Kashi Vishwanath Dham Corridor: जानें काशी विश्वनाथ मंदिर में ज्योतिर्लिंग के स्थापना की कहानी

kashi vishwanath corridor varanasi, amazing facts of temple: आइए काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़े कुछ तथ्यों पर एक नजर डालते हैं जिनके बारे में अधिकतर लोगों को शायद ही पता हो.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 13, 2021 7:25 AM

12 ज्योतिर्लिंगों में से सातवां ज्योतिर्लिंग काशी विश्वनाथ है. इसके दर्शन मात्र से ही लोगों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. वाराणसी एक ऐसा पावन स्थान है जहाँ काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग विराजमान है. यह शिवलिंग काले चिकने पत्थर का है. काशी, यानि कि वाराणसी सबसे प्राचीन नगरी है. 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ मणिकर्णिका भी यहीं स्थित है। इस मंदिर का कई बार जीर्णोंद्धार हुआ.

मंगला- सुबह के 3 बजे
भोग- सुबह 11: 30 बजे
सप्त ऋषि आरती- शाम 7 बजे
श्रृंगार / भोग आरती- रात 9 बजे
शयन आरती- रात 10: 30 बजे

काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास

वाराणसी यानि काशी का जिक्र उपनिषदों और पुराणों में किया गया है. काशी शब्द की उत्पत्ति ‘कास’ शब्द से हुई, जिसका अभिप्राय है चमक.इस बात के साक्ष्य मिलते हैं कि काशी विश्वनाथ मंदिर की स्थापना 1490 में हुई थी. काशी नगरी कई प्रसिद्ध और प्रतापी राजाओं के शासन का गवाह रहा है. हम में से कुछ शायद ये जानते होंगे कि काशी में अल्प समय के लिए बौद्ध शासकों ने भी शासन किया था.

विश्वनाथ मंदिर में ज्योतिर्लिंग की स्थापना

पौराणिक कथाओं के मुताबिक, भगवान शिव देवी पार्वती से विवाह करने के बाद कैलाश पर्वत आकर रहने लगे. वहीं देवी पार्वती अपने पिता के घर रह रही थीं जहां उन्हें बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था. देवी पार्वती ने एक दिन भगवना शिव से उन्हें अपने घर ले जाने के लिए कहा. भगवान शिव ने देवी पार्वती की बात मानकर उन्हें काशी लेकर आए और यहां विश्वनाथ-ज्योतिर्लिंग के रूप में खुद को स्थापित कर लिया.

इस मंदिर का उल्लेख महाभारत और उपनिषदों में भी है. इस मंदिर का निर्माण किसने कराया इसके बारे में पुख्ता जानकारी नहीं है. साल 1194 में मुहम्मद गौरी ने इस मंदिर को लूटने के बाद इसे तुड़वा दिया था. इस मंदिर का निर्माण फिर से कराया गया लेकिन जौनपुर के सुल्तान महमूद शाह ने इसे दोबारा तुड़वा दिया. इतिहासकारों के मुताबिक विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार अकबर के नौरत्नों में से एक राजा टोडरमल ने कराया था. उन्होंने साल 1585 में अकबर के आदेश पर नारायण भट्ट की मदद से इसका जीर्णोद्धार कराया.

रानी अहिल्याबाई होल्कर ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया

रानी अहिल्याबाई होल्कर ने काशी विश्वनाथ मंदिर का आखिरी बार पुनर्निर्माण और नवीनीकरण करवाया था. उन्होंने न केवल मंदिर के नवीनीकरण की जिम्मेदारी ली थी, बल्कि इसके पुनर्निमाण के लिए काफी धनराशि दान की. बाद में औरंगजेब ने मंदिर को ध्वस्त कर उसके स्थान पर मस्जिद का निर्माण करा दिया. मंदिर के अवशेष आज भी मस्जिद की पश्चिमी दीवार पर उत्कृष्ट और जटिल कलात्मक कला के रूप में गोचर है.

मंदिर का वास्तुशिल्प

इंदौर की रानी द्वारा किए गए मंदिर के पुनर्निर्माण के उपरांत, महाराजा रंजीत सिंह ने इस मंदिर के शिखर के पुनर्निमाण के लिए लगभग एक टन सोना दान दिया था. काशी विश्वनाथ मंदिर की मीनारों को सोने से मढ़वाया गया. इन मीनारों की ऊंचाई लगभग 15.5 मीटर है। इस मंदिर में एक आतंरिक पवित्र स्थान है, जहाँ फर्श पर चांदी की वेदी में काले पत्थर से बना शिवलिंग स्थापित है. यहाँ दक्षिण में एक कतार में तीन धार्मिक स्थल स्थित हैं. मंदिर के इर्द-गिर्द, यहाँ पांच लिंगों का एक समूह है, जो संयुक्त रूप से नीलकंठेश्वर मंदिर कहलाता है.

दुनिया भर के श्रद्धालुओं का जमावड़ा

काशी विश्वनाथ मंदिर के कपाट साल भर खुले रहते हैं। दुनिया भर से भक्त भगवान का दर्शन करने के लिए यहां आते हैं. इस मंदिर में पांच प्रमुख आरतियाँ होती है. अगर आपने कभी यहाँ की आरती को देखा है तो यकीनन आप इस विस्मयकारी दृश्य को भूल नहीं सकते.

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