Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष में करें इन चीजों के दान, पितर होंगे प्रसन्न, बरसेगी अपार कृपा

Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष 7 सितंबर से शुरू हो रहा है. इस दौरान लोग अपने मरे हुए पूर्वजों को याद करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान जैसे कर्मकांड करते हैं. माना जाता है कि इस दौरान वस्त्र, काला तिल, दूध, चांदी समेत अन्य वस्तुओं का दान करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है.

By Neha Kumari | September 5, 2025 6:26 PM

Pitru Paksha 2025: सनातन धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व है. पितृपक्ष आश्विन महीने की प्रतिपदा से शुरू होता है, जो कि अमावस्या तक चलता है. यह पूरे 15 दिनों तक मनाया जाता है. इस वर्ष पितृ पक्ष की शुरुआत 7 सितंबर 2025 से होगी और इसका समापन 21 सितंबर 2025 को सर्वपितृ अमावस्या के दिन होगा. पितृपक्ष के दौरान लोग अपने मरे हुए पूर्वजों को याद करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान जैसे कर्मकांड करते हैं. मान्यता है कि इस दौरान दान-पुण्य करने से पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है और पितृ दोष खत्म होता है.

वस्त्र का दान करें

शास्त्रों में बताया गया है कि जिस तरह मौसम का असर हम पर पड़ता है, उसी तरह हमारे पूर्वजों पर भी मौसम का प्रभाव पड़ता है. इसलिए पितृपक्ष के समय वस्त्र दान करना बहुत शुभ माना जाता है. इसके अलावा इस दौरान धोती और दुपट्टा दान करना भी शुभ होता है. इससे पितरों की कृपा बनी रहती है और घर-परिवार में सुख-शांति आती है.

छतरी का दान करें

मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान पितरों की शांति के लिए छतरी का दान करना चाहिए. ऐसा करने से जीवन की कई समस्याएं और रुकावटें दूर होती हैं. साथ ही घर-परिवार में खुशहाली और शांति बनी रहती है.

काले तिल का दान लाभदायक

सनातन धर्म में अंतिम संस्कार व श्राद्ध से जुड़े हर कार्य में काले तिल का इस्तेमाल किया जाता है, इसका विशेष महत्व होता है. कहा जाता है कि यदि कोई व्यक्ति कुछ और दान नहीं कर सकता है, तो केवल काले तिल का दान करने से भी पितरों का आशीर्वाद मिलता है. माना जाता है कि पितरों को काला तिल बहुत प्रिय होता है. इसका दान करने से जीवन की परेशानियां कम होने लगती हैं.

गुड़ और नमक का दान

मान्यता है कि यदि किसी परिवार में लंबे समय से झगड़े या पैसों की दिक्कत चल रही हो, तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति को पितृपक्ष में गुड़ और नमक का दान करना चाहिए. इससे आर्थिक स्थिति बेहतर होती है और परिवार में सौहार्द बढ़ता है.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी केवल मान्यताओं और परंपरागत जानकारियों पर आधारित है. प्रभात खबर किसी भी तरह की मान्यता या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है.

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