ओपीडी में डॉक्टर नहीं रहने पर मरीजों ने किया हंगामा

औरंगाबाद नगर : इन दिनों सदर अस्पताल की चिकित्सीय व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गयी है. चिकित्सक इलाज करने के लिए कब आयेंगे और कब चले जायेंगे यह कहना मुश्किल है. जब मन होता है चिकित्सक ड्यूटी पर आते है और जब मन होता चले जाते है. यही कारण है कि आये दिन सदर अस्पताल […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 13, 2019 7:42 AM

औरंगाबाद नगर : इन दिनों सदर अस्पताल की चिकित्सीय व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गयी है. चिकित्सक इलाज करने के लिए कब आयेंगे और कब चले जायेंगे यह कहना मुश्किल है. जब मन होता है चिकित्सक ड्यूटी पर आते है और जब मन होता चले जाते है. यही कारण है कि आये दिन सदर अस्पताल में हंगामा हो रहा है.

गुरुवार की सुबह एक बार फिर हंगामा हो गया. सबसे बड़ी बात यह है कि यहां निर्धारित समय पर ओपीडी भले ही खोल दिया जाता है, लेकिन समय पर न तो डॉक्टर पहुंचे हैं और न ही कर्मचारी. हुआ भी यही. सुबह आठ बजे से काफी संख्या में मरीज इलाज के लिए ओपीडी के समीप कतार में खड़े थे. लगभग दो घंटे तक मरीजों ने डॉक्टरों का इंतजार किया और जब 10 बजे तक ओपीडी में डॉक्टर नहीं पहुंचे, तो मरीजों का धैर्य जवाब दे गया.
इसके बाद तो मरीज हंगामा करने लगे. शाहपुर मुहल्ले की महिला शांति देवी, कविता देवी, न्यू एरिया की सविता देवी, सुशीला कुमारी, पूनम कुमारी, बिराटपुर के मनोज कुमार, फारम एरिया के विनय सिंह, रिसियप के अनिल कुमार, बारुण के सुदर्शन पासवान आदि मरीजों ने कहा कि औरंगाबाद में सदर अस्पताल सिर्फ नाम का अस्पताल है. यहां डॉक्टरों की लापरवाही और मनमानी से हर कोई परेशान है. आखिर हम जाएं तो कहां .
कभी भी समय पर डॉक्टर नहीं पहुंचते है. ऐसे में अगर किसी की जान चली जाये, तो उसका जवाबदेह कौन बनेगा. हंगामा कर रहे मरीजों ने डॉक्टरों की शिकायत सिविल सर्जन से की, लेकिन उनके द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. यहां तक कि उपाधीक्षक को भी नहीं बोला गया. इसकी सूचना कुछ लोगों ने जिलाधिकारी राहुल रंजन महिवाल से की.
चिकित्सकों की काफी कमी
गौरतलब है कि सदर अस्पताल को मॉडल अस्पताल का दर्जा दिया गया है, लेकिन चिकित्सकों की काफी कमी है, जिसके कारण आये दिन हंगामा होते रहता है. सबसे बड़ी बात यह है कि आज भी सदर अस्पताल में इमरजेंसी ड्यूटी की एक परंपरा सी चल रही है. जो रात में डॉक्टर रहते है वह समय पर सुबह अपने घर लौट जाते हैं और उस वक्त कार्यरत डॉक्टर पहुंच भी नहीं पाते है. वैसे यह कोई नयी बात नहीं है. जल्द व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ, तो मरीजों का मोह भी भंग हो जायेगा.

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