Shani Pradosh 2021 Date : शनि प्रदोष व्रत आज, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत नियम और कथा

Shani Pradosh 2021 Date : हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है. प्रदोष व्रत महीने में दो बार और साल में कुल 24 होती है. प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि को रखने की परंपरा है. इस समय भाद्रपद माह चल रहा है. इस माह की त्रयोदशी तिथि 4 सितंबर दिन शनिवार को पड़ रही है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 4, 2021 6:47 AM

Shani Pradosh 2021 Date : हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है. प्रदोष व्रत महीने में दो बार और साल में कुल 24 होती है. प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि को रखने की परंपरा है. इस समय भाद्रपद माह चल रहा है. इस माह की त्रयोदशी तिथि 4 सितंबर दिन शनिवार को पड़ रही है. इसलिए प्रदोष को शनि प्रदोष व्रत भी कहा जाएगा. शनि प्रदोष व्रत में भी भगवान शिव की पूजा आराधना होती है. मान्यता है कि इस दिन जो भी पूरे नियमों का पालन करते हुए भगवान शिव की पूजन करते हैं. शिवजी उनके सभी संकट हर लेते हैं.

पंचांग के अनुसार 4 सितंबर 2021 दिन शनिवार को शनि प्रदोष व्रत है. त्रयोदशी तिथि 4 सितंबर की सुबह 8 बजकर 24 मिनट पर प्रारंभ होगी. इसके अगले दिन यानि 5 सितंबर को 8 बजकर 21 मिनट पर तिथि खत्म होगी. इसमें पूजन करने का शुभ समय 4 सितंबर को सूर्यास्त के 45 मिनट पहले से 45 मिनट बाद तक पूजा करने का उत्तम समय है.

ऐसे करें पूजन

त्रयोदशी तिथि के दिन दो बार भगवान शिव की पूजा करना चाहिए. एक बार सुबह उठकर स्नान आदि करने के बाद किसी मंदिर में या फिर घर पर ही भगवान शिव की पूजा करें. अक्षत, बेलपत्र और दीपक लगा कर पूजा करते हुए मन में शिव मंत्र का जाप करें. सुबह की पूजा से निवृत्त होने के बाद व्रत रखें और शाम की पूजा की तैयारी करें.

शाम की पूजा प्रदोष काल में करना शुभ होता है. इस बार 4 सितंबर को सूर्यास्त के 45 मिनट पहले से सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक पूजा करने का शुभ समय है. प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करें. भगवान को उनकी सभी प्रिय वस्तुएं अर्पित करें. पंचामृत से अभिषेक करें. शिव चालीसा का पाठ करना भी इस व्रत में शुभ माना जाता है.

प्रदोष व्रत कथा

प्रदोष व्रत से जुड़ी अलग-अलग कथाएं सुनने को मिलती हैं. एक कथा के अनुसार क्षय रोग से छुटकारा पाने के लिए चंद्रदेव ने प्रदोष का व्रत रखना शुरू किया. वहीं, दूसरी कथा एक सेठ और उसकी पत्नी की है. जिन्हें लंबे समय तक संतान नहीं हो रहा था. संतान प्राप्ति के लिए दंपत्ति तीर्थ यात्रा पर निकले. इस बीच मिले एक सिद्ध साधु ने उन्हें प्रदोष व्रत रखने के लिए कहा. जिसके बाद उन्हें संतान प्राप्ति हुई.

शनि प्रदोष में क्या करें?

4 सितंबर को शनि प्रदोष है. ये शनि के दोषों से मुक्ति पाने का अच्छा दिन माना जाता है. इस दिन शिव चालीसा के साथ साथ शनि स्त्रोत का पाठ भी अवश्य करें. शनि मंत्र का जाप भी करते रहें.

शनि प्रदोष व्रत में क्या न खाएं?

प्रदोष व्रत में लाल मिर्च, अन्न, चावल और सादा नमक नहीं खाना चाहिए.

Posted by: Radheshyam Kushwaha

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