Rukmini Ashtami 2022: इस दिन रुक्मिणी अष्टमी, यहां जानें सही तिथि , पूजा विधि, शुभ योग और महत्व

Rukmini Ashtami 2022: इस बार शुक्रवार, 16 दिसंबर 2022 को रुक्मिणी अष्टमी पर्व मनाया जाएगा. इस दिन देवी रुक्मिणी का व्रत रखा जाता है . ये पर्व पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है. इस दिन पूर्वा और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र होने से सिद्धि और शुभ नाम के 2 शुभ योग बनेंगे.

By Shaurya Punj | December 13, 2022 7:29 AM

Rukmini Ashtami 2022:   पौष मास की शुरूआत 9 दिसंबर, शुक्रवार से हो रही है. इस महीने में कई प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं. रुक्मिणी अष्टमी (Rukmini Ashtami 2022) भी इनमें से एक है. ये पर्व पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है.

इस दिन है रुक्मिणी अष्टमी

इस बार शुक्रवार, 16 दिसंबर 2022 को रुक्मिणी अष्टमी पर्व मनाया जाएगा. इस दिन देवी रुक्मिणी का व्रत रखा जाता है . इस दिन भगवान कृष्ण व रुक्मिणी की पूजा का विधान है. मान्यताओं के अनुसार इसी दिन द्वापर युग में देवी रुक्मिणी का जन्म हुआ था, वे विदर्भ नरेश भीष्मक की पुत्री थी.

रुक्मिणी अष्टमी पर बनेंगे ये शुभ योग (Rukmini Ashtami 2022 Shubh Yog)

पंचांग के अनुसार, पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 16 दिसंबर, शुक्रवार को पूरे दिन रहेगी. इस दिन पूर्वा और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र होने से सिद्धि और शुभ नाम के 2 शुभ योग बनेंगे. इनके अलावा प्रीति और आयुष्मान नाम के 2 अन्य शुभ योग भी इस दिन रहेंगे. इस तरह ये पर्व 4 शुभ योगों में मनाया जाएगा, जिसके चलते इसका महत्व और भी बढ़ गया है.  

रुक्मिणी अष्टमी, जानिए इसका महत्व और पूजा विधि

रुक्मिणी अष्टमी का पर्व पौष मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. अष्टमी तिथि देवी रुक्मिणी के जन्म से संबंधित है अत: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और देवी रुक्मिणी की पूजा की जाती है.  देवी रुक्मिणी को माँ लक्ष्मी का ही अम्श स्वरुप भी माना गया है पौराणिक गमान्यताओं के अनुसार श्री कृष्ण की सभी मुख्य भार्याओं में से एक रुक्मिणी जी भी थी जो उन्हें अत्यंत प्रिय थी और उनके जन्म दिवस का समय अत्यंत ही भक्ति भाव से मनाए जाने की परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है. रुक्मिणी अष्टमी पर्व लोक परंपराओं में सदैव मौजूद रहा और ग्रामीण क्षेत्रों में स्त्रियां अपने सौभाग्य में वृद्धि हेतु देवी रुक्मिणी का आशिर्वाद लेती है. इनकी पूजा द्वारा दांपत्य एवं संतान सुख का वरदान प्राप्त होता हैं.

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