Jhulan Purnima 2025 : इस्कॉन और विश्वभर के मंदिरों में विशेष महत्त्व रखने वाली पूर्णिमा, जानें तिथि, महत्व और पूजन विधि

Jhulan Purnima 2025 : चाहे वृंदावन हो या कोई इस्कॉन मंदिर, यह दिन भक्तों के लिए अध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर होता है. इस झूलन पूर्णिमा पर राधा-कृष्ण के प्रेम में डूब जाइए और उनके चरणों में अपने जीवन को अर्पित कीजिए.

By Ashi Goyal | July 10, 2025 8:51 PM

Jhulan Purnima 2025 : झूलन पूर्णिमा, जिसे झूलन यात्रा के अंतिम दिन के रूप में भी जाना जाता है, भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी के झूले पर विराजमान होने का उत्सव है. यह पर्व विशेष रूप से इस्कॉन मंदिरों और वैष्णव परंपरा में बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है. इस दिन भक्त भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी को चांदी, स्वर्ण, फूलों और कपड़ों से सजे विशेष झूले पर झुलाते हैं, यह पर्व रक्षा बंधन से एक दिन पहले, श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, वर्ष 2025 में झूलन पूर्णिमा की तिथि 9 अगस्त 2025 (शनिवार) को है :-

Jhulan purnima 2025 : इस्कॉन और विश्वभर के मंदिरों में विशेष महत्त्व रखने वाली पूर्णिमा, जानें तिथि, महत्व और पूजन विधि 2

– तिथि और शुभ मुहूर्त

  • तिथि: शनिवार, 9 अगस्त 2025
  • इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी को फूलों और रेशमी वस्त्रों से सजे झूले पर झुलाने की परंपरा है.

– धार्मिक महत्व

  • झूलन पूर्णिमा श्रावण मास के अंत में आने वाली पूर्णिमा है, जो वर्षा ऋतु के दौरान मनाई जाती है.
  • इसे श्रीकृष्ण की लीलाओं से जोड़ा जाता है, खासकर वृंदावन की झूला लीला से, जहां गोपियां और राधारानी के साथ श्रीकृष्ण झूले पर झूला करते थे.
  • भक्त इस दिन भजन, कीर्तन, संकीर्तन, और रासलीला का आयोजन करते हैं.

– इस्कॉन में विशेष आयोजन

  • इस्कॉन मंदिरों में झूलन यात्रा का आयोजन 5 दिनों तक चलता है और अंतिम दिन झूलन पूर्णिमा को विशेष महोत्सव होता है.
  • मंदिरों को सुंदर पुष्प सज्जा, राधा-कृष्ण की विशेष झांकी, संकीर्तन और प्रसाद वितरण से सजाया जाता है.

– पूजन विधि और नियम

  • भक्त प्रातः स्नान करके व्रत का संकल्प लेते हैं.
  • राधा-कृष्ण को झूला झुलाया जाता है, फूल अर्पित किए जाते हैं और पंचामृत से अभिषेक किया जाता है.
  • इस दिन व्रत और संकल्प करने से पुण्य की प्राप्ति होती है.

– सांस्कृतिक और पारिवारिक उत्सव

  • कई स्थानों पर मेला और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं.
  • परिवारों में इस दिन विशेष पकवान जैसे खीर, पूड़ी, पंजीरी, पंचामृत आदि बनाए जाते हैं.
  • यह दिन प्रेम, भक्ति और प्रकृति के सौंदर्य का संगम होता है.

यह भी पढ़ें : Raksha Bandhan 2025 : श्रावण पूर्णिमा को ही क्यों मनाया जाता है रक्षाबंधन? जानिए शास्त्रों की बात

यह भी पढ़ें :  Raksha Bandhan 2025 : राखी बांधने से पहले करें ये मंत्र, स्नान और हवन? जानिए वैदिक राखी विधि

यह भी पढ़ें :  Rudrabhishek In Sawan 2025 : पंचामृत, बेलपत्र और गंगाजल से करें अभिषेक, यह विधि देंगी भाग्यवृद्धि

झूलन पूर्णिमा सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि भक्ति, प्रेम और राधा-कृष्ण की लीलाओं का जीवंत उत्सव है. चाहे वृंदावन हो या कोई इस्कॉन मंदिर, यह दिन भक्तों के लिए अध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर होता है. इस झूलन पूर्णिमा पर राधा-कृष्ण के प्रेम में डूब जाइए और उनके चरणों में अपने जीवन को अर्पित कीजिए.