अमित शाह की रैली मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र सीमांचल में ही क्यों? बिहार से बंगाल तक पड़ सकता है बड़ा असर

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का कार्यक्रम सीमांचल में होने जा रहा है. दो दिवसीय दौरे पर बिहार आ रहे अमित शाह की रैली व बैठकों के लिए भाजपा ने सीमांचल को ही क्यों चुना. जानिये संभावित वजह..

By Prabhat Khabar Print Desk | September 21, 2022 10:18 AM

Amit Shah In Bihar: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 23 सितंबर को सीमांचल के दो दिवसीय दौरे पर आ रहे हैं. उनके इस कार्यक्रम को मिशन 2024 यानी आगामी लोकसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है. हालाकि भाजपा की ओर से इसे नॉर्मल कार्यक्रम ही बताया जा रहा है लेकिन हाल में हुए सियासी उलटफेर के बाद ऐसा माना जा रहा है कि सीमांचल के रास्ते ही अमित शाह पूरे बिहार में मिशन-2024 का आगाज करेंगे.

राजद ने ओवैसी के बनाये किले को भी भेदा

अमित शाह दो दिवसीय दौरे के क्रम में पूर्णिया में जनभावना रैली को संबोधित करेंगे. जबकि किशनगंज में उनकी दो बैठकें है. जदयू ये गठबंधन टूटने के बाद अमित शाह का यह पहला बिहार दौरा है. राजनीतिक मामलों के विशेषज्ञ इसे अलग-अलग मायने में देख रहे हैं. सीमांचल को महागठबंधन का गढ‍़ माना जाता है. हाल में ही राजद ने यहां ओवैसी के बनाये किले को भी भेदा है. अमित शाह के दौरे पर महागठबंधन की भी पैनी निगाहें है.

नीतीश कुमार के बगैर भाजपा का मिशन 2024

भाजपा ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बिहार में मिशन 35 का टारगेट रखा है. बता दें कि पिछली बार 2019 के चुनाव में जब जदयू साथ थी जो बिहार की 40 सीटों में 39 एनडीए के पास गयी थीं जिसमें 16 सीटें जदयू के खाते में रहीं. अब नीतीश कुमार के बगैर जब भाजपा मैदान में उतरेगी तो भाजपा ने भी अपनी तैयारी उस ओर शुरू कर दी है.

मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र सीमांचल

सीमांचल की बात करें तो यह मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है. जहां राजद के एम-वाइ समीकरण के कारण इसे महागठबंधन का गढ़ माना जाता है. पिछले चुनाव में एनडीए ने बिहार में 40 में 39 सीटों पर कब्जा जमाया लेकिन किशनगंज की सीट कांग्रेस के ही खाते में गयी. सीमांचल में 40 से 70 फीसदी अल्पसंख्यक आबादी है. किशनगंज में 68 प्रतिशत, कटिहार में 45 प्रतिशत तो अररिया और पूर्णिया में 35 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं. लेकिन सबसे दिलचस्प बात ये है कि यहां अब महागठबंधन भी खुद को मजबूत ही करने में लगा है. पहले वाली मजबूती अब यहां उनकी भी नहीं रही.

सीमांचल की रैली का प्रभाव!

राजनीति मामले के जानकार कहते हैं कि अमित शाह ने सीमांचल में कार्यक्रम इसलिए चुना होगा क्योंकि यहां से वो राजनीति की ऐसी बिसात बैठाना चाहते होंगे जिससे जातीय गोलबंदी की बजाय तमाम हिंदुओं का बड़ा और असरदार ध्रुवीकरण कर सकें. जिसकी गूंज पूरे बिहार-बंगाल तक सुनाई पड़े. भाजपा के नेता सीमांचल के इतिहास को याद कर बताते हैं कि ये उनके लिए उपजाउ जमीन रही है.

Posted By: Thakur Shaktilochan

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