कलियुग में भगवान का वास सभी धर्म नगरी में है : जीयर स्वामी जी महाराज

परमानपुर चातुर्मास व्रत स्थल पर जीयर स्वामी जी महाराज की चल रही भागवत कथा

By DEVENDRA DUBEY | July 17, 2025 5:46 PM

आरा.

परमानपुर चातुर्मास व्रत स्थल पर संत जीयर स्वामी जी महाराज ने प्रवचन करते हुए धर्म के आश्रय के बारे में बताया. द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के जाने के बाद भगवान के रूप में धर्म ने अपना आश्रय किन-किन जगहों पर लिया उसकी चर्चा की. स्वामी जी महाराज ने कहा कि कलियुग में भगवान का धर्म के रूप में वास तीर्थ क्षेत्र में है. जैसे बद्रीनारायण, जगन्नाथपुरी, रंगनाथ, द्वारकापुरी, उज्जैन, बक्सर, प्रयागराज, वाराणसी आदि. जितने भी धार्मिक स्थल हैं, वहां पर कलियुग में भगवान के स्वरूप के रूप में धर्म का आश्रय है. जहां पर भगवान के स्वरूप की पूजा की जाती है. उन स्थानों पर भी भगवान के रूप में धर्म का वास होता है. वहीं, जहां पर भगवान की कथा की चर्चा की जाती है. वहां पर भी भगवान के स्वरूप में धर्म वास करता है. आगे स्वामी जी ने बताया कि जितने भी धार्मिक ग्रंथ हैं. जैसे वेद, पुराण, रामायण, श्रीमद्भागवत महापुराण आदि ग्रंथ में भी धर्म के स्वरूप के रूप में भगवान वास करते हैं. वैसा स्थान जहां पर भगवान के लीलाओं की चर्चा की जाती है, जहां पर भगवान का गुणगान किया जाता है, जहां संत महात्मा भगवान की निरंतर ध्यान पूजा पाठ में लगे रहते हैं. वैसे स्थान पर भी धर्म के स्वरूप के रूप में भगवान वास करते हैं. स्वामी जी ने बताया कि कलयुग में भगवान के स्वरूप का धर्म के रूप में वास वैसे स्थान पर भी होता है, जहां पर सात्विक खान-पान रहन-सहन के साथ नित्य प्रतिदिन भगवान के नाम का उच्चारण किया जाता है. यानि भगवान के नाम का स्मरण किया जाता है. वैसे स्थान पर भी भगवान का कलियुग में वास बताया गया है. श्रीमद्भागवत प्रसंग अंतर्गत सौनक जी नैमिषारण्य में उग्रसर्वा सूत जी से कई प्रश्न पूछते हैं. जैसे कि भगवान को कैसे प्राप्त किया जाये. भगवान का वास कलियुग में कहां-कहां पर होता है, भगवान को प्राप्त करने का सहज माध्यम क्या है, भगवान को कैसे प्रसन्न किया जा सकता है. आदि सवालों का जवाब में सूत जी सौनक जी से भगवान के वास और प्रसन्न करने की जानकारी देते हैं.

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