खेतों में हरित चादर बिछाने की तैयारी, 44 क्विंटल ढैचा का बीज किया जायेगा वितरित
प्रखंड के सभी 20 पंचायत में ढैचा का बीज वितरण निर्धारित किया
बीज वितरण के लिए प्रखंड के सभी 20 पंचायतों का किया गया चयन प्रतिनिधि, अंबा. खेतों में रासायनिक खाद का प्रयोग कम तथा जैविक खाद का प्रयोग अधिक हो, इसके लिए कृषि विभाग द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहा है. जगह-जगह पर किसान चौपाल लगाकर किसानों को जैविक खाद के बारे में जानकारी दी जा रही है. वही खाली पड़े खेतों में हरी चादर बिछाने की तैयारी की जा रही है. इसके लिए कुटुंबा प्रखंड में 44.28 क्विंटल बीज वितरण किया जाना है. प्रभारी बीएओ प्रदीप कुमार सिंह ने सभी कृषि समन्वयक एवं किसान सलाहकार को ढैचा का बीज वितरण करने की जिम्मेदीरी दी है. उन्होंने प्रखंड के सभी 20 पंचायत में ढैचा का बीज वितरण निर्धारित किया है. बीएओ ने बताया कि भरौंधा, परता, रिसियप व बैरांव पंचायत में कृषि समन्वयक परशुराम पासवान के देखरेख में बीज का वितरण किया जायेगा. उन्होंने बताया कि भरौंधा पंचायत में 2.20 क्विंटल बीज का वितरण किया जाना है, जिसकी जिम्मेदारी कृषि समन्वयक के अलावा किसान सलाहकार अजय कुमार को दी गयी है. परता पंचायत में किसान सलाहकार अकाश कुमार, रिसियप में किसान सलाहकार मनीष कुमार व बैरांव पंचायत में रामाकांत कुमार को नामित किया गया है. करमा बसंतपुर, डुमरा, डुमरी व बलिया पंचायत के लिए कृषि समन्वयक योगेंद्र कुमार के अलावा उक्त पंचायत में क्रमशः किसान सलाहकार दीपक कुमार सिंह, रंजीत कुमार सिंह, आकाश कुमार एवं रमेश शर्मा को नामित किया गया है. मटपा, पिपरा बगाही, सुही व जगदीशपुर पंचायत में कृषि समन्वयक संजीव कुमार के साथ क्रमशः किसान सलाहकार मृत्युंजय कुमार सिंह, चितरंजन पांडेय, मुरारी राम एवं संजीव कुमार सिंह लगाए गए हैं. अंबा, संडा, घेउरा एवं तेलहारा पंचायत में वितरण की जिम्मेवारी कृषि समन्वयक सुजीत कुमार राम के अलावे उक्त पंचायत में क्रमशः किसान सलाहकार मनीष कुमार, धर्मेंद्र कुमार, मुरारी राम एवं रंजीत कुमार पांडेय को दिया गया है. इसी तरह दधपा, वर्मा कुटुंबा एवं महाराजगंज पंचायत में कृषि समन्वयक प्रवीण सिंह के अलावा रमेश शर्मा, चितरंजन पांडेय, रामाकांत कुमार व दिलफराज अंसारी लगाये गये हैं. जानकारी के अनुसार एक पंचायत में तकरीबन दो क्विंटल 20 ढैंचा का बीज वितरण किया जाना है. कृषि विशेषज्ञों की मानें तो खरीफ की फसल लगाने से पूर्व खाली पड़े खेत में ढैचा लगाने और फिर उसे खेत में ही सडा देने से जैविक खाद की प्राप्ति होती है. इससे प्रचुर मात्रा में उर्वरक मिलता है, जिससे उत्पादन अधिक होता है. साथ ही पौष्टिक भी होता है. हालांकि ढैचा का बीच वितरण और पहले ही किया जाना चाहिए. विलंब से बीज वितरण शुरू किए जाने से समय पर धान की रोपाई करने वाले किसान ढैचा नहीं लगा पाएंगे. स्थिति यह है कि साधन संपन्न किसान धान के बिचडे़ की बुआई कर चुके हैं. वैसे किसान 10 से 15 दिनों में खेतों की जुताई कार्य शुरू करेंगे ऐसे में ढैचा तैयार नहीं हो पायेगा. इस बार ढैचा का बीज 41 रुपये 80 पैसा प्रति किलो है. ऐसे में रेट अधिक होने से भी किसान ढैचा का बीज लेने से परहेज कर रहे हैं.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
