Navratri 2020: मां दुर्गा के आगमन और गमन को लेकर अलग-अलग है मत, जानिए इस बार क्या होगी माता रानी की सवारी…

Navratri 2020: मां दुर्गा की सवारी शेर है, लेकिन नवरात्रि में उनके वाहन बदलते रहते है. हर साल मा का आगमन और प्रस्थान विशेष वाहन पर होता है. देवी दुर्गा के आने और जाने वाले हर वाहन में भविष्य के लिए विशिष्ट संकेत छिपे होते हैं. शारदीय नवरात्र ऐसा अवसर है जब देवी दुर्गा सिंह को छोड़ किसी अन्य सवारी से पृथ्वी पर आती हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 10, 2020 2:23 PM

Navratri 2020: मां दुर्गा की सवारी शेर है, लेकिन नवरात्रि में उनके वाहन बदलते रहते है. हर साल मा का आगमन और प्रस्थान विशेष वाहन पर होता है. देवी दुर्गा के आने और जाने वाले हर वाहन में भविष्य के लिए विशिष्ट संकेत छिपे होते हैं. शारदीय नवरात्र ऐसा अवसर है जब देवी दुर्गा सिंह को छोड़ किसी अन्य सवारी से पृथ्वी पर आती हैं. इसके लिए पंचांगों की गणना, देवीपुराण एवं दुर्गाशप्तसती के आधार पर सवारी का निर्धारण होता है. ऐसे में इस बार माता दुर्गा के आगमन व गमन को लेकर विभिन्न पंचांगों के अनुसार विद्वानों की राय अलग-अलग है.

माना जाता है कि माता जिस वाहन से आती है, उसके अनुसार वर्ष में होने वाली घटनाओं का भी आकलन किया जाता है. बंगीय पंचांगों के अनुसार देवी का आगमन (झूला) पर होगा, जबकि देवी पुराण के अनुसार देवी घोड़े पर सवार होकर आएंगी. घोड़े और झूला दोनों पर ही आगमन हाहाकारी माना गया है.

दैवज्ञ डॉ श्रीपति त्रिपाठी के अनुसार 17 अक्टूबर दिन शनिवार से नवरात्र की शुरुआत हो रही है, इसलिए देवी का आगमन घोड़े पर होगी. वहीं नवरात्रि की समापन सोमवार को होने के कारण प्रस्थान हाथी पर माना जाएगा. इधर, देवीपुराण के अनुसार नवरात्र में देवी के आगमन और प्रस्थान को लेकर भविष्य में होने वाली घटनाओं का संकेत के रूप में देखा जाता है.

घोड़े पर देवी के आगमन को ‘छत्रभंग स्तुरंगमे’ कहा गया है. घोड़े पर देवी का आगमन सर्व समाज के लिए अशुभ माना गया है. सत्ता पक्ष के लिए यह विशेष कष्टप्रद होता है. इस बार पंचांग भेद के कारण देवी के प्रस्थान की सवारी में भेद सामने आ रहा है. कुछ पंचांग के अनुसार देवी का प्रस्थान हाथी पर होगा तो वहीं कुछ भैंसे पर मान रहे हैं. इस दृष्टि से आगमन और प्रस्थान दोनों ही शुभदायक नहीं हैं.

देवीपुराण के अनुसार क्या है मान्यताएं

देवीपुराण के अनुसार नवरात्र की शुरुआत सोमवार-रविवार को हो तो देवी का आगमन हाथी पर होता है. शनिवार-मंगलवार होने से आगमन घोड़े पर होता है. वहीं, गुरुवार-शुक्रवार को कलश स्थापन का अर्थ देवी का आगमन डोली पर है. बुधवार के दिन नाव पर आगमन माना गया है.

News posted by : Radheshyam kushwaha

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