय तत्कालीन एसपी बाबूराम, एसडीपीओ पीएन साहू और दाउदनगर डीएसपी संजय कुमार ने इसे पुलिस के लिए महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया था. साथ ही भृगु ऋषि की चोरी गयी प्रतिमा की बरामदगी के लिए एक विशेष टास्क फोर्स भी गठित की गयी थी. इस टास्क फोर्स का नेतृत्व दाउदनगर डीएसपी को सौंपा गया था. चोरी में शामिल दो लोगों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेजा गया था. पुलिस की सतत कार्रवाई और दबाव के कारण चोर सिंहवाहिनी की मूर्ति को बाहर ले जाकर बेचने में विफल रहे और उसे जंगल में छिपाकर छोड़ना पड़ा, लेकिन दुर्भाग्यवश, आज 10 वर्ष बीत जाने के बाद भी भृगु ऋषि की अष्टधातु से निर्मित दुर्लभ प्रतिमा का कोई सुराग नहीं मिल पाया है.
सुरक्षा भगवान भरोसे, डर के मारे रात में घर लौट जाता हूं : पुजारी
मरहीधाम के पुजारी अर्जुन सिंह ने कहा कि मरहीधाम मंदिर जैसे ऐतिहासिक और श्रद्धा के केंद्रस्थल की सुरक्षा व्यवस्था का हाल बेहद चिंताजनक है. यहां की सुरक्षा पूरी तरह भगवान भरोसे है. शाम होते ही मंदिर परिसर में शराबियों की टोली पहुंच जाती है, जिससे भय और असुरक्षा का माहौल बना रहता है. रहने के लिए कोई कमरा भी नहीं है, जिस कारण रात होने पर वे मजबूर होकर अपने गांव भुरकुंडा लौट जाते है.
मरही धाम को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने को लेकर हैं कृतसंकल्पित : विधायक
गोह के विधायक भीम कुमार सिंह ने कहा कि मरही धाम को न केवल एक धार्मिक स्थल, बल्कि एक आकर्षक पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने को लेकर हम पूरी तरह कृतसंकल्पित हैं. उन्होंने बताया कि फिलहाल वहां के ऐतिहासिक तालाब की सौंदर्यीकरण प्रक्रिया जारी है, जिसके तहत सीढ़ी निर्माण का कार्य तेजी से चल रहा है. यह कार्य श्रद्धालुओं की सुविधा और पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में एक अहम कदम है. मरही धाम हमारी आस्था का केंद्र है और इसका समुचित विकास मेरी प्राथमिकताओं में है. आने वाले समय में भी इस पावन स्थल की बेहतरी के लिए वे लगातार प्रयास करते रहेंगे. अगले वर्ष सरकारी स्तर पर मरही महोत्सव कराया जायेगा.
मरही धाम के विकास के लिए हर संभव सहयोग किया जाएगा : सांसद
काराकाट के सांसद राजराम सिंह ने कहा कि मरही धाम हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक है, और इसके संरक्षण एवं विकास को लेकर वे हरसंभव पहल करेंगे. मरही धाम को पर्यटन मानचित्र पर स्थापित करने के लिए केंद्र व राज्य सरकार से आवश्यक समन्वय किया जायेगा. इस पवित्र स्थल के विकास के लिए वे संसद सत्र में भी आवाज उठायेंगे.
मरही धाम के विकास के लिए हमेशा अग्रणी भूमिका निभाऊंगा : मनोज
पूर्व विधायक सह भाजपा प्रदेश प्रवक्ता मनोज शर्मा ने कहा कि मरही धाम आस्था, संस्कृति और परंपरा का जीवंत केंद्र है और इसके चहुंमुखी विकास के लिए वे हमेशा तत्पर रहेंगे. मरही धाम के विकास को लेकर संकल्प पुराना है. विधायक रहते हुए उन्होंने वहां एक शेड का निर्माण कराया था, ताकि श्रद्धालुओं को बैठने और पूजा-पाठ में सहूलियत हो सके. धाम के विकास के लिए हर संभव प्रयास होगा.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
