Vastu Tips 2026: क्या आप जानते है गृह प्रवेश का मतलब, जानें ज्योतिष और वास्तु की आध्यात्मिक मान्यता
Vastu Tips 2026: कई बार मजबूरी, नौकरी, बीमारी या अन्य कारणों से लोग बिना विधि-विधान के घर में रहने लगते हैं. शास्त्र इसके लिए भी उपाय बताते हैं. यदि किसी कारणवश गृह प्रवेश नहीं कर पाए हों तो आइए जानते है ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ वाणी अग्रवाल से-
Vastu Tips 2026: भारतीय सनातन परंपरा में गृह प्रवेश केवल नए मकान में रहने की शुरुआत नहीं, बल्कि एक पवित्र संस्कार माना गया है. शास्त्रों के अनुसार घर केवल ईंट-पत्थर की रचना नहीं, बल्कि वह स्थान है जहां मनुष्य का जीवन, संस्कार, कर्म और भविष्य आकार लेता है.इसी कारण वेद, पुराण, ज्योतिष और वास्तु—चारों में गृह प्रवेश को अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है. आइए जानते है ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ वाणी अग्रवाल से सबकुछ-
Vastu Tips 2026: वेद और पुराण क्या कहते हैं?
- वेदों में गृह को गृहस्थ आश्रम का मूल कहा गया है.
- अथर्ववेद के अनुसार, जिस स्थान पर अग्नि, जल और मंत्रों द्वारा शुद्धिकरण होता है, वहाँ देव शक्तियां स्थायी रूप से निवास करती हैं.
- पुराणों में वर्णन है कि नए घर में प्रवेश से पहले उस स्थान की सूक्ष्म ऊर्जा को शुद्ध करना आवश्यक होता है.
- गरुड़ पुराण और स्कंद पुराण में उल्लेख मिलता है कि विधिपूर्वक किया गया गृह प्रवेश घर में लक्ष्मी, वास्तु पुरुष और कुल देवता की कृपा सुनिश्चित करता है.
- शास्त्रों के अनुसार, बिना संस्कार के गृह में प्रवेश करने से मन की अशांति, आर्थिक अड़चन और पारिवारिक तनाव की संभावना बढ़ जाती है.
आध्यात्मिक दृष्टि से गृह प्रवेश
आध्यात्मिक रूप से गृह प्रवेश का अर्थ है
पंचतत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) का संतुलन बनाए रखना.
कलश स्थापना- जल तत्व का संतुलन बनाए रखता है.
हवन – अग्नि तत्व का,
दीप प्रज्वलन – प्रकाश व ऊर्जा का,
मंत्रोच्चार – आकाश तत्व का,
इस संतुलन से घर एक ऊर्जावान और शुभ स्थान बनता है.
ऋषियों एवं ग्रंथों के अनुसार गृह प्रवेश के समय ग्रहों की स्थिति व्यक्ति के जीवन पर दीर्घकालीन प्रभाव डालती है.
शुभ माने जाते हैं:-
गुरु, शुक्र, बुध और चंद्र की अनुकूल स्थिति हो,
शुभ तिथि, नक्षत्र और लग्न,चंद्रबल का मजबूत होना.
अशुभ माने जाते हैं:-
राहु काल, यमगंड, गुलिक काल तथा
गुरु या शुक्र अस्त होना.
चंद्रमा का निर्बल स्थिति में होना.
इसी कारण शास्त्रों में कहा गया है कि गृह प्रवेश बिना मुहूर्त नहीं करना चाहिए.
वास्तु शास्त्र क्या कहता है?
वास्तु शास्त्र के अनुसार हर घर में वास्तु पुरुष का वास होता है. गृह प्रवेश से पहले घर का वास्तु शुद्ध होना आवश्यक है.
मुख्य वास्तु नियम:-
मुख्य द्वार स्वच्छ और रोशन हो,
ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) हल्का और साफ हो,
गृह प्रवेश के समय घर पूर्ण रूप से खाली न हो,
पहले दिन रसोई का उपयोग अवश्य हो,
वास्तु मानता है कि गृह प्रवेश के समय की गई छोटी-सी भूल भी भविष्य में-
धन रुकावट,स्वास्थ्य समस्या,मानसिक अशांति का कारण बन सकता है.
यदि किसी कारणवश गृह प्रवेश नहीं कर पाए हों तो क्या करें?
(ज्योतिषीय और वास्तु उपाय)
कई बार मजबूरी, नौकरी, बीमारी या अन्य कारणों से लोग बिना विधि-विधान के घर में रहने लगते हैं. शास्त्र इसके लिए भी उपाय बताते हैं.
गृह में रहने से पहले करने योग्य उपाय
घर में गंगाजल या शुद्ध जल छिड़कें.
मुख्य द्वार पर स्वस्तिक या ॐ बनाएं.
दीपक प्रज्वलित कर भगवान से क्षमा प्रार्थना करें.
बाद में किए जाने वाले शास्त्रीय उपाय
किसी भी शुभ दिन (गुरुवार/शुक्रवार) को लघु गृह प्रवेश पूजा करवाई जा सकती है.
नवग्रह शांति हवन या,
वास्तु शांति पूजा करवा सकते हैं,
पहली रसोई अवश्य करें,
सरल वास्तु उपाय
घर में प्रतिदिन दीपक जलाएं.
ईशान कोण में जल पात्र रखें.
सप्ताह में एक दिन धूप दिखाएं.
तुलसी या शुभ पौधा लगाएं.
इन उपायों से घर की नकारात्मक ऊर्जा धीरे-धीरे समाप्त हो जाती है.
निष्कर्ष
शास्त्र, वेद-पुराण, ज्योतिष और वास्तु—सभी एक स्वर में यह मानते हैं कि
गृह प्रवेश जीवन का अत्यंत पवित्र और निर्णायक संस्कार है.
यदि यह विधि-विधान से हो, तो
घर में सुख-शांति,आर्थिक स्थिरता, मानसिक संतुलन, पारिवारिक समृद्धि
स्वतः आती है.
और यदि किसी कारणवश यह संभव न हो, तो शास्त्र उपाय का मार्ग भी दिखाते हैं ताकि मनुष्य दोष के साथ नहीं, समाधान से आगे बढ़े.
वाणी अग्रवाल
ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ
Mo- 9431002995
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