Pradosh Vrat: 16 अगस्त को है प्रदोष व्रत, जानिये इस दिन किन उपायों से मिलेगी शनि प्रकोप से मुक्ति

Pradosh Vrat: भादो महीने का प्रदोष व्रत 16 अगस्त दिन रविवार को है. प्रदोष व्रत शनिदेव की पूजा के लिए विशेष दिन माना जाता है. प्रदोष व्रत को शनिदेव की पूजा के लिए विशेष दिन माना जाता है. प्रदोष व्रत को शनिदेव की पूजा के लिए विशेष दिन माना जाता है. इस दिन भक्त भगवान शिव की आराधना करते हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 14, 2020 8:23 AM

Pradosh Vrat: भादो महीने का प्रदोष व्रत 16 अगस्त दिन रविवार को है. प्रदोष व्रत शनिदेव की पूजा के लिए विशेष दिन माना जाता है. प्रदोष व्रत को शनिदेव की पूजा के लिए विशेष दिन माना जाता है. प्रदोष व्रत को शनिदेव की पूजा के लिए विशेष दिन माना जाता है. इस दिन भक्त भगवान शिव की आराधना करते हैं. प्रदोष व्रत की शाम को दिन ढलने के बाद शनिदेव की पूजा की जाती है. मान्यता है कि प्रदोष व्रत की शाम को शनिदेव की पूजा करने से शनिदेव से मिलने वाले दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलती है। आइये जानते हैं ऐसे उपायों के बारे में जिनके करने से शनिदेव के प्रकोप से बचने की मान्यता है…

प्रदोष व्रत की शाम शनिदेव को अपराजिता का नीले रंग का फूल चढ़ाएं. मान्यता के अनुसार यह उपाय सभी समस्याओं का अंत कर देता है. यह फूल शनिदेव को पसंद है, इसलिए इसे अर्पित करने से शनिदेव के प्रसन्न होने की मान्यता है.

इस व्रत में दिन ढल जाने पर अपराजिता का फूल अपने हाथ में लेकर शनिदेव से अपनी परेशानी बताएं. फिर उस फूल को बहते पानी में बहा दें. अगर पानी में बहा न सकें तो मिट्टी में उस फूल को दबा दें. यह बहुत प्रभावशाली उपाय माना जा

प्रदोष व्रत की शाम काली गाय को या काले कुत्ते को रोटी खिलाएं. अगर काला कुत्ता न मिले तो किसी भी कुत्ते को रोटी खिलाई जा सकती है. इससे भी संकट से मुक्ति की मान्यता है.

इस दिन बरगद के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं वहां बैठकर शनिदेव के मंत्र ‘ओम प्रां प्रीं प्रों सः शनिचराय नमः’ या फिर ‘ओम शं शनैश्चराय नमः का जाप करें.’

प्रदोष व्रत की शाम शनिदेव की प्रतिमा के समक्ष बैठकर सुंदरकांड का पाठ करें. पाठ करने के बाद “नीलांजन समाभासं रवि पुत्रां यमाग्रजं। छाया मार्तण्डसंभूतं तं नामामि शनैश्चरम्।।” मंत्र का जाप करें.

प्रदोष व्रत की रात को किए गए उपायों से शनिदेव बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं, इस रात बरगद के पेड़ की जड़ के पास चौमुखा दीपक जलाने से भगवान शनिदेव अपनी कृपा बनाए रखते हैं, इससे साढ़ेसाती और ढैय्या के दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है.

– प्रदोष व्रत की शाम कुष्ठरोगियों को काली वस्तुओं का दान करें. काली वस्तुओं में काला कपड़ा, काला बैग, काली चप्पल, काली घड़ी या काले गमछे का दान दिया जा सकता है, इसके अलावा काली मिठाई या पेय पदार्थ भी दान किया जा सकता है.

News posted by : Radheshyam kushwaha

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