Aurangabad News : अब तक नहीं हुआ भीम बराज का मेंटेनेंस
Aurangabad News: नौ वर्षो से गेट नंबर 19 व 36 खराब, ठीक करने की जरूरत, गाद जमा होने से घट रही बराज की जल भंडारण क्षमता
औरंगाबाद/कुटुंबा. मगध प्रक्षेत्र के विभिन्न प्रखंडों के एक बड़ी भूभाग को सिंचित करने वाली उत्तर कोयल मुख्य नहर का भीम बराज मोहम्मदगंज फिलहाल पानी से भर गया है. जून महीने के अंतिम सप्ताह में टेस्टिंग के लिए मेन कैनाल में पानी छोड़े जाने की संभावना जतायी जा रही है. वैसे नियमानुकूल पहली जुलाई से उक्त नहर के संचालन करने का प्रावधान है. इस बार प्री मॉनसून की बारिश से सूखी कोयल नदी की धार तेज हो गयी है. बराज में जल भंडारण होने से अन्नदाताओं के चेहरे पर मुस्कान है. उन्हें ऐसा लग रहा है कि इस बार ससमय धान की खेती शुरू होगी. हालांकि, मोहम्मदगंज के भीम बराज की स्थिति ठीक नहीं है. खरीफ फसल की खेती किसानों के सिर पर सवार है, पर अबतक बराज का मेंटेनेंस नहीं शुरू किया गया है. गेट सर्विसिंग के प्रति मैकेनिकल विभाग संवेदनशील नहीं दिख रहा है. यह लोगों के समझ से परे है. अब तक गेट कंप्लीट हो जाना चाहिए था. इस बात को लेकर किसान चितिंत भी है. बराज का गेट नंबर 19 वर्षो से टर्न है. उसमें स्टॉप लौग लगा हुआ है. किसी भी स्थिति में अपरेट नहीं होता है. वहीं, गेट नंबर 36 का काउंटर वेट क्षतिग्रस्त हो गया है. जानकारी के अनुसार वर्ष 2016 में 16 अगस्त की रात कोयल नदी में भयंकर बाढ़ आयी थी. उस समय के बाढ़ में गेट नंबर 4,5,19,21व 25 पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था. डैमेज अन्य सभी गेटों को ऐन वक्त ठीक करा दिया गया था. गेट नंबर 19 में अभी भी स्टांप लॉंग के सहारे है. जल संसाधन रूपांतरण प्रमंडल संख्या (2) मेदनीनगर के एसडीओ अमरेश कुमार सिंह ने बताया कि गेट का गेयर बॉक्स व ड्रम बॉक्स के साथ-साथ रस्सी की सर्विसिंग की जानी है. इसके लिए अहमदाबाद के हार्डवेयर मशीन टूल्स मशीनरी प्राइवेट प्रोजेक्ट अधिकृत है. उन्होंने बताया कि आयलिंग ग्रिसिंग,कैडनियम कंपाउंड,गेट वेयरिंग,रबर सिल आदि का काम अभी बाकी है. बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होने बड़े पेड़ो के झटका से गेट अक्सर टर्न हो जाता है. इसके साथ हीं वेयरिंग में जंग लग जाता है.
पेटिंग नहीं होने से जंग लग कर सड़ रहा है बराज का गेट
उत्तर कोयल नहर अभी तक पूरी तरह से बरसाती है. झारखंड के पठारी भाग में बारिश होने पर बराज में पानी रोककर नहर का संचालन किया जाता है. अन्यथा नहर सूखी हुई रहती है. इसके बावजूद अब तक गेट की सर्विसिंग नहीं शुरू की जा रही है. उक्त बराज का 40 गेट में दो बिल्कुल डैमेज है. वहीं बराज का 30 गेट जंग लगकर सड़ रहा है. वर्ष 2017 से लेकर आज तक गेट की पेटिंग नहीं करायी गयी है. यहीं नहीं कंट्रोल ब्लिडिंग का खिड़की दरवाजा टूटा है. अधिकारियों ने बताया कि कंट्रोल पैनल के लिए फूली एसी रूम होना चाहिए. कंट्रोल पैनल एसी नहीं रहने से गेट अपरेट तो होता है पर प्रोपर रीडिंग सो नहीं करता है. विदित हो कि पूरा बराज में गाद से पटा हुआ है. वर्षों से इसकी सफाई नहीं करायी गयी है. ऐसे में बराज का जल्द भंडारण काफी घट गया है. पहले बराज में एक बार पानी के स्टाॅक होने पर 10 दिनों तक नहर का संचालन किया जाता था. अब तीन से चार दिनों में बराज में पानी का आमद करने पर पौंड लेबल डाउन कर जाता है.
क्या बताते हैं अफसर
बराज के कार्यपालक अभियंता विनीत प्रकाश ने बताया कि बराज का रूप वायर व रबर सील ठीक है. उसे ग्रिसिंग कराना है. गेट के मोटर व सायरन भी बिल्कुल सही है. बिजली के अभाव में हाई पावर जनरेटर से गेट का अपरेट किया जाता है. विभाग बिजली बिल के अपेक्षा कम खर्च से नहर का संचालन करने का संचालन करने का प्रयास करता है. बिजली पंखा के लिए सोलर सिस्टम है. उन्होंने बताया कि बराज में शिल्ट के जमाव होने से गेट अपरेट करने के दिक्कत होती है. ठीक से गेट डाउन नहीं होने की स्थिति में नदी के नीचले भाग में पानी का रिसाव होते रहता है. उन्होंने बताया कि एलएमसी का मेन गेट टूटा हुआ है. इसके वजह से बराज का पानी झारखंड क्षेत्र में निकल जा रहा है. इधर भीम चूल्हा के समीप एफलेक्स बांध से पानी ओवर फ्लो कर राईट साईड कैनाल में जा रहा है.क्या बताते हैं चीफ इंजीनियर
चीफ इंजीनियर अर्जुन प्रसाद सिंह ने बताया कि किसानों को ससमय धान की खेती करने के लिए कोयल नहर से पानी मिले इसके लिए हर संभव प्रयास जारी है. यथाशीघ्र बराज के सभी गेटों को सर्विसिंग करा दिया जायेगा. आवश्यक कार्रवाई के लिए संबंधित विभाग को पत्र लिखा गया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
