Mithuna Sankranti 2025 के दिन ऐसे करें सूर्य देवता की पूजा, जानें विधि

Mithuna Sankranti 2025 : मिथुन संक्रांति केवल खगोलीय परिवर्तन नहीं, बल्कि आत्मचेतना जागरण का अवसर है. इस दिन सूर्य देव की आराधना हमें तेजस्विता, आत्मबल और जीवन की सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है.

By Ashi Goyal | June 9, 2025 11:47 PM

Mithuna Sankranti 2025 : सनातन धर्म में प्रत्येक संक्रांति का अत्यंत विशेष महत्व होता है, और मिथुन संक्रांति भी उनमें से एक है. यह वह दिन होता है जब सूर्य देव वृषभ राशि को छोड़कर मिथुन राशि में प्रवेश करते हैं. इस संक्रांति से वर्षा ऋतु की शुरुआत मानी जाती है और कृषक वर्ग के लिए यह दिन अत्यंत शुभ होता है. इस दिन सूर्य भगवान की विधिपूर्वक पूजा करने से घर में सुख-शांति, आरोग्यता और समृद्धि बनी रहती है. आइए जानते हैं कि मिथुन संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा कैसे करनी चाहिए:-

Mithuna sankranti 2025 के दिन ऐसे करें सूर्य देवता की पूजा, जानें विधि 2

– सूर्य उदय से पूर्व उठें और शुद्ध स्नान करें

मिथुन संक्रांति के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर पवित्र नदी या स्वच्छ जल से स्नान करना चाहिए. यदि संभव हो तो गंगा जल मिलाकर स्नान करें. शुद्ध वस्त्र धारण करें और पूर्व दिशा की ओर मुख करके सूर्य देव का ध्यान करें. यह आत्मशुद्धि का पहला चरण होता है.

– सूर्य अर्घ्य देना अत्यंत शुभकारी

स्नान के बाद तांबे के लोटे में स्वच्छ जल, लाल फूल, अक्षत और रोली डालकर सूर्य भगवान को अर्घ्य दें. सूर्य को अर्घ्य देते समय “ओम घृणि सूर्याय नमः” मंत्र का उच्चारण करें. इससे नेत्र संबंधी रोग दूर होते हैं और आत्मबल की वृद्धि होती है.

– संपूर्ण सूर्य पूजा विधि अपनाएं

इस दिन सूर्य देवता की प्रतिमा या चित्र के समक्ष दीपक जलाएं। लाल या पीले फूल अर्पित करें. गुड़, गेहूं और लाल चंदन सूर्य को प्रिय माने जाते हैं – इन्हें पूजा में जरूर शामिल करें. ‘आदित्य हृदय स्तोत्र’ का पाठ करना अत्यंत फलदायी होता है.

– दान-पुण्य और सेवा कार्य करें

मिथुन संक्रांति को “दान संक्रांति” भी कहा जाता है. इस दिन जरुरतमंदों को वस्त्र, अन्न, गुड़, जल से भरे घड़े, चप्पल, छाता आदि का दान करें. ऐसा करने से सूर्य ग्रह से जुड़े दोष समाप्त होते हैं और कुल में उन्नति आती है.

– सात्विक आहार और संयमित दिनचर्या अपनाएं

पूरे दिन सात्विक आचरण रखें. तामसिक भोजन, क्रोध, और अपवित्र विचारों से दूर रहें। घर में भगवन्नाम संकीर्तन करें और सूर्य मंत्रों का जप करें. इस दिन का पुण्य संपूर्ण जीवन में कल्याणकारी प्रभाव देता है.

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मिथुन संक्रांति केवल खगोलीय परिवर्तन नहीं, बल्कि आत्मचेतना जागरण का अवसर है. इस दिन सूर्य देव की आराधना हमें तेजस्विता, आत्मबल और जीवन की सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है. यदि विधिपूर्वक पूजा की जाए, तो यह दिन जीवन में शुभता और सौभाग्य का द्वार खोलता है.