Navratri 2020: इस बार कलश स्थापना के लिए ब्रह्म मुहूर्त में नहीं है योग, जानिए किस नक्षत्र में होगा मां का आह्वान

Navratri 2020 : कल 17 अक्टूबर दिन शनिवार से नवरात्रि शुरू हो रही है. इस बार नवरात्रि का विशेष महत्व है. इस बार ब्रहम मुहूर्त में या सुबह पौ फटने के बाद कलश स्थापना नहीं होगी. सुबह चित्रा नक्षत्र होने के कारण कलश स्थापना नहीं की जा सकेगी. मां का अह्वान और कलश स्थापना इस बार अभिजीत मुहूर्त में दिन के11 बजकर 47 मिनट से शुरू होगी. इसी के साथ सनातनधर्मी परिवारों में नवरात्र व्रत आरंभ होगा और घर-घर मां दुर्गा की नौ दिवसीय पूजा शुरू होगी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 17, 2020 6:05 AM

Navratri 2020 : कल 17 अक्टूबर दिन शनिवार से नवरात्रि शुरू हो रही है. इस बार नवरात्रि का विशेष महत्व है. इस बार ब्रहम मुहूर्त में या सुबह पौ फटने के बाद कलश स्थापना नहीं होगी. सुबह चित्रा नक्षत्र होने के कारण कलश स्थापना नहीं की जा सकेगी. मां का अह्वान और कलश स्थापना इस बार अभिजीत मुहूर्त में दिन के11 बजकर 47 मिनट से शुरू होगी. इसी के साथ सनातनधर्मी परिवारों में नवरात्र व्रत आरंभ होगा और घर-घर मां दुर्गा की नौ दिवसीय पूजा शुरू होगी.

कई वर्षों के बाद ऐसा हो रहा है कि शारदीय नवरात्र की प्रतिपदा के दिन प्रात: काल कलश स्थापना का योग नहीं है. इसका कारण चित्रा नक्षत्र है. मान्यता है कि चित्रा नक्षत्र और वैधृति नक्षत्र में कलश स्थापना नहीं की जाती. ऐसे में 11 बजकर 52 मिनट पर चित्रा नक्षत्र की समाप्ति के बाद अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना आरंभ होगी.

दैवज्ञ डॉ श्रीपति त्रिपाठी ज्योतिर्विद के अनुसार अभिजीत मुहूर्त के दौरान स्वाति नक्षत्र में गुरु से युक्त धनु लग्न रहेगी. धनु राशि पर गुरु के होने से राहु की शांति के लिए यह सबसे उत्तम योग बनेगा. ऐसे में प्रतिपदा तिथि के अभिजीत मुहूर्त में ध्वजारोहण के साथ कलश स्थापना होगी. मां दुर्गा की नौ दिवसीय आराधना के क्रम में नौ दिन तक मां के अलग-अलग रूपों का ध्यान किया जाएगा.

ऐसे करें मां दुर्गा का अह्वान
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वेदियों पर कलश में गंगा जल भरकर मां दुर्गा का अह्वान करें. इसके बाद नारियल को लाल चुनरी में रखकर रक्षासूत्र से बांधे. फिर, गौरी, गणेश और नवग्रह पूजन के बाद मां की व्रतियों को मां की स्तुति करनी चाहिए. शारदीय नवरात्र के अनुष्ठानों के लिए इस बार कोरोना काल में घर-घर में तैयारियां की गई हैं. कोरोना से मुक्ति के लिए घरों से लेकर देवी मंदिरों तक नवचंडी पाठ स्तोत्र नाम जप किए जाएंगे.

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नौ तिथियों के नौ स्वरूप

प्रतिपदा को शैलपुत्री, द्वितीया को ब्रह्मचारिणी, तृतीया -चंद्रघंटा, चतुर्थी कुष्मांडा, पंचमी -स्कंदमाता, षष्ठी -कात्यायनी, सप्तमी- कालरात्रि, अष्टमी -महागौरी और नौमी को मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है.

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पुरुषोत्तम मास की पूर्णाहुति आज

इस बार चतुर्दशी तिथि के क्षय की वजह से पुरूषोत्तम मास के अनुष्ठानों की पूर्णाहुति शुक्रवार को अमावस्या तिथि में होगी. श्रीसूक्त मंत्र के साथ भगवान के द्वादश नामों का जप किया जाएगा. मां लक्ष्मी का ध्यान और पूजा करके अन्नदान के साथ इस व्रत की पूर्णाहुति की जाएगी.

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News posted by : Radheshyam kushwaha

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