Karwa Chauth 2025: भारत में कब से चली आ रही है करवा चौथ की परंपरा, क्यों रखा जाता है यह व्रत? जानिए महत्व

Karwa Chauth 2025: हिन्दू धर्म मे करवा चौथ का खास महत्व है लेकिन क्या आप जानते है, करवा चौथ की यह परंपरा कब से चली आ रही है? क्यों रखा जाता है यह व्रत और क्या है इसकी धार्मिक मान्यता? आइए, इस आर्टिकल में जानते हैं, करवा चौथ के पीछे छिपे प्रेम व आस्था के गहरे अर्थ.

By JayshreeAnand | October 6, 2025 8:54 AM

Karwa Chauth 2025: अक्टूबर महीने के आते ही देशभर में करवा चौथ की रौनक देखने को मिल रही है. बाजारों में साज-सज्जा, मेहंदी, चूड़ियाँ और साड़ी-लहंगे की खरीदारी जोरों पर है. महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और वैवाहिक सुख के लिए इस व्रत को बड़े उत्साह और श्रद्धा से रखती हैं. इस साल करवा चौथ व्रत 10 अक्टूबर 2025, शुक्रवार को मनाया जाएगा.

करवा चौथ कब से मनाई जा रही है?

इतिहासकारों के अनुसार करवा चौथ का आरंभ महाभारत काल से माना जाता है. पौराणिक कथा के अनुसार, द्रौपदी ने पांडवों की रक्षा के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था. एक अन्य कथा के अनुसार, वीरवती नामक महिला ने अपने पति के दीर्घायु होने की कामना से यह व्रत रखा, और उसकी भक्ति से मृत्यु के द्वार से उसका पति पुनः जीवित हो गया. धीरे-धीरे यह परंपरा पूरे उत्तर भारत में फैल गई और आज यह विवाहित महिलाओं के प्रेम और समर्पण का प्रतीक बन गया.

व्रत की शुरुआत और समाप्ति कैसे होती है?

सुबह महिलाएं सरगी खाती हैं, जिसमें फल, सेवईं, सूखे मेवे और हल्का नाश्ता होता है. इसके बाद दिनभर निर्जला व्रत रखा जाता है. शाम को महिलाएं श्रृंगार करती हैं, पूजा करती हैं, और चाँद को छलनी से देखकर अपने पति का चेहरा निहारती हैं, फिर पति के हाथ से पानी पीकर व्रत खोलती हैं.

क्या होती है सरगी

करवा चौथ की सरगी वह विशेष थाली होती है जो व्रत रखने वाली महिला को सुबह सूर्योदय से पहले अपनी सास के हाथों से दी जाती है. इसे “प्यार और आशीर्वाद की थाली” माना जाता है. सरगी में सूखे मेवे, मिठाइयाँ, फल, पराठे, नारियल, और पानी जैसी चीज़ें शामिल होती हैं. इसे खाकर महिला पूरे दिन निर्जला व्रत रखती है और रात में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत खोलती है.

क्या है करवा चौथ की धार्मिक मान्यता

करवा चौथ की धार्मिक मान्यता यह है कि इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. मान्यता है कि माता पार्वती ने भी इसी व्रत को रखकर भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था. इसी कारण करवा चौथ को सौभाग्य और समर्पण का पर्व माना जाता है, जिसमें स्त्रियां पूजा-अर्चना और चंद्र दर्शन कर अपने पति के दीर्घ जीवन की प्रार्थना करती हैं.

कहां पर सबसे अधिक धूम रहती है?

उत्तर भारत के राज्य जैसे पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली और राजस्थान में इस पर्व की सबसे अधिक रौनक रहती है.

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी केवल मान्यताओं और परंपरागत जानकारियों पर आधारित है. प्रभात खबर किसी भी तरह की मान्यता या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है.