Kajari teej 2020 Shubh Muhurat, Puja Vidhi: आज अखंड सौभाग्य के लिए महिलाएं रखती हैं कजरी तीज व्रत, जानें शुभ मुहूर्त-पूजा विधि और इसका महत्व

Kajari teej 2020 Shubh Muhurat, Puja Vidhi: आज कजरी तीज है. कजरी तीज के दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और भगवान शिव और देवी पार्वती से अपने और पति की लम्बी उम्र और समृद्धि की कामना करती हैं.

By Radheshyam Kushwaha | August 6, 2020 7:45 AM

Kajari teej 2020 Shubh Muhurat, Puja Vidhi: आज कजरी तीज है. आज सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर भगवान शिव और देवी पार्वती से अपने और पति की लम्बी उम्र और समृद्धि की कामना करती हैं. कजरी तीज भाद्रपद यानी भादो के महीने में कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है. कजरी तीज को कजली तीज, बूढ़ी तीज या सातूड़ी तीज भी कहते हैं. यह तीज रक्षाबंधन के तीसरे दिन पड़ता है. कजरी तीज का व्रत सही विधि से रखा जाए तो यह बहुत फलदायी माना जाता है. आइए जानिए कजरी तीज की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और इसका महत्व…

कजरी तीज की पूजा विधि

आज कजरी तीज है. इस दिन श्रृंगार का महत्व बहुत अधिक है. महिलाएं आज सोलह श्रृंगार कर निर्जला व्रत रखें. इसके बाद माता पार्वती, भगवान शिव और नीमड़ी माता की पूजा करें. पूजा के बाद जौ, गेहूं, चने और चावल के सत्तू में घी और मेवा मिलाकर भोग तैयार करें. इस दिन नीमड़ी माता को इसी का भोग लगाया जाता है.

कजरी तीज शुभ मुहूर्त

तृतीया तिथि प्रारंभ- सुबह 10 बजकर 50 मिनट से

तृतीया तिथि समाप्ति- रात 12 बजकर 15 मिनट पर

चंद्रोदय का समय- रात 9 बजकर 8 मिनट पर

तृतीया तिथि आरम्भ – 5 अगस्त दिन बुधवार को 10 बजकर 50 मिनट से शुरू हो गया है.

तृतीया तिथि समाप्त – 7 अगस्त दिन शुक्रवार को 12 बजकर 14 मिनट पर होगा

चंद्रमा को कैसे दें अर्घ्य

कजरी तीज में बाद की पूजा के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देना शुभ माना जाता है. सबसे पहले चंद्रमा को मौली, अक्षत और रोली अर्पित करें, इसके बाद अपने स्थान पर खड़े होकर चंद्रमा को अर्घ्य दें. इसके बाद व्रत को पानी या कुछ मीठा खाकर खोला जाता है.

कजरी तीज व्रत कथा

आज महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती है. व्रत रखने के बाद शाम को कजरी तीज की कथा पढ़ें. साथ ही आरती और भगवान शिव के मंत्रों का जाप भी करें. फिर चंद्रोदय होने पर चंद्रमा को अर्घ्य दें. इसके बद चांदी की अंगूठी और गेंहू के दानों को हाथ में लेकर अर्घ्य देने की मान्यता है. जल अर्पित कर रोली, अक्षत और मौली चढ़ाएं. इसके बाद अपने स्थान पर ही खड़े होकर परिक्रमा करें. चंद्रमा को अर्घ्य देकर सास-ससुर या किसी बुजुर्ग के पैर छूकर आशिर्वाद लें. इसके बाद उन्हें दक्षिणा और मिठाई भी दें.

News posted by : Radheshyam kushwaha

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