Lovlina: कॉमनवेल्थ शुरू होने से पहले भारतीय दल में बवाल, लवलीना के कारण कोच को छोड़ना पड़ा खेल गांव

Commonwealth Games 2022 ओलंपिक कांस्य पदक विजेता लवलीना बोरगोहेन की व्यक्तिगत कोच संध्या गुरूंग को ठहराने के लिये मुख्य कोच भास्कर भट्ट ने राष्ट्रमंडल खेल गांव में अपना कमरा छोड़ दिया. भट्ट करीब में ही एक होटल में चले गये. संध्या खेल गांव में भट्ट के कमरे में ठहरी हुई हैं. भ

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 27, 2022 10:56 PM

राष्ट्रमंडल खेल 2022 (Commonwealth Games 2022 ) शुरू होने से पहले भारतीय दल में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. भारतीय महिला मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन (Lovlina Borgohain) की वजह से भारतीय महिला मुक्केबाजी टीम के मुख्य कोच भास्कर भट्ट को खेल गांव छोड़ना पड़ा. दरअसल लवलीना ने दो दिनों पहले मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया था.

लवलीना बोरगोहेन की व्यक्तिगत कोच के कारण भास्कर भट्ट को छोड़ना पड़ा कमरा

ओलंपिक कांस्य पदक विजेता लवलीना बोरगोहेन की व्यक्तिगत कोच संध्या गुरूंग को ठहराने के लिये मुख्य कोच भास्कर भट्ट ने राष्ट्रमंडल खेल गांव में अपना कमरा छोड़ दिया. भट्ट करीब में ही एक होटल में चले गये. संध्या खेल गांव में भट्ट के कमरे में ठहरी हुई हैं. भट्ट ने कहा, मैं यहां खेल गांव से 10 मिनट की दूरी पर स्थित एक होटल में चला गया. उन्होंने कहा, मैंने स्वेच्छा से अपना कमरा संध्या को दिया क्योंकि यह घर का मामला है और अच्छा यही है कि इन चीजों को आपस में ही सुलझा लिया जाये.

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भट्ट को सभी स्टेडियम और खेल गांव जाने की है अनुमति, लेकिन रात में नो एंट्री

भट्ट ने पिछले साल से ही सीनियर महिला टीम के मुख्य कोच पद का भार संभाला था, उन्हें अब भी सभी स्टेडियम और खेल गांव में जाने की अनुमति है। सिर्फ एक बदलाव हुआ है कि वह रात में खेल गांव में नहीं रूक पायेंगे. उन्होंने कहा, मुझे हर जगह जाने की अनुमति है इसलिये मुझे कोई समस्या नहीं है. भट्ट के मार्गदर्शन में भारतीय महिला टीम ने मई में हुई विश्व चैम्पियनाशिप में तीन पदक हासिल किये जिसमें से एक स्वर्ण पदक था.

लवलीना ने लगाया था उत्पीड़न का आरोप

टोक्यो ओलंपिक कांस्य पदक विजेता लवलीना ने दावा किया था कि उनकी कोच के लगातार उत्पीड़न के कारण उनकी तैयारियां प्रभावित हो रही थीं. खेलों के शुरू होने से कुछ दिन पहले ही संध्या को भारतीय दल में शामिल किया गया जिसके कारण ही उन्हें एक्रिडिटेशन मिलने में देरी हुई. फिर रविवार को तब वह यहां पहुंची तो उन्हें खेल गांव में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गयी क्योंकि उनके पास एक्रिडिटेशन नहीं था, इससे विवाद खड़ा हो गया. उन्हें एक होटल में ठहराया गया जहां अतिरिक्त अधिकारी रूके थे. संध्या को मंगलवार को अपना एक्रिडिटेशन मिला लेकिन ऐसा टीम डॉक्टर करणजीत छिब की कीमत पर करना पड़ा जिन्हें खेलों के दौरान अब प्रत्येक दिन दल प्रमुख से अनुमति पत्र की जरूरत होगी.

टीम डॉक्टर करणजीत छिब भी खेल गांव से बाहर

छिब भारतीय दल के आठ मुक्केबाजी अधिकारियों में शामिल थे लेकिन संध्या को शामिल करने के लिये उनका एक्रिडिटेशन पी-कोच का करना पड़ा. भारतीय मुक्केबाजी महासंघ के कार्यकारी निदेशक कर्नल अरूण मलिक ने कहा, टीम डॉक्टर का एक्रिडिटेशन पी-कोच का कर दिया गया. इसका मतलब है कि उन्हें खेल गांव जाने के लिये हर रोज सुबह को दल प्रमुख से अनुमति पत्र / पास की जरूरत होगी. डॉक्टर अब होटल में रहेंगे और ट्रेनिंग के दौरान पूरे दिन उपलब्ध रहेंगे. टीम डॉक्टर वैसे रिंग के बाहर मौजूद नहीं होते क्योंकि आयोजकों के डॉक्टर मुकाबलों के दौरान मुक्केबाजों की मेडिकल जरूरतों का ध्यान रखने के लिये उपस्थित होते हैं. भारतीय मुक्केबाजी दल में 12 मुक्केबाज (आठ पुरूष और चार महिलायें) हैं और खेलों के नियमों के अनुसार केवल 33 प्रतिशत सहयोगी स्टाफ को ही अनुमति दी जाती है. भारतीय टीम के साथ चार सहयोगी स्टाफ होने चाहिए थे लेकिन आईओए की मदद से इन्हें बढ़ाकर आठ कर दिया गया है.

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