Nirjala Ekadashi 2023: आज रखा जा रहा है निर्जला एकादशी का व्रत, पूजा में जरूर शामिल करें ये खास चीज

Nirjala Ekadashi 2023: इस साल निर्जला एकादशी का व्रत आज 31 मई 2023 को रखा जा रहा है. मान्‍यता है कि जो भी व्‍यक्ति सच्‍चे भाव से यह व्रत करता है और दान पुण्‍य करता है वह भगवान विष्‍णु की कृपा का पात्र बनता है. हम आपको बताने वाले हैं कि निर्जला एकादशी के व्रत में किन चीजों को शामिल करना चाहिए.

By Shaurya Punj | May 31, 2023 6:49 AM

Nirjala Ekadashi 2023:  निर्जला एकादशी साल की चौबीस एकादशियों के तुल्य है. द्वापर युग में भीम ने भी निर्जला एकादशी का व्रत किया था, इस वजह से इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं.  इस साल निर्जला एकादशी का व्रत आज 31 मई 2023 को रखा जा रहा है. मान्‍यता है कि जो भी व्‍यक्ति सच्‍चे भाव से यह व्रत करता है और दान पुण्‍य करता है वह भगवान विष्‍णु की कृपा का पात्र बनता है. हम आपको बताने वाले हैं कि निर्जला एकादशी के व्रत में किन चीजों को शामिल करना चाहिए.

Nirjala Ekadashi 2023:  ये है शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी का व्रत  है. यह व्रत 30 मई 2023 को दोपहर 01 बजकर 07 मिनट से शुरू हो चुका है और 31 मई को दोपहर 01 बजकर 45 मिनट पर खत्म होगा. उदया तिथि के अनुसार, इस साल निर्जला एकादशी आज 31 मई 2023 दिन बुधवार को मनाई जा रही है.

Nirjala Ekadashi 2023:  पूजा सामग्री

भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र, पूजा की चौकी, पीला कपड़ा
पीले फूल, पीले वस्त्र, फल (केला, आम, ऋतुफल), कलश, आम के पत्ते
पंचामृत (दूध, दही, घी, शक्कर, शहद), तुलसी दल, केसर, इत्र, इलायची
पान, लौंग, सुपारी, कपूर, पानी वाली नारियल, पीला चंदन, अक्षत, पंचमेवा
कुमकुम, हल्दी, धूप, दीप, तिल, आंवला, मिठाई, व्रत कथा पुस्तक, मौली
दान के लिए- मिट्‌टी का कलश, सत्तू, फल, तिल, छाता, जूते-चप्पल

Nirjala Ekadashi 2023:  पूजाविधि

एकादशी के दिन गंगा स्नान का काफी महत्व है. इस दिन स्नान कर भगवान विष्णु को तुलसी, पीला चन्दन,रोली,अक्षत,पीले पुष्प,फल और धूप-दीप,मिश्री चढ़ाएं.  इसके बाद ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जाप करें. इस दिन गोदान,वस्त्रदान,छत्र,जूता,फल और जल आदि का दान करने से मनुष्य को जीवन से परेशानियां खत्म होती है. इस दिन रात्रि के समय जागरण करने की मान्यता है.  द्वादशी के दिन सूर्योदय के बाद विधिपूर्वक ब्राह्मण को भोजन करवाकर और दक्षिणा देकर अन्न और जल ग्रहण करें.

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